अलीराजपुर: आवश्यकता के समय अहंकार का त्याग करते हैं तो रिश्ते में मधुरता, प्रेम, शांति बनी रहती है- ब्रह्माकुमार नारायण भाई

0
120

अलीराजपुर, मध्य प्रदेश। हमारे जीवन में रिश्ते खजानों की तरह होते हैं, लेकिन जब उन्हीं रिश्तों में किसी भी व्यक्ति में अहंकार (ईगो) की भावना आ जाती है तो वे गलतफ़हमियों का शिकार हो जाते हैं। हम सभी देखते हैं कि, ज़्यादातर लोग हमेशा उन लोगों से संतुष्ट रहते हैं जो विनम्र और ईगोलेस होते हैं, उनके रिश्ते किसी भी प्रॉब्लम से दूर और मतभेदों से मुक्त होते हैं।जिस रिश्ते में कोई भी व्यक्ति सही समय पर और जरुरत पड़ने पर अपने अहंकार का त्याग करता है, उन्हीं रिश्तों में आपसी प्यार, सम्मान और निरंतर शांति बनी रहती है। यह विचार इंदौर से पधारे जीवन जीने की कला के प्रणेता ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने दीपा की चौकी पर स्थित ब्रह्माकुमारी सभागृह में रिश्तो में मिठास कैसे भरें इस विषय पर नगर वासियों को संबोधित करते हुए बताया की अक्सर हम देखते हैं, किसी भी रिश्ते के ख़राब होने का कारण; मैं और मेरापन, जिसे लोग छोड़ नहीं पाते। यह सब बहुत अजीब है लेकिन, रिश्तों में दूसरों के अनुसार स्वयं को मोल्ड करने में, जैसा वो चाहते हैं वैसा बनने में, अपने अहंकार को न छोड़ने के कारण प्यार और अपनापन कहीं खो जाता है। अक्सर, सभी रिश्तों में मतभेद होते हैं लेकिन उन्हें सुलझा पाना और उनसे ऊपर उठ कर उनमें प्यार बनाए रखना, एक ऐसी चुनौती है जिसका सामना हर किसी को अपने जीवन में कभी न कभी करना ही पड़ता है।हम सभी प्यार भरे रिश्तों की चाहत रखते हैं,लेकिन क्या हम उसके लिए जरुरी त्याग करते हैं? इसका अर्थ है? इन्हें दिल से मानना और ज़ाहिर करना- मैं अपनी हार को एक्सेप्ट करता हूं या मैं हमेशा सही नहीं हो सकता या कृपया आप मुझसे आगे बढ़कर जिम्मेदारी लें या आप ये भी स्वीकार कर सकते हैं कि–आप मुझसे बेहतर हैं।कभी-कभी हम अपने पारिवारिक या प्रोफ़ेशनल रिश्तों में देखते हैं कि, पहले तो सब कुछ ठीक रहता है और फिर समय बीतने के साथ जब दो लोग एक-दूसरे के करीब आते हैं, तो गलतफहमियां पैदा होने लगती हैं। ऐसा रिश्ता एक बिना पतवार की नाव की तरह हो जाता है जिसका कोई डायरेक्शन नहीं। तो, ऐसा क्यों होता है और फिर उस रिश्ते की शुरुआत में ही क्यों नहीं?किसी भी रिश्ते में, शुरू- शुरू में एक- दूसरे का मन और मान रखते हुए, त्याग करना और कम डोमिनेटिंग होना आसान होता है, लेकिन समय बीतने के साथ-साथ, दोनों लोग एक-दूसरे को हल्के में लेना शुरू कर देते हैं, आपसी समझ से भरा एक खूबसूरत रिश्ता, दुख-दर्द और पर्सनॅलिटी क्लैश के चलते गलतफ़हमियों से भर जाता  है।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें