दिल तो दिलबर को दे दी, बाकी क्या दिल है! कोई कहते दिल की लेन-देन करते, हमारे दिल की बातें कौन-सी होती हैं, जो लेन-देन करें? दिल की बातें यही हैं – वाह मेरा बाबा! उनके सिवाए कोई दिल की बातें नहीं हैं।
कईयों की रूहानी यात्रा में बहुत रूची होती है, कईयों की नहीं होती। रूची है तो सुख होगा, अगर इसकी रूची कम है तो बाबा के मिलन का सुख अनुभव नहीं होगा। जैसे सेवाओं में रूचि रखते तो सेवा के साथ-साथ मेवा भी खाते रहते। इससे कितनी आत्माओं का कल्याण होता, यह अनुभव करते रहते हो। दूसरों को कोर्स कराना माना खुद करना।
सदा बाबा की छत्रछाया के नीचे रहो तो रक्षक बाबा सदा रक्षा करता रहेगा। बाबा कहता बच्चे, तुम मेरी नज़रों में छिप जाओ। बाबा की मुरली में है वो मेरे मीठे-मीठे नूरे रत्नों, यह किसने बोला? नूर माना आँखें। तो हम बाबा के नयनों के नूर हैं। इससे बड़ा भाग्य और क्या चाहिए! है कोई दुनिया में जो कहे कि हम भगवान के नयनों के नूर हैं। हमें भगवान कहता तुम मेरे नयनों के तारे हो। बाबा ने अपनी नज़रों में हमें छिपा दिया है। बाकी तो दुनिया के खेल हैं, चाहे बीमारी है, आना है-जाना है, सर्विस करो उसमें आंधी भी आती, तूफान भी आते, यह सब होता रहेगा परन्तु अपनी स्थिति स्थिर चाहिए।
सबसे पहले अपनी हर प्रकार से स्थिर स्थिति चाहिए। कोई कितना भी मन खराब करे, संग में कभी नहीं आना। संगदोष बुद्धि को बदल देता है। सबसे प्यार करो सब फ्रेंड्स हैं, पर्सनल फ्रेंड किसको नहीं बनाओ। यह अण्डरलाइन करो। हमारी प्यारी रूहरिहान होती है, रूहों को राहत देने की, ज्ञान की रूहरिहान करेंगे, सेवा की रूहरिहान करेंगेे, सर्विस के प्लान करेंगे, आपस में जो भी लेन-देन करेंगेे, मीटिंग करेंगे इसीलिए कि उससे कोई भी यज्ञ की कारोबार है, जो भी कुछ है उनका हल करना है। बाकी दिल तो क्या होती है! दिल तो दिलबर को दे दी, बाकी क्या दिल है! कोई कहते दिल की लेन-देन करते, हमारे दिल की बातें कौन-सी होती हैं, जो लेन-देन करें? दिल की बातें यही हैं – वाह मेरा बाबा! उनके सिवाए कोई दिल की बातें नहीं हैं। पर्सनल किसी के साथ बैठकर बातें करना, यह दोस्ती नहीं दिल की बातें नहीं हैं लेकिन संगदोष है। एक-दूसरे के प्रति मन खराब करना – यह ऐसी है, वह वैसा है- यह गलत है।
अगर आपके मन में कोई बात है तो भले कहो। आपस में इतना हल्कापन ज़रूर हो जो एक-दो को बात कह सको। अगर मैंने कोई गलती की, तो आप मुझे बड़ी दिल से बोल सकते हो, बहन आज तुमने यह बात गलत की। वह मैं दिल से स्वीकार करती हूँ लेकिन वह दूसरे को मत सुनाओ। उससे मन खराब होता है। जब दो के बीच तीसरा तेरा-मेरा करता तो तीन के बीच टकोरा पड़ता, माना डिस्युनिटी होती है। आपस में चाहे तीन हो या पाँच हो लेकिन रहना चाहिए सभी को मिलकर। रात को सोने से पहले दस मिनट भी आपस में मिलकर, ओम शांति करके रूहरिहान करके फिर सो जाओ।। कहने का भाव है कि आप लोग मन से भी खुश रहो, तन से भी खुश रहो। तुम भी खुश रहो तो तेरे से भी सब खुश रहें। किसके भी चेहरे से उदासी, घृणा, नफरत यह फील नहीं हो तब तो मजा है। फिर भी अगर कोई 19-20 बात हो तो आप लोग अपनी तपस्या से उनको मिटाओ। हमारी रूहानी आकर्षण भी एक तपस्या है जो सबको सकाश देगी।