वर्तमान समय पुरुषार्थ की तीन स्टेज हैं – उन तीनों स्टेजेस से हरेक अपनी-अपनी यथा शक्ति पास करता हुआ चल रहा है। वह तीन स्टेजेस कौन-सी हैं? एक है वर्णन, दूसरा मनन और तीसरा मगन। मैजोरिटी वर्णन में ज्य़ादा हैं। मनन और मगन की कमी होने के कारण आत्माओं में विल पॉवर कम है। सिर्फ वर्णन करने से बाह्यमुखता की शक्ति दिखाई पड़ती है, लेकिन उससे प्रभाव नहीं पड़ता है। मनन करते भी हैं लेकिन अन्तर्मुख होकर के मनन करना, उसकी कमी है। प्वॉइन्ट्स का मनन भले करते हैं लेकिन हर प्वॉइन्ट द्वारा मनन अथवा मंथन करने से शक्ति स्वरूप मक्खन निकलना चाहिए, जिससे शक्ति बढ़ती है। भले प्लैनिंग करते हैं, उनके साथ-साथ सर्व शक्तियों की सजावट जो होनी चाहिए वह नहीं है। जैसे कोई चीज़ कितनी भी अमूल्य हो लेकिन उनको अगर उस रूप से सजाकर न रखा जाए तो उस चीज़ के मूल्य का मालूम नहीं पड़ सकता। इसी रीति नॉलेज का भले मनन चलता भी है लेकिन अपने में एक-एक प्वॉइन्ट द्वारा जो शक्ति भरनी है वह कम भरते हो, इसलिए मेहनत ज्य़ादा और रिज़ल्ट कम हो जाती है। मन में, प्लैनिंग में उमंग-उत्साह बहुत अच्छा लगता है, लेकिन प्रैक्टिकल रिज़ल्ट देखते तो मन में अविनाशी उमंग-उत्साह, उल्लास नहीं रहता। एकरस जो फोर्स की स्टेज रहनी चाहिए वह नहीं रहती। एक-एक प्वॉइन्ट को मनन करने द्वारा अपनी आत्मा में शक्ति कैसे भरी जाती है- इस अनुभव में बहुत अनजान हैं। इसलिए यह अन्तर्मुखता, अतीन्द्रिय सुख की प्राप्ति का अनुभव नहीं करते हैं। जब तक अतीन्द्रिय सुख की, सर्व प्राप्तियों की भासना नहीं तब तक अल्पकाल की कोई भी वस्तु अपने तरफ ज़रूर आकर्षित करेगी। तो वर्तमान समय मनन शक्ति से आत्मा में सर्व शक्तियाँ भरने की आवश्यकता है, तब मगन अवस्था रहेगी और विघ्न टल सकते हैं। विघ्नों की लहर तब आती है जब रूहानियत की तरफ फोर्स कम हो जाता है। पहले स्वयं में शक्ति भरने का फोर्स चाहिए। प्रैक्टिकल अपने भले के आधार से औरों को भले देना है। सिर्फ बाहर की सर्विस के प्लैन नहीं सोचने हैं लेकिन पूरी ही नज़र चाहिए सभी तरफ। जो निमित्त बने हुए हैं उन्हों को यह ख्यालात चलना चाहिए कि हमारी इस तरफ की फुलवारी किस बात में कमज़ोर है। किसी भी रीति अपने फुलवारियों की कमज़ोरी पर कड़ी दृष्टि रखनी चाहिए। समय देकर भी कमज़ोरियों को खत्म करना है। अपने कर्मों की गति पर अटेन्शन चाहिए। ड्रामा अनुसार नंबरवार तो बनना ही है। कोई न कोई कारण से नंबर नीचे होना ही है, लेकिन फिर भी फोर्स भरने का कत्र्तव्य करना है। जैसे साकार रूप को देखा, कोई भी ऐसी लहर का समय जब आता था तो दिन-रात सकाश देने की विशेष सर्विस, विशेष प्लैन्स चलते थे, निर्बल आत्माओं को भले भरने का विशेष अटेन्शन रहता था, जिससे अनेक आत्माओं को अनुभव भी होता था। रात-रात को भी समय निकाल आत्माओं को सकाश भरने की सर्विस चलती थी। भरना है। तो अभी विशेष सकाश देने की सर्विस करनी है। लाइट हाउस माइट हाउस बनकर यह सर्विस खास करनी है, जो चारों ओर लाइट माइट का प्रभाव फैल जाए। अभी यह आवश्यकता है। जैसे कोई साहूकार होता है तो अपने नज़दीक सम्बन्धियों को मदद देकर ऊंचा उठा लेता है, ऐसे वर्तमान समय जो भी कमज़ोर आत्मायें सम्पर्क और सम्बन्ध में हैं उन्हों को विशेष सकाश देनी है।