सेवा एक कॉन्शियसनेस है। अगर हम उस कॉन्शियसनेस से चलें तो हम घर पर भी सेवा करेंगे, ऑफिस में भी सेवा करेंगे, समाज में भी सेवा करेंगे। अगर हम उस कॉन्शियसनेस से नहीं चलेंगे तो जो हम इतनी ठण्डी-ठण्डी सेवा कर रहे होते हैं ना वो भी सेवा नहीं होती है, क्योंकि उस सेवा में भी हमें कुछ चाहिए होता है। होता चाहिए या नहीं?
कहीं न कहीं बचपन में हमने सीख लिया कि रिश्तों में देना भी है और लेना भी है। रिलेशनशिप मिन्स देना और लेना। मुझे कौन देगा? मुझे कौन देगा? मैं कैसे सबको दूं? पहले अपनी बैटरी को चार्ज करना है और फिर वह बैटरी से सारा दिन सबको शक्ति देते जाना है। सेवा एक कॉन्शियसनेस है। अगर हम उस कॉन्शियसनेस से चलें तो हम घर पर भी सेवा करेंगे, ऑफिस में भी सेवा करेंगे, समाज में भी सेवा करेंगे। अगर हम उस कॉन्शियसनेस से नहीं चलेंगे तो जो हम इतनी ठण्डी-ठण्डी सेवा कर रहे होते हैं ना वो भी सेवा नहीं होती है, क्योंकि उस सेवा में भी हमें कुछ चाहिए होता है। होता चाहिए या नहीं? और कुछ नहीं तो मुझे कोई बोल ही दे बड़ी अच्छी सेवा की। मैंने इतनी सेवा की किसी ने कहा भी नहीं कि मैंने अच्छी सेवा की। मैंने इतनी सेवा की मेरा मैग्ज़ीन में नाम भी नहीं आया। मैंने इतनी सेवा की मेरी कोई महिमा भी नहीं हुई। की हुई चीज़ के लिए क्या महिमा एक्सपेक्ट करना सही है? नहीं। हर रोज़ अपने को एक दुआ दीजिए- मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए। हमारे साथ कोई व्यवहार अच्छा ना कर रहा हो तो क्या हम उनसे प्यार से बात कर सकते हैं? अच्छा लेकर आइए सामने, सामने वाला हमसे ठीक से बात नहीं कर रहा आपने किसी को अपने सामने देखा, आप जानते हैं उसको, आप जाने लगे थे उनसे मिलने के लिए लेकिन वो मुँह मोड़ के उस तरफ चले गए, सीधा-सीधा इग्नोर। क्या आप उनके पास जाकर प्यार से और सम्मान से बात कर सकते हैं? कर सकते या नहीं कर सकते? करेंगे या छोड़ देंगे? कहेंगे, अगर उनको ही बात नहीं करनी है तो हम क्यों करें, छोड़ो। मैं ही हर बार झुकूं सबके लिए, मुझे क्या फर्क पड़ता है, यह अहंकार जो हमें झुकने नहीं देता। मन को झुकने नहीं देता, तो शरीर भी अकडऩे लग जाता है। इसलिए झुकना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। शरीर का भी झुकना और मन का भी झुकना। जितनी बार मन को झुकने का चांस मिले उतना झुक जाना चाहिए स्वस्थ रहेंगे। शरीर को नहीं, मन को जितनी बार झुकने का चांस मिले, शरीर स्वस्थ रहेगा। यह नहीं गिनना चाहिए कि मैं क्यों झुकूं, मैं क्यों चुप रहूं, मैं ही बार-बार करूं! क्यों न करूं, मैं स्वस्थ हूँ तो मैं झुक सकता हूँ, हो सकता है सामने वाला बीमार हो, इसलिए वो झुक नहीं सकते। जो झुक नहीं सकते मतलब वो क्या हैं, वो तंदरुस्त नहीं हैं। तो झुकने को गिनना नहीं चाहिए- मैं ही कितनी बार झुकूं, मैं ही कितनी बार झुकूं, झुको, जितनी बार झुकेंगे उतना शरीर के लिए भी अच्छा है। सामने वाला गलत व्यवहार कर रहा है, वो अपने मन की स्थिति से डिस्टर्ब है, वो परेशान है, हम क्यों परेशान हो जाते हैं उसके व्यवहार को देखकर? क्योंकि हमने अपने मन में उस बात को पकड़ के रखा है कि वह ठीक नहीं तो मैं डिस्टर्ब होंगी। लेकिन जब हमें ये याद रहेगा कि वो ठीक नहीं वो उनके मन की स्थिति है, मेरे मन की स्थिति तो बिल्कुल ठीक है तो मैं तो प्यार से और सम्मान से बात कर सकती हूँ। या नहीं कर सकती हूँ? फिर से आँख बंद कीजिए और अपने सामने किसी एक व्यक्ति को चुन लीजिए, जो बार-बार, कुछ-कुछ, थोड़ा-थोड़ा, अलग-अलग व्यवहार करते रहते हैं पर आज पक्का कीजिए इनका संस्कार इनका है, यह इनका संस्कार है, ये भी बदल जायेंगे फिलहाल ये इनका संस्कार है। लेकिन मेरा संस्कार क्या है शांत रहना, प्यार से बात करना, सम्मान देना, धैर्यता से बात करना यह मेरा संस्कार है और आज से मैं आत्मा यह पक्का करती हूँ, सिर्फ एक व्यक्ति के साथ पक्का कर लो अभी। आज से मैं पक्का करती हूँ कि जब-जब भी यह ऐसा व्यवहार करेंगे वह अपने संस्कार से करेंगे, लेकिन मैं अपने संस्कार से करूंगी। अपने आप को देखिए अभी करते हुए क्योंकि उस क्षण जब आप अपने सही संस्कार के थ्रू करेंगे तो आप अपने लिए खुशी बढ़ा रहे हैं। आप अपने शरीर के लिए स्वास्थ्य बढ़ा रहे हैं, आप अपने घर के वातावरण में सुकून बढ़ा रहे हैं और आप सामने वाले को भी शक्ति दे रहे हैं। सिर्फ अपने संस्कार को पकड़ कर रख कर। किस-किस ने किसी एक चुज कर दिया चुज कर दिया एक को बस सिर्फ किसी एक व्यक्ति को पकड़ के रखो अगले 1 महीने तक बाकी सबके सामने जो जो करना है वह करो वह सिर्फ एक के साथ करो पर एक के साथ करके अपनी शक्ति को देखो मेरे पास इतनी शक्ति है और फिर पता चलेगा जो चिज हम एक के साथ कर सकते है वो तो हम जो हम एक के साथ कर सकते है वो तो हम वो तो हम हरेक के साथ कर सकते है क्योंकि वो तो हमारा संस्कार है हमेशा याद रखना है जब सामने वाला ठीक से व्यवहार नहीं करता है ठीक से बात नहीं करता है कुछ क्षण के लिए सही वो थोड़ी देर के लिए भावनात्मक रूप से बीमार है कमजोर है कमजोरी में दूसरे को शक्ति दी जाती है एक बार हम एक हॉस्पिटल में प्रोग्राम कर रहे थे नर्सीस थी सारी हॉस्पिटल में सिस्र्टस होती है ना नर्सिस उनको ऐसे ही पुछा कि आपके जीवन में तनाव का क्या कारण है तो वह बोलने लगे रात को जागना 24-24 घंटे सेवा करना और उन्होंने यह नहीं बोला जब डॉक्टर गुस्सा करते तो बहुत बुरा लगता है आपको तो कितने पेसेन्ट अलग अलग तरह के डॉटते रहते है गुस्सा करते रहते हैं तो कहते है उनका वो बिल्कुल बुरा नहीं लगता क्योंकि वो बिमार है तो उनका हमें बुरा नहीं लगता तो मैं ने कहा जब डॉक्टर गुसा करते वो भी बिमार है तो वो सिस्टर बोलती है वह कहां बीमार है वह तो ऑपरेशन कर रहे हैं मैं कहा मन से बीमार है ना उतनी थोड़ी देर के लिए खुश नहीं है इसीलिए तो गुस्सा कर रहे जो खुश होता है वह गुस्सा नहीं करता है तो अगले दिन एक नर्स ने फोन किया कहेती है यह तो बहुत आसान है मैं कहा क्या हुआ आज वह फिर आए ऑपरेशन थिएटर में और फिर उन्होंने किसी बात पर गुस्सा कर दिया लेकिन जैसे ही उन्होंने गुस्सा किया मैंने अंदर से सोचा वह बेचारे सर आज बीमार है तो मुझे कुछ बुरा ही नही लगा उनके बारे में मैं ने उल्टा सुल्टा इनका ध्यान कैसे रखु जैसे उनका मुड ठीक हो जाए उससे यह बात सच है उनकी बात जब कोई शारीरिक रुप से बिमार होता है न हम उनका कितना ध्यान रखते कितना ध्यान रखते है हम हम अपना सबकुच छोड के उनका ध्यान रख ते है लेकिन मन से जब कोई थोडि डेर कि लिये कोई अपनी स्थिति से हिल जाता है अर्थात परेशान अशांत गुस्सा नाराज होता है उस थोड़ी देर के लिए उसके मन में खुशी का अभाव है कमी है और जब कमी होगी तो उसका व्यवहार बदलेगा ही बदलेगा अगर उस क्षणों के लिए हम यह समझेंगे इस समय यह अपनी स्वस्थ स्थिति में नहीं है मुझे इसका भी ध्यान रखना है और पता है क्या होता है जब एक कुछ थोड़ा सा अलग व्यवहार करें भी लेकिन सामने वाला सही व्यवहार कर ले तो सिर्फ सामने वाले की खुशी नहीं बढ़ती जो गलत व्यवहार कर रहा था उसको भी हम से कौनसी वाइब्रेशन जाएगी कौनसी जाएगी अगर आप में से किसी को भी पूछा जाए ना आप क्यों इतनी मेहनत करते हैं सारा दिन क्यों इतना काम करते हैं तो हर एक पता है क्या कहेंगा मुझे अपने परिवार को खुशी देनी है लेकिन काम से तो हम अपने परिवार को सन्मा दे सकते हैं परिवार को खुशी हम तब दे सकेंगे जब हर परिस्थिति में हम स्थिर रहकर उनके साथ सही व्यवहार करेंगे तब हम परिवार को खुशी दे सकते नहीं तो हम सिर्फ सन्मान और आराम दे सकते हैं तो कर सकते हैं कि दूसरे का व्यवहार ठीक ना हो तो भी हम अपने आप को ठीक रखें कर सकते कर सकते हैं सिर्फ याद क्या रखना है मेरे मन की स्थिति उन पर निर्भर बोलिये मेरे मन की स्थिति उन पर निर्भर मेरे मन का रिमोट कंट्रोल किसके पास है आपके टीवी का रिमोट कंट्रोल किसके पास होता है इसी तरह मेरे मन का रिमोट कंट्रोल जब मेरे पास होगा तो मेरी चॉइस की चीजें चलेंगे यहां नहीं तो तो कोई भी आता बटन दबा दें और कुछ और ही चलने लग जाता है यही।