इस तरह भरें सम्बन्धों में मिठास…!!

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मनुष्यों का साथ में रहना ही परस्पर सुखद व्यवहार, प्रेम का वार्तालाप, अपनापन, हमारे जीवन की इस यात्रा को बहुत आनंदित कर देते हैं। आज हम चर्चा करेंगे कि कैसे सम्बन्धों में मिठास भरें, और कहाँ गड़बड़ हो रही है। अगर हमें उस गलती का आभास हो जाये जो सम्बन्धों में हो रही है तो हम उसको ठीक करके जल्दी ही इस जीवन यात्रा का परमआंन्द प्राप्त कर सकते हैं।
जब हम साधनाओं के मार्ग में भी आते हैं सब जानते हैं अगर परस्पर टकराव हो तो मन भटकता है, एकाग्रता होती नहीं। इसलिए बहुत अच्छे सम्मान की आवश्यकता होती है। देखिये पिछले 10-12 सालों से एक विशेष समस्या हमारे देश में भी, परिवारों में भी उभर गयी है। आप सभी उससे परिचित होंगे और वो है तलाक। हमारी जो एज्यूकेशन है इसने मनुष्य को विनम्र्र नहीं बनाया, बल्कि अहम् को बढ़ा दिया है। इस अहम् के कारण ही सम्बन्धों में बहुत कड़वाहट होती जा रही है। कोई भी झुकने को तैयार नहीं है लेकिन हम सबको याद रखना है कि जो झुके वही महान है। अकड़कर रहना किसकी पहचान है? मुर्दे की। उस मनुष्य का जीवन भी कुछ ऐसा ही हो जाता है, जो इस अहम्पन की जकड़ से टाइट रहते हैं। बिल्कुल अकड़े रहते हैं। आज इस पर हम प्रकाश डालेंगे …

अपने मन में हो बदलने की दृढ़ इच्छा
आज मनुष्य के मन में दूसरों से कामनायें बहुत हो गयी हैं। कामनायें बढ़ती जा रही हैं। देने की भावना कम और लेने की भावना ज्य़ादा है। एक और बात, संसार में बहुत कम लोग हैं जो अपनी गलती को स्वीकार करके, उसे पहचान के, उसे बदलने का सोचते हैं। अधिकतर लोगों की अंगुली दूसरी ओर रहती है- ये दोषी हैं, ये सुधर जायें तो हमारे घर में सुख-शांति आ जायें। कई तो ऐसा भी कह देतेे हैं कि ये कभी भी नहीं सुधरेगा। सुधारना भी चाहते हैं और साथ में वरदान भी दे देते हैं, ये कभी नहीं सुधरेंगे! तो हमें अपने को बदलने के लिए मन में दृढ़ इच्छा पैदा करनी है।
पहले हमें खुद को बदलना है। जिसको महान बनना है, जिसको सम्बन्धों में मधुरता लानी है और जो अध्यात्म के मार्ग में चल रहे हैं, जिन्हें परफेक्शन की ओर चलना है, जो अपने किसी महान लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। एक स्लोगन है ना कि स्वयं को बदलेंगे तो संसार बदल जायेगा। हम सबके लिए साधना के क्षेत्र में बाबा ने एक बहुत अच्छा सूत्र दिया है कि जो स्व परिवर्तन करते हैं विजय माला तो उनके ही गले में पड़ती है। हमें अपने को बदलना है। उदाहरण के तौर पर बताता हूँ एक पति-पत्नी का झगड़ा होता है। दोनों की अंगुली एक-दूसरे की ओर है। वो कहता है तुम्हारी गलती और दूसरा कहता है तुम्हारी गलती। जब तक एक झुककर अपनी गलती स्वीकार न करे तब तक समस्या का समाधान नहीं होगा। संसार में जिस भी परिवार में स्त्री-पुरूष के झगड़े हैं या नयी शादी हुई, चल ही नहीं रही है। ये परिवारों में बहुत बड़ी समस्या हो गयी है। एक-दो साल में ही तलाक हो रहे हैं। तनाव बढ़ता जा रहा है। इस कारण बहुतों को नींद नहीं आती है। बहुत लोग डिप्रेशन के शिकार होते जा रहे हैं।
मैं एक और पै्रक्टिकल उदाहरण देता हँू। एक कपल मेरे पास आया। जिनकी आयु 40-42 साल की होगी। बैठते ही मुझे कहा- भाई जी हम दोनों बहुत लड़ते हैं। मैंने पूछा आप क्या करते हैं दोनों? कहा हम दोनों लेक्चरर हैं। क्वालिफिकेशन में दोनों ने एम.ए. एम फिल किया है। पी.एच.डी. करने वाले हैं। मैंने पूछा दोनों से अच्छा सच-सच बताओ- तुम दोनों में बुद्धिमान कौन है? दोनों एक-दूसरे को देखने लगे। दोनों ही तो बराबर पढ़े लिखे हैं। दोनों बुद्धिमान हैं। मैंने कहा चलो मैं आपके चुप रहने से समझ गया दोनों ही बुद्धिमान हो। मैंने दूसरा प्रश्न किया कि दोनों में समझदार कौन है? बहन ने उत्तर दिया तुरन्त कि मैं समझदार हँू। मैंने ये नहीं कहा कि भाई नहीं है, मैंने आगे फिर कुछ नहीं पूछा। मैंने इतना ही कहा कि जो समझदार है उसे झुककर चलना चाहिए। तब आपका झगड़ा समाप्त। हम छोटी-छोटी बातों में बहस करने लगते हैं, बिगड़ जाते हैं, सम्बन्ध विषैले हो जाते हैं। जाने नहीं क्या-क्या बोल देते हैं। कई लोग तो ऐसा बोल देते हैं कि भूल ही नहीं पाते जीवन भर। तो बहुत अच्छा सूत्र सभी सामने रखेंगे। मैं सही हँू इस विचार को थोड़ा-सा हटाना है। राइट आप हो सकते हैं पर उस टाइम थोड़ा-सा हल्का कर देना चाहिए। छोड़ देना चाहिए अपने विचार को। जब हम हल्के होंगे, जब हम अपने को रियलाइज़ करेंगे तो दूसरा व्यक्ति भी रियलाइज़ करेगा। तब संघर्ष खत्म। ये बात ठीक है ना! अब हम सबको अपने में कुछ न कुछ परिवर्तन लाना है, तैयार हैं सभी? जो बदले वो महान बनें।

कमज़ोरी को विशेषता में बदल दें
आपको मैं एक वैज्ञानिक की सच्ची घटना सुनाता हूँ। जिसको सुनकर सभी ये सीखेंगे कि हमें अपने बच्चों से कैसा व्यवहार करना चाहिए। थॉमस एडिसन की कहानी शायद आप लोगों ने सुनी भी होगी लेकिन फिर भी सुना देता हूँ। उसकी कहानी है, जब वो स्कूल में पढ़ता था तो स्कूल की टीचर की ओर से माँ को एक लेटर आया। लेटर में क्या लिखा था उसे लास्ट में बताया जायेगा। बच्चे ने देख लिया और पूछा माँ मैडम ने क्या लिखा है? कहाँ बेटा इसमें लिखा है तुम्हारा बच्चा बहुत जिनियस है, बहुत बुद्धिमान है इसलिए हम उसको नहीं पढ़ा सकते। तो तब उस माँ ने कहा कि तुम्हें मैं ही पढ़ाऊँ गी। उसने उसको पढ़ाया और वो बहुत प्रसिद्ध वैज्ञानिक बना। माँ की मृत्यु हो गई तो उसके बाद वो सब सामान देख रहा था जिसमें उसे वो पत्र भी मिला। जिसमें उसकी टीचर ने उसकी माँ को लिखा था कि तुम्हारा बच्चा बहुत ही बुद्धिहीन है, इसको हम नहीं पढ़ा सकते। उसके पास बहुत कम बुद्धि थी। लेकिन उसकी माँ ने उसे कहाँ कि तुम बहुत बुद्धिमान हो मैं ही तुम्हें पढ़ाऊँगी। संसार में तुम्हें कोई नहीं पढ़ा सकता। देखो कैसे बात को सकारात्मकता में बदल दिया। जिन्होंने बल्ब बनाया, उसके बाद वो एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक बने। बहुत बार असफ ल भी हुए लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। आखिर उनकी ही रिसर्च से आज संसार जगमगा रहा है। यदि वो निराश होके, हार मान के छोड़ देते तो शायद हम इतनी जगमगाहट नहीं देख पाते।
तो सम्बन्धों में मिठास के लिए हमें एक-दूसरे के प्रति अपने इगो को थोड़ी देर के लिए हल्का कर देना ही समझदारी है। और दूसरे को आगे बढ़ाने के लिए उसे कमज़ोरी का एहसास न कराते हुए उसी कमज़ोरी को विशेषता में बदलने का तरीका अपनाना चाहिए। जिस तरह से उस माँ ने किया।

माताओं को खास मैं कहँूगा कि कई माँ अपने बच्चों पर प्रेशर बहुत रखती है। इतने नम्बर लाने ही है। न बिचारे को टी.वी. देखने देती, न खेलने कूदने देती। पढ़ो। चाय बना कर रख देती है रात में नींद आये तो चाहे तो चाय पी लेना। ऐसा कोई बुद्धिमान नहीं बना करता। हमारे घर में मेरी भतीजी है उसकी माँ उसको डाटती थी – टी.वी. देखती है पढ़ती नहीं है। तुम्हरा फाइनल पेपर है ये है वो है। जब रिजल्ट आया तो उसने गोल्ड मेडल लिया था। बुद्धिमानों को रात दिन पढऩे की ज़रूरत नहीं होती है इसलिए माताएँ अपने बच्चों को उसकी बुद्धि का विकास करने के लिए उसे प्रोत्साह न दें। उन्हें दबाव न डालें उन्हें खुला माहौल दें। घर में खुशी का माहौल बनाये। अगर आपके घर में क्रोध है यदि आपके घर में सदा ही तनाव रहता है। वहाँ अपने पन का निर्माण करेंगे। एक्सपेक्टशेसन से दूसरे से बहुत ज्यादा रहती है। सम्बन्धों में आप चेक कर लें। हर व्यक्ति दूसरों से कुछ डिमान्ड कर रहा है। ये व्यक्ति मुझे सम्मान दें। ये व्यक्ति मेरी बात सुनें। ये व्यक्ति मुझे आगे बढ़ाये। लेकिन आप ये सोच ले जिसे आप सम्मान मान रहे हो उनको आपना स्वमान तो पहले ही समाप्त हो चुका है। जिनसे आप प्यार माँग रहे हो उनके मटके पहले ही सुखे हुए है। चाहना एक दुसरे से बहुत ज्यादा रहती है। सम्बन्धों में आप चेक कर लें हर व्यक्ति दूसरों से कुछ माँग रहा है। ये व्यक्ति मुझे सम्मान दे, ये व्यक्ति मेरी बात सुनें,

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