सोच-समझकर सोचें, सोच ही सबकुछ है…

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सोच है तो मनुष्य है, मनुष्य है माना कि सोच है। जहाँ सोच नहीं, फीलिंग नहीं, संवेदनाएं नहीं, वो तो मानो चलता-फिरता मुर्दा मात्र ही है। सोच से मनुष्य की जि़ंदगी बनती है। विचारों से ही व्यक्ति पहचाना जाता है। इसलिए कहते हैं, सोच-समझकर सोचें, सोच ही सबकुछ है। जेम्स एलेन की एक किताब ‘ऐज़ अ मैन थिंकेथ’ में सोच के महत्व को प्रामाणिकता के साथ रेखांकित किया गया था। अक्सर हमें पता भी नहीं चल पाता कि हमने अपनी जो सोच बनाई है वो कितनी नुकसानदेह साबित हो सकती है। यह किताब हमें इस बारे में सतर्क करती है। सोच की ताकत को समझें मनुष्य अपने विचारों के जमा-तोड़ होते हैं। जैसे छोटे बीज बड़े पेड़ बन जाते हैं, उसी तरह हम वैसे ही बन जाते हैं जैसा हम सोचते हैं। एक छोटा-सा विचार किसी बड़े निर्णय का आधार बन जाता है। जो आपके जीवन को बदल सकता है। क्योंकि आपकी सोच ही आपके द्वारा किये जाने वाले कार्यों के मूल में होती है। इसकी ताकत को समझें। खुद से उम्मीदें लगायें हम जो कुछ भी करते हैं, वह पैटर्न में तब्दील हो जाता है। इन्हीं पैटर्न से हमारे व्यक्तित्व और चरित्र का निर्माण होता है। यही कारण है कि निराशावादी लोग बहुत जल्द किसी चीज़ से हार मान लेते हैं। अगर आप आत्मविश्वास से किसी चीज़ की शुरुआत नहीं कर रहे, तो आप पहले ही खुद से ज्य़ादा उम्मीदें नहीं लगा रहे हैं। जीवन की कमान संभालें जब हमारी सोच हमारे कार्यों, व्यक्तित्व और नियति को इतना प्रभावित करती है, तो हम उसको प्रबंधित और नियंत्रित करके सफल भी हो सकते हैं। आपके दिमाग में जितने भी बुरे और नकारात्मक विचार हैं, उनकी साफ-सफाई का ठीक समय यही है। निगेटिव को नॉर्मल समझने से इनकार कर लें, जूझने और अपने जीवन का नियंत्रण अपने हाथों में लेने के लिए तैयार हो जाएं। दुनिया बदल सकते हैं ये सच है कि दुनिया की परिस्थितियां हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं। लेकिन इसका उल्टा भी सच है। आपकी सोच, कार्यों और चरित्र का भी दुनिया पर कम असर नहीं पड़ता! क्योंकि हम बाहरी दुनिया के साथ निरंतर एक कार्य-कारण और सम्बंध में जुड़े होते हैं। जिन्होंने इस बात को समझा, उन्होंने ही नया इतिहास लिखा है। आप ही हैं जि़म्मेदार आप किसी व्यक्ति के चरित्र का वर्णन उसके जीवन की परिस्थितियों को देखकर नहीं कर सकते। या आप किसी के जीने के तरीके को देखकर यह अनुमान नहीं लगा सकते कि वह आने वाले समय में किन हालात में रहने वाला है। पर इतना तय है कि आप आज जिन हालात में हैं उसके लिए आप ही की सोच और एटीट्यूड जि़म्मेदार है। सोच को लेकर सावधान आप जो सोच रहे हैं उसको लेकर सतर्क रहें। बात केवल जीवन में कुछ प्राथमिकताओं को तय करने और चंद लक्ष्यों को अर्जित करने की ही नहीं है, आपकी सोच के पैटर्न का आपके व्यक्तित्व पर भी असर पड़ता है। सकारात्मक सोच का एक लम्बे और खुशहाल जीवन से सीधा सम्बंध है। वहीं नकारात्मकता आपको समय से पहले ही क्षीण कर देती है। अपने दिमाग को उर्वर बनायें अपने दिमाग को किसी बाग या खेत की तरह देखें। जो भी चीज़ उसे अधिक उपजाऊ नहीं बनाती, उससे आपको स्वयं को मुक्त कर लेना चाहिए। अगर आपको जीवन में बेहतरीन परिणाम चाहिए तो शुरुआत अपने सोचने के तरीके से करें। उम्दा बीज होगा, तो फसल भी बेहतरीन ही होगी। सोच-समझकर सोचें और उम्दा व सकारात्मक सोच का नज़रिया रखें तो परिणाम वैसा ही होगा। सोच ही सबकुछ है। जि़ंदगी सोच से बनती है। सोच की गुणवत्ता इंसान बनाती है, इंसान के व्यक्तित्व को दर्शाती है। सोच की दिशा व दशा से मनुष्य बनता है।

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