कोई भी कार्य शुरू करने से पहले…

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कोई भी कार्य शुरू करने से पहले और कोई भी कार्य पूरा करने के बाद एक मिनट साइलेंस में ज़रूर बैठें। क्यों साइलेंस में बैठना चाहिए, क्या होगा उससे? एक मिनट साइलेंस में बैठना मतलब परमात्मा से कनेक्ट होना। उससे बात करना, उससे राय लेना, और उसकी एनर्जी को अपने कर्म में इनवाइट(आमंत्रित) करना। जैसे आप किचन में खाना बना रहे हैं और उस समय आपके साथ कोई बड़ा, अपने से अनुभवी खड़ा है तो आप एक मिनट उसकी तरफ देखते हैं ना और फिर उनसे पूछते हैं कि हम ठीक कर रहे हैं कि नहीं! करते हैं ना ऐसा! वो कहते कि सब ठीक है। तो उनसे राय लेने से क्या हो गया? बड़े खड़े थे तो उनसे राय लेने से क्या हुआ? क्यों राय लें? रोज़ तो खाना बनाते हैं तो उनसे राय लेने से क्या हुआ? चेक करो। आप कोई काम कर रहे हैं और आपके साथ कोई बड़े खड़े हैं चाहे वो किचन में हैं, चाहे ऑफिस में हैं। कितने भी हम बड़े हो जायें हम अपने पैरेन्ट्स से पूछते हैं कि ये ठीक है? हाँ ठीक है। 30 सेकंड, ये ठीक है? हाँ ठीक है। बिना पूछे भी कर सकते थे। लेकिन पूछा उससे क्या फायदा हुआ? एक विश्वास हो गया कि हम सही कर रहे हैं।
एक चीज़ जीवन में ध्यान रखनी है अगर जीवन में खुश रहना चाहते हैं तो ये हमें हमेशा ध्यान रखना है कि हमारे किसी भी कर्म से कोई डिस्टर्ब नहीं होना चाहिए। किसी का मन थोड़ा भी हिले नहीं, अगर किसी और का मन मेरे किसी कर्म से अशांत हुआ तो मेरा शांत रहना डिफिकल्ट(मुश्किल) है। सिम्पल चीज़ देखो आप मार्केट में जाते हैं और आपको लगता है कि दो मिनट में आ जायेंगे, गाड़ी-स्कूटर यहीं लगाकर फटाफट जाकर आते हैं। दो लोगों को गाड़ी को ब्लॉक कर दिया। करते समय किसके बारे में सोचा? अपनी सुविधा के बारे में सोचा। वो लोग बाहर आ जायेंगे वो पाँच मिनट में हमें क्या देने वाले हैं? दो महीने बीत जायेंगे उसके अपॉजि़ट दुआयें कमाने में। किसी से भी छोटे से छोटे या बड़ा तो कहे बिल्कुल नहीं। छोटे से कर्म में भी किसी से दुआओं की अपॉजि़ट एनर्जी आनी नहीं चाहिए और अगर हर कर्म में दुआओं की एनर्जी आती रही तो खुश रहने के लिए कुछ करना नहीं पड़ेगा। तो अगर कुछ भी कर रहे हैं तो अपने फायदे से पहले किसका फायदा सोचो? मेरे इस कर्म से तो जब सब सुखी, शांत होंगे, मन सबका संतुष्ट होगा उनसे हमें कौन-सी एनर्जी मिलेगी? दुआएं। हमें ये ध्यान रखना है कि हमें कोई भी कर्म करने से पहले सिर्फ अपना फायदा नहीं सोचना। अपने से ज्य़ादा मेरी वजह से किसी और का मन डिस्टर्ब न हो ये ध्यान रखके जो आत्मा कर्म करेगी उसको सबसे दुआएं मिलती रहेंगी। आज कलियुग सिर्फ क्यों कलियुग बना क्योंकि हम सारा दिन धन कमाने के बारे में सोच रहे हैं अगर हम दुआएं कमाने के बारे में सोचेंगे तो बहुत जल्द सतयुग बन जायेगा। जैसा कर्म करेंगे वैसा फल मिलता जायेगा।
अब सबकी दुआओं के साथ-साथ हमें परमात्मा की दुआएं भी लेनी हैं। जब हम अपने बड़ों से राय लेते हैं ऐसा करें? तो वो ठीक है बोलते हैं बस, लेकिन वो ठीक है के साथ अपनी दुआएं दे देते हैं उस कर्म में। तो इसी तरह अगर हम हर बात परमात्मा से पूछ-पूछ कर करें। हम इधर जा रहे हैं, आज हमारी ये मिटिंग है, आज हम ये काम करने वाले हैं, आज हम इनसे मिलने वाले हैं, सबकुछ उनको बताओ। अगर हम कोई ऐसा काम करने जा रहे हैं जो हमारे लिए सही नहीं है तो वो हमें टच कर देगा कि इधर नहीं जाना, ये नहीं करना। ये है मेडिटेशन। मेडिटेशन मतलब परमात्मा के साथ एक डायरेक्ट पर्सनल रिलेशनशिप। जहाँ हम भी बात करेंगे और वो भी हमसे बात करेगा।
क्या बिना शब्दों का इस्तेमाल किये बात की जा सकती है? कभी-कभी हम किसी को याद करते हैं और वो भी हमें उसी समय याद करते हैं। फोन करने का सोचा तो इतने में सामने से फोन आ जाता है। हमारे माइंड में कोई सवाल था उन्होंने पहले से ही उत्तर दे दिया। तो फिर उनसे पूछेंगे कि आपको कैसे मालूम कि मैं अभी यही सोच रहा था या मेरे माइंड में यही बात चल रही थी। पहला सम्पर्क, थॉट दूसरों को पहुंचते हैं। दूसरा सम्पर्क, शब्द दूसरे सुनते हैं और तीसरा सम्पर्क व्यवहार सारे देखते हैं। लेकिन सबसे सूक्ष्म सम्पर्क हम जो सोचते हैं वो दूसरे को पहुंचता है और दूसरे जो सोच रहे हैं वो हम तक पहुंचता है। तो जब हम एक-दूसरे से थॉट के साथ सम्पर्क कर सकते हैं तो हम परमात्मा के साथ नहीं कर सकते! कर सकते हैं। जो भी मन में बात हो उससे करना।
हमने जाना कि परमात्मा निराकार है कोई देहधारी नहीं, लेकिन फिर भी वो सदा हाजि़र है। हम परमात्मा को बहुत प्यार से बाबा कहते हैं। बाबा मतलब पिता। बाबा कहते मैं बैठा हूँ,मुझे यूज़ करो। परमात्मा को सूर्य की तरह देखते हैं सूर्य बैठा है वो अपनी लाइट और अपनी पॉवर दे रहा है वो हमारी च्वाइस है कि उसकी लाइट और पॉवर को कितना यूज़ करना है। कोई धूप में बैठकर उसकी लाइट और पॉवर को ले रहे हैं। कोई उसकी पॉवर लेकर खाना बना रहा है। और कोई खिड़की बंद करके, टयूब लाइट जलाकर एसी ऑन करके बैठे हैं। उसकी लाइट एंड पॉवर को यूज़ नहीं कर रहा है। फिर उसके बाद विटामिन डी की कमी हो जाती है। तो जैसे वो सूर्य है वैसे परमात्मा भी सूर्य है। कौन-सा सूर्य है? ज्ञान का सूर्य है, शांति का सूर्य है। उससे मांगना नहीं होता कि हमें दो। हम कभी सूर्य से लाइट मांगते हैं कि दो? क्योंकि वो तो दे ही रहा है। और परमात्मा से शांति दो, शक्ति दो, प्यार दो ये सब मांगना शुरू कर देते हैं। तो उससे मांगना नहीं है वो दे रहा है बस हमें लेना है। लेकर उसको अपने जीवन में यूज़ करना है। जब यूज़ करेंगे तो खुशी और शांति की कमी पूरी हो जायेगी। परमात्मा कांस्टेंट(स्थिर) एनर्जी है। ये हमारी च्वाइस है कि हम उसे कब-कब याद करते हैं और कब-कब उससे बात करते हैं।

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