हमें लालच नहीं मेहनत करनी है

0
388

बहुत पहले की बात है एक गांव में एक कुम्हार और उसकी बीवी रहते थे। कुम्हार स्वभाव से लालची था जबकि उसकी बीवी अच्छे स्वभाव की महिला थी। कुम्हार मिट्टी के बर्तन बना कर अपने घर का गुजारा चलाता था। लेकिन वह इससे सन्तुष्ट नहीं था वह ज्य़ादा पैसे कमाना चाहता था। उसने बड़ी मेहनत से कुछ मिट्टी के बर्तन बनाए जिसे वह बेचने के लिए शहर चला गया। उसे अबकी बार अपने मिट्टी के बर्तनों का अच्छा दाम मिलने की उम्मीद थी लेकिन अबकी बार भी उसको पहले वाला ही दाम अपने बर्तनों के लिए मिल रहा था। उसने उसी दाम में अपने सभी बर्तन बेच दिए। बर्तन बेचने के बाद शाम हो गयी थी। वह उसके बाद अपने घर के लिए निकला लेकिन जाते-जाते रात हो गयी। घर जाने के लिए उसको एक जंगल से होकर गुजरना पड़ा।
जंगल में कुम्हार को एक पेड़ के ऊपर एक जिन्न नज़र आया, जिसकी एक चोटी थी। पहले तो वह जिन्न को देखकर डर गया लेकिन तभी उसको अपनी दादी की याद आयी जो उसको जिन्न के बारे में बताती थी कि यदि जिन्न की चोटी हाथ में आ जाए तो वह सब इच्छा पूरी कर देता है।
कुम्हार ने एक तरकीब सोची और जिन्न को बोला मुझे एक परी मिली थी। वह एक जिन्न से शादी करना चाहती थी लेकिन वह उसी जिन्न से शादी करेगी जिसकी एक हाथ लम्बी चोटी हो। कुम्हार की बात को सुनकर जिन्न बहुत खुश हुआ और कुम्हार को बोला मेरी एक हाथ लम्बी चोटी है। इस पर कुम्हार बोला मुझे नहीं लगता तुम्हारी चोटी एक हाथ लम्बी है। इस पर जिन्न परी से शादी करने के चक्कर में कुम्हार को अपनी चोटी दिखाने लगा तभी कुम्हार ने बड़ी चतुराई से उसकी चोटी काट ली। जिन्न बोला यह तुमने क्या किया, तुमने मुझे गुलाम बना लिया! कुम्हार बोला हाँ मैंने तुम्हारी चोटी लेने के लिए तुमसे परी वाली बात बोली।
उसने कहा कि अब तुम मेरी सारी इच्छा को पूरी कर दो। जिन्न ने बोला आप हुक्म करो। कुम्हार बोला तुम मेरे घर को बड़े आलिशान घर में बदल दो और मेरा घर जमींदार के घर के पास रख दो। जिन्न ने ऐसा ही किया उसका घर जमींदार के घर के पास रख दिया और उसका घर जमींदार के घर से भी अच्छा हो गया।
इसके बाद कुम्हार ने जिन्न से बोला तुम मेरी बीवी को गहनों से भर दो और हमारे घर में बहुत से हीरे-जवाहरात रख दो। जिन्न ने ऐसा ही किया। जब कुम्हार ने घर जाकर देखा तो वह बहुत खुश हुआ। कुम्हार ने अपनी बीवी को सारी बात बताई। कुम्हार की बीवी को किसी को कैद करना अच्छा नहीं लगा। कुम्हार ने जिन्न की चोटी को घर के एक बर्तन के अंदर छुपा दिया। इसके बाद कुम्हार और उसकी बीवी के दिन पूरी तरह बदल गए।
जमींदार की बीवी और अन्य गांव की महिलाएं कुम्हार की बीवी के गहने देखने के लिए आने लगे। कुछ दिनों के बाद दीवाली आने लगी तो कुम्हार की बीवी कुम्हार को घर की साफ-सफाई करने को बोलने लगी। कुम्हार ने कहा कि हमको घर की साफ-सफाई करने की क्या ज़रूरत है,हम यह जिन्न से करवा सकते हैं। इसके बाद उसने ताली बजाई और जिन्न हाजि़र हो गया। कुम्हार ने जिन्न को पूरे घर की सफाई करने को बोला इसके बाद जिन्न घर की सफाई करने लगा। जिन्न से सफाई करते हुए वह बर्तन गिर गया जिसमें जिन्न की चोटी थी। जिन्न ने चोटी को उठा लिया। कुम्हार ने उसको यह करते हुए देख लिया। कुम्हार ने चोटी मांगी लेकिन जिन्न इतना बेवकूफ नहीं था। उसने कुम्हार को चोटी नहीं दी और बोला तुमने चालाकी से मेरी चोटी लेकर मुझे गुलाम बना लिया था लेकिन अब मैं तुम्हारी जो पहले हालत थी वही हालत कर दूंगा। यह कहकर जिन्न ने कुम्हार का घर वैसा ही कर दिया जैसा पहले था। और उनके सारे गहने भी ले लिए। कुम्हार इससे बहुत दु:खी हो गया। कुम्हार की बीवी बोली आपके हाथ में बर्तन बनाने का हुनर है आप फिर से बर्तन बनाइये। इसके बाद कुम्हार फिर से बर्तन बनाने लगा।
शिक्षा : इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें लालच न करके मेहनत से काम करना चाहिए। जिस प्रकार कुम्हार अमीर बनना चाहता था और उसने लालच किया लेकिन बाद में उसको अपने किये की सज़ा मिल गयी।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें