मन की बातें

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प्रश्न : जब मैं देवी के भजन या गीत सुनती हूँ या नगाड़ों की थाप सुनती हूँ तो मेरा शरीर भारी होने लगता है और मैं झूमने लगती हूँ। ऐसा लगता है कि किसी और ने मेरे शरीर में प्रवेश कर लिया है। कहते हैं देवी आ गई है। हमारे गांव में कईयों को ऐसा होता है और कई बार गांव वाले कुछ पूछते भी हैं तो वो आत्मा बताती भी है। मेरे पति को और मुझे ये बिल्कुल भी पसंद नहीं है। इन गीतों नगाड़ों का मुझ पर कोई असर न हो उसके लिए क्या कोई उपाय हो सकता है?
उत्तर : बिल्कुल ये कुछ लोगों के साथ होता है। कोई शक नहीं कि ये आत्मायें ऐसे प्रवेश तो करती हैं। इसे केवल कल्पना तो नहीं माना जा सकता। पहले हम लोग भी इस पर इतना विश्वास नहीं करते थे। लेकिन जब ये बातें प्रैक्टिकल में आईं तो देखा आत्मायें आती हैं। भटकती हुई आत्माओं में कुछ अच्छी भी होती हैं, सिर्फ बुरी ही नहीं होती। ऐसी आत्मायें भी होती हैं जो दूसरों को मदद करती हैं। लेकिन इससे दिमाग कमज़ोर होता है। जिसमें प्रवेश करेगी उसका दिमाग कमज़ोर होगा। उसकी हेल्थ पर भी बुरा असर आ सकता है। कभी ऐसा भी हो सकता है कि आपका दिमाग इतना कमज़ोर हो जाये कि कोई भटकती दूर से आत्मा आपमें प्रवेश कर जाये। तो इससे बचना बहुत ज़रूरी है। जब आपको ऐसी फीलिंग हो, ऐसा होने लगे तो तुरंत ये अभ्यास शुरू कर दें कि मैं सर्वशक्तिवान की संतान, मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। लगातार इसको याद करें। मेरा ये तन, मेरा ये रथ ये तो मैं भगवान को समर्पित कर चुकी हूँ। ये और किसी के काम नहीं आ सकता। ये उसी के लिए है और ये उसी के काम आयेगा। और उसकी मुझे आज्ञा नहीं है इन सबके लिए। एक मन में रिजेक्शन हो जायेगा उसके लिए। और मास्टर सर्वशक्तिवान के अभ्यास से चारों ओर पॉवरफुल प्रभामंडल क्रियेट हो जायेगा। उसकी किरणें चारों ओर फैलने लगेंगी और कोई भी आत्मा आपमें प्रवेश करने में असमर्थ पायेगी। क्योंकि औरा इतना पॉवरफुल हो जाता है चारों ओर जैसे हम बहुत पॉवरफुल घेरे में बंध जाते हैं। कोई भी ऐसी आत्मा उस घेरे को काट नहीं सकती। तो ये हमेशा कम से कम 21 बार तुरंत बहुत शांति से बैठकर अभ्यास कर लें। मैं तो परमात्मा की संतान, सर्वशक्तिवान की संतान, मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ बस ये, आपका समाधान हो जायेगा।

प्रश्न : मेरा नाम धनंजय जायसवाल है। गांव से कई बार ऐसे समाचार मिलते हैं कि फलानी महिला जादू-टोना करती है। वो कईयों को खा गई। इसलिए पंचायत और लोग उसे सरेआम दंडित करते हैं अमानवीय तरीके से। 21वीं सदी में ये सब बड़ा अजीब लगता है। अंधश्रद्धा, अविश्वास लगता है। इस विषय पर आप प्रकाश डालें।
उत्तर : आजकल ये सब बहुत बढ़ गया है। खासकर ग्रामीण इलाकों में। वहाँ एजुकेशन की बहुत ज्य़ादा कमी है। शहरों में भी कई बार आत्मा कईयों के ऊपर ऐसा वार कर देती है और ये केसेज रोज़ सामने आते हैं कि किसी अपने ही ने कोई तंत्र-मंत्र, जादू-टोना करा दिया हो। उसका असर हो गया है। बिजनेस ठप हो गया है। बीमारियां बढ़ गई हैं। इलाज हो नहीं रहा या बच्चा पढ़ नहीं पा रहा है। ये सब भी आजकल दिखाई दे रहा है। मैंने बताया ना कि पहले तो हम इन सब बातों पर विश्वास नहीं करते थे और हमारा ज्ञान तो इन सब बातों से बहुत आगे का है, बहुत ऊपर का है। ये बातें उसकी भेंट में बहुत छोटी, बहुत निम्न स्तर की हो जाती हैं। ये देवियों की विशेष रूप से तमोप्रधान भक्ति जिसमें भूत-प्रेतों की भक्ति ये बहुत चालू हो गई है। ये भक्ति का अंतिम चरण है। लेकिन अगर हम राजयोग का अभ्यास करते हैं, अगर हम अपनी विल पॉवर को बहुत बढ़ा लेते हैं तो हम पर इन सबका कोई असर नहीं होगा। इसलिए मैं तो यही कहूँगा कि गाँव में ऐसा होता रहता है, पंचायत भी उनको दंड देती है। कभी-कभी तो निर्दोष नारी भी इसमें मारी जाती है। बदला लेने की भावना से उसे बदनाम ही करते रहते हैं। इन चीज़ों से जितना हो सके बचना चाहिए। और राजयोग के द्वारा अपनी शक्तियों को बहुत बढ़ाना चाहिए। मैं सभी को यही कहना चाहूँगा कि जो काम दूसरों के लिए कर रहे हैं वही काम कोई हमारे लिए भी करेगा। जैसा व्यवहार हम दूसरों से कर रहे हैं वैसा व्यवहार हमें भी सहना पड़ेगा। इसलिए इसे बहुत बड़ा पाप मानकर इन सब धंधों में नहीं जाना चाहिए। वैसे ही संसार में बहुत पाप बढ़ा हुआ है और पाप बढ़ाने की आवश्यकता नहीं है। अब समय है पुण्य करने का, अब समय है दूसरों को मदद करने का।

प्रश्न : कई बार कोई छींक देता है तो लोग इसको अपशगुन मानते हैं और कोई कहीं जा रहा हो तो पीछे से कोई आवाज़ दे दे तो उसे भी अशुभ कहते हैं। क्या इन सब बातों के पीछे भी कोई वैज्ञानिक आधार है या यूं ही मनगढं़त बातें हैं?
उत्तर : देखिए किसी ने छींक दिया और कोई चला गया उसका काम सफल नहीं हुआ तो कहेंगे कि तुमने छींका था या तुमने पीछे से आवाज़ दी थी। ये सिर्फ एक मान्यता है। वास्तव में तो ये कॉमन चीज़ें हैं। छींक भी एक शारीरिक प्रक्रिया है। इन चीज़ों के अंधविश्वास में मनुष्य को मन इतना भटकाना नहीं चाहिए, अच्छे विचार करें। और जब घर से निकल रहें हों तो विशेष करके ये अभ्यास कर लें मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, मैं विघ्न विनाशक हूँ। सफलता मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है। मुझे तो सफलता मिलेगी ही, मेरे साथ तो स्वयं भगवान है। तो सुन्दर विचारों के साथ घर से निकलेंगे। अर्थात् सुन्दर वायब्रेशन के साथ घर से निकलेंगे तो ये वायब्रेशन हमारे हर कार्य को इफेक्ट करेंगे। कहीं भी हमारा अकल्याण नहीं होगा।

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