मुख पृष्ठसमाचारआत्म निर्भर किसान अभियान का शुभारंभ

आत्म निर्भर किसान अभियान का शुभारंभ

आत्म निर्भर किसान अभियान का शुभारंभ करते हुए भ्राता के. के.अग्रवाल संभागीय अध्यक्ष  भारत कृषक समाज,भ्राता डॉ ब्रजेश अरजरिया बोर्ड मेम्बर एवम कृषि सलाहकार, ब्रह्मा कुमारी भावना सेवा केंद्र प्रभारी, बीके वर्षा, बीके भूमि, बीके संतोष, बीके संदीप कृषक।

जबलपुर ,मध्य प्रदेश।  शुद्ध अन्न ही शुद्ध मन का निर्माण करता है और शुद्ध मन के द्वारा ही श्रेष्ठ सृजन की परिकल्पना साकार रूप ले सकती है,उपरोक्त उदगार  बी के भावना दीदी ने  आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर योजना के अंतर्गत संस्था के कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग द्वारा आयोजित  “आत्म निर्भर किसान अभियान” के अंतर्गत  प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय भंवरताल के सभागार में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि आत्म निर्भर किसान तभी हो सकता है जब वह आत्मा की शक्ति को जान ले अर्थात अपने अंदर निहित मूल्यों की स्मृति से वह पुनः स्वयम को मूल्यनिष्ठ बनाकर समाज के श्रेष्ठ सृजन में अपनी सहभागिता दे सकता है। अत्यधिक रासायनिक खाद के उपयोग के कारण धरती माता का हृदय भी विदीर्ण होता जा रहा है। के.के.अग्रवाल संभागीय अध्यक्ष भारत कृषक समाज ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज आवश्यकता है पुनः वैज्ञानिक पद्धति के साथ प्राचीन प्रयोगों के द्वारा कृषि कार्य मे परिवर्तन करने की,तथा प्राचीन कृषि परंपरा को जीवित रखने की,आपने बताया कि हजारों किसान भाई आपके सानिध्य में गाये आधारित कृषि पद्धति को अपना कर रासायनिक खाद का कम से कम प्रयोग कर खेती कर रहे है। डॉ ब्रजेश अरजरिया बोर्ड मेम्बर एवम कृषि सलाहकार ने कहा कि आज हमे कृषि कार्य मे वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाकर उसके साधनों  पर आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता है प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग जैवविविधता,जल व्यवस्थापन की सही पद्धति के द्वारा ही हम सात्विक पौस्टिक एवम गुण वर्धक अन्न का उत्पादन कर सकते है। बी के वर्षा बहिन ने अभियान के विषय मे प्रकाश डाला आपने बताया कि यह अभियान गाँव गाँव भ्रमण करता हुआ किसान भाइयों को रासायनिक खाद रहित कृषि करने एवं  स्वयं को आध्यात्मिकरूप से सशक्त बनाने के लिए प्रेरित करेगा।उन्होंने कहा कि राजयोग एक ऐसी औषधि है कि वह हमारे मन की बीमारियों को दूर कर उसे उमंग उत्साह और पवित्रता से भरपूर कर देती है आपने किसान भाइयों को योगिक खेती करने का आह्वान किया ,बताया कि योगिक खेती अर्थात परमात्मा की याद में रहकर कृषि कार्य करना जिससे उसका प्रभाव फसलो पर भी पड़े ताकि उसका उपभोग करने पर हमारा मन भी शुद्ध और शांत रह सके। बी के नरेश श्रीवास ने आत्म निर्भर किसान  विषय पर कविता का वाचन किया,बहन राहत,माही,भूमिका ने स्वागत नृत्य एवम आभार बी के सन्दीप ब्यौहार ने और संचालन बी के संतोष चक्रबर्ती ने किया।

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