एक दिन एक लड़के को अपने बगीचे में टहलते हुए एक टहनी से लटकता हुआ एक तितली का कोकून दिखाई दिया। अब हर रोज़ वो लड़का उसे देखने लगा, और एक दिन उस लड़के ने नोटिस किया कि उस कोकून में एक छोटा-सा छेद बन गया है। उस दिन वो वहीं बैठ गया और घंटों तक उसे देखता रहा। उसने देखा कि तितली उस खोल से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रही है, पर बहुत देर तक कोशिश करने के बाद भी वो तितली उस छेद से नहीं निकल पायी, और फिर वो बिल्कुल शांत पूर्वक हो गयी मानो जैसे कि उसने हार मान ली हो।
इसलिए उस लड़के ने निश्चय किया कि वो उस तितली की मदद करेगा। फिर उस लड़के ने एक कैंची उठायी और कोकून के छेद को इतना बड़ा कर दिया कि वो तितली आसानी से बाहर निकल के आ सके। और फिर यही हुआ कि तितली बिना किसी संघर्ष के बहुत आसानी से बाहर निकल कर आ गयी, पर उसका शरीर सूजा हुआ था और उसके पंख भी सूखे हुए थे।
वो लड़का उस तितली को ये सोच कर देखता रहा कि तितली किसी भी समय अपना पंख फैला का उडऩे लगेगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इसके बाद बेचारी तितली कभी भी उड़ ही नहीं पाई और फिर तितली को अपनी बाकी की जि़ंदगी इधर-उधर घिसटते हुए बितानी पड़ी। वो लड़का अपनी दया और जल्दबाजी में ये नहीं समझ पाया कि दरअसल कोकून से निकलने की प्रक्रिया को प्रकृति ने इतना कठोर इसलिए बनाया है ताकि ऐसा करने से तितली के शरीर में मौजूद तरल उसके पंखों में पहुंच सके और वो छेद से बाहर निकलते ही उड़ सके।
वास्तव में कभी-कभी हमारे जीवन में संघर्ष ही वो चीज़ होती है जिसकी हमें सचमुच बहुत ज़रूरत होती है। यदि हम बिना किसी संघर्ष के सब कुछ पाने लगेंगे तो हम भी एक अपंग के समान हो जायेंगे। फिर हम किसी भी मेहनत और संघर्ष के कभी उतने मजबूत नहीं बन पाएंगे जितनी हमारी क्षमता है। इसलिए जीवन में आने वाले कठिन पलों को अच्छे दृष्टिकोण से देखिये वो आपको कुछ ऐसा सीखा जाएंगे जो आपकी जि़न्दगी की उड़ान को मुमकिन बना पायेंगे।