परमात्म ऊर्जा

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सारे ज्ञान का सार 6 शब्दों में बुद्धि में आने से सारा ज्ञान रिवाइज़ हो जाता है। तो नशा कम होने कारण निशाना ऊपर-नीचे हो जाता है। अभी-अभी फुल फोर्स में नशा रहता, अभी-अभी मध्यम हो जाता है। नीचे की स्टेज तो खत्म हो गई ना। नीचे की स्टेज क्या होती है, उसकी अविद्या होनी चाहिए। बाकी श्रेष्ठ और मध्यम की स्टेज। मध्य की स्टेज में आने के कारण रिज़ल्ट व निशाना भी मध्यम ही रहेगा। वर्तमान समय अपनी स्मृति की स्टेज में, सर्विस की स्टेज- दोनों में अगर देखो तो रिज़ल्ट मध्यम दिखाई देती। मैजारिटी कहते हैं- जितना होना चाहिए उतना नहीं है। उस मध्यम रिज़ल्ट का मुख्य कारण यह है कि मध्यकाल के संस्कारों को अभी तक पूरी रीति भस्म नहीं किया है। तो यह मध्यकाल के संस्कार अर्थात् द्वापर काल से लेकर जो देह-अभिमान व कमज़ोरी के संस्कार भरते गये हैं उनके वश होने कारण मध्यम रिज़ल्ट दिखाई देती है।
कम्पलेन भी यही करते हैं कि चाहते नहीं हैं लेकिन संस्कार बहुत काल के होने कारण फिर हो जाता। तो इन मध्यकाल के संस्कारों को पूरी रीति भस्म नहीं किया है। डॉक्टर लोग भी बीमारी के जर्मस(कीटाणु) को पूरी रीति खत्म करने की कोशिश करते हैं। अगर एक अंश भी रह जाता है तो अंश से वंश पैदा हो जाता। तो इसी प्रकार मध्यकाल के संस्कार अंश रूप में भी होने कारण आज अंश है, कल वंश हो जाता है। इसी के वशीभूूत होने कारण जो श्रेष्ठ रिज़ल्ट निकलनी चाहिए वह नहीं निकलती। कोई से भी पूछो कि आप अपने आप से सन्तुष्ट, अपने पुरुषार्थ से, अपनी सर्विस से व अपने ब्राह्मण परिवार के सम्पर्क से सन्तुष्ट हो, तो सोचते हैं। भले हाँ करते भी हैं लेकिन सोच कर करते हैं, फलक से नहीं करते। अपने पुरुषार्थ में, सर्विस में और सम्पर्क में- तीनों में ही सर्व आत्माओं के द्वारा सन्तुष्टता का सर्टिफिकेट मिलना चाहिए। सर्टिफिकेट कोई कागज पर लिखत नहीं मिलेगा लेकिन हरेक द्वारा अनुभव होगा। ऐसे सर्व आत्माओं के सम्पर्क में अपने को सन्तुष्ट रखना व सर्व को सन्तुष्ट करना इसी में ही जो विजयी बनते हैं वही अष्ट देवता विजयी रत्न बनते हैं।
दो बातों में ठीक हो जाते, बाकी जो यह तीसरी बात है उसमें यथा शक्ति और नम्बरवार हैं। हैं तो सभी बातों में नम्बरवार लेकिन इस बात में ज्य़ादा हैं। अगर तीनों में संतुष्ट नहीं तो श्रेष्ठ व अष्ट रत्नों में नहीं आ सकते। ‘पास विद ऑनर’ बनने के लिए सर्व द्वारा सन्तुष्टता का पासपोर्ट मिलना चाहिए। सम्पर्क की बात में कमी पड़ जाती है।
सम्पर्क में सन्तुष्ट रहने और सन्तुष्ट करने की बात में पास होने के लिए कौन-सी मुख्य बात होनी चाहिए? अनुभव के आधार से देखो, सम्पर्क में असंतुष्ट क्यों होते हैं? सर्व को सन्तुष्ट करने के लिए व अपने सम्पर्क को सन्तुष्ट करने के लिए व अपने सम्पर्क को श्रेष्ठ बनाने के लिए मुख्य बात अपने में सहन करने की व समाने की शक्ति होनी चाहिए।

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