जानें… पुण्य आत्मा कैसे बनें

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पुण्य बहुत आवश्यक चीज़ है। क्योंकि अभी पाप अपनी चरम सीमा पर पहुंचा हुआ है। काम वासना सबसे बड़ा पाप है। भगवान ने कह दिया कि काम महाशत्रु है। काम, क्रोध अग्नि है जो उस आत्मा को भी जलाती है जिसको अग्नि नहीं जला सकती।

हम चर्चा कर रहे हैं मानसिक रोगों की। और पिछले अंक में हमने गुह्य रहस्य बताये कि मानसिक रोग उनको ज्य़ादा हो रहे हैं जिनका विकर्मों का खाता बहुत ज्य़ादा है। क्योंकि अब ये कल्प का अन्त आ गया है। कलियुग का अंत आ गया है और सभी आत्माओं को अपना हिसाब-किताब, कर्मों का हिसाब-किताब चुक्तू करके वापिस अपने धाम परमधाम को जाना है।
अब ये समझ लेना चाहिए करने वाले को कि कर्मों का रिटर्न अवश्य होता है। और अब समय आ गया है क्योंकि घर, अपने धाम वापिस चलना है, जहाँ से हम आये थे। तो खाते यहीं चुक्तू करने होंगे इसलिए चुक्तू करने की गति तेज़ हो गई है। लोग तो महाविनाश की बात करते ही हैं। वल्र्ड वार की बात करते हैं। वो अभी जल्दी नहीं होगा, वो अभी होंगे और बंद होंगे। लेकिन ये कर्मों की सज़ा सबको यहीं मिलनी है। जो हिन्दू फिलॉस्फर में माना जाता है कि धर्मराज के द्वारा सज़ायें मिलती हैं। वो पार्ट प्रारम्भ हो गया है और तेज़ी से बढ़ता जायेगा।
तो बहुत लोग पास में आते हैं और बताते हैं- एक लेडी आई और बताया कि उठते ही मेरा ब्रेन बिल्कुल डल रहता है। और कई घंटे डल रहता है। मैं ऐसे पड़ी रहती हूँ जैसे डेड। एक्टिव ही नहीं होता ब्रेन! कुछ करने की इच्छा ही नहीं होती। मैंने कहा कि डिप्रेशन का भारी लक्षण आपको नज़र आ रहा है। अभी से ही ठीक कर लो।
इसको ठीक करने की विधि हम बता रहे हैं। आप सभी उसको ध्यान से सुन लेंगे और जिसको कोई भी लक्षण दिखाई देता हो, एंग्ज़ाइटी बहुत होती हो, गहरी चिंता, चाहे डर बहुत लगता हो, चाहे डिप्रेशन होता हो, चाहे मन बहुत परेशान रहता हो, चाहे रात को नींद न आती हो। कोई भी मानसिक रोग हो उसको हमें कुछ विधियों से ठीक करना है। मेडिसिन भी आप भले लेते रहें। मेडिसिन भी आपको मदद करेंगी। लेकिन स्पिरिचुअली आपको ठीक करना है और मैं राय दूंगा आपको कि ये ईश्वरीय ज्ञान ले लें और राजयोग का अभ्यास सीख लें। हालांकि हम जानते हैं कि मानसिक रोगों में मेडिटेशन बहुत कम हो पाता है। पर हम कुछ और विधि आपको सजेस्ट कर रहे हैं ताकि आप मेडिटेशन तक भी पहुंच सकें। और इन मानसिक रोगों से आप मुक्त हो सकें। इस अभ्यास से बहुत से लोग ठीक हुए हैं क्योंकि उन्होंने इसमें विश्वास रखा। इसमें विश्वास की बहुत ज्य़ादा ज़रूरत है। हम कोई छोटी-सी विधि बतायें और मनुष्य कहे कि इससे क्या होगा, बहुत बड़े-बड़े डॉक्टर्स से कुछ नहीं हुआ, ये तो हमने करके देख लिया। नहीं, होगा, अपने सब्कॉन्शियस माइंड की पॉवर का यूज़ करना है। और बहुत पॉजि़टिव रहना है। और जो बहुत गहरे डिप्रेशन में चले जाते हैं तो उनसे भी ये काम होता नहीं। तो इस काम के लिए उनके किसी प्रियजन को बैठना होगा ताकि इन चीज़ों पर हम विजय प्राप्त कर सकें। हमें अपना पुण्यों का खाता भी बढ़ाना होगा। पुण्य बहुत आवश्यक चीज़ है। क्योंकि अभी पाप अपनी चरम सीमा पर पहुंचा हुआ है। काम वासना सबसे बड़ा पाप है। भगवान ने कह दिया कि काम महाशत्रु है। काम, क्रोध अग्नि है जो उस आत्मा को भी जलाती है जिसको अग्नि नहीं जला सकती। तो हमें पुण्यों का खाता बढ़ाना है तो दूसरों को सुख देना, किसी की मदद कर देना, दूसरों की दुआयें लेना, ऐसे कार्य करने हैं। भगवान के कार्यों में सहयोग देना, अपने मुख से अच्छे वचन बोलना। पवित्र भोजन करना इस तरह के कार्य हमें करने होंगे।
मैं कुछ और आपको कहना चाहता हूँ- मनुष्य जब बहुत अच्छा सोचता है, तब वो आनंद में है, वो बहुत खुश है, आपने ऐसे दिन देखे होंगे कि कहीं बच्चे का बर्थडे मनाया जा रहा है, कहीं बहुत सुन्दर फंक्शन हो रहा है। जिसमें सब आनंदित हैं। जब मन आनंदित होता है तो ब्रेन के भिन्न-भिन्न केन्द्रों से रसायन का स्राव होता है, जो मनुष्य को हेल्दी रखता है। ब्रेन के लिए भी वो टॉनिक बन जाता है। और जो लोग बहुत निगेटिव हैं- मनुष्य जो उदास रहने लगा है, जिसको चिंताओं का रोग लग गया है, जो बहुत भयभीत रहने लगा है, उसके ब्रेन के केन्द्रों से और शरीर की ग्रंथियों से भी बहुत गंदे, निगेटिव, ज़हरीले रसायन का स्राव होता है। जो हेल्थ को बिगाड़ते हैं और ब्रेन की शक्तियों को भी नष्ट करते हैं। इसलिए बहुत खुश रहना, अपने चित्त को बहुत हल्का रखना, अच्छी शांति का अनुभव करना, बात-बात पर जो ज्य़ादा सोचने की, चिंता करने की, टेंशन में रहने की आदत है इसको ठीक करना ये परम आवश्यक है।
एक घटना आपको सुनाता हूँ, कोई परिवार मिलने आया था कि मेरे पापा बहुत बीमार हैं। कई बीमारी बता दीं। जो मानसिक चीज़ों से जुड़ी हुई है। मैंने कहा, आपके पापा टेंशन में बहुत रहते हैं क्या? कहते कि इतनी टेंशन है कि अगर हमने पानी नहीं पिया तो परेशान हो जाते हैं। टेंशन में आ जाते हैं कि पानी नहीं पी रहे हो, पानी क्यों नही पी रहे हो। कहा कि हम पानी पीते हैं अच्छी तरह से पीते हैं। लेकिन उनको टेंशन में रहने की आदत पड़ गई है।
तो सबसे पहले हम विधि आपके सामने रखते हुए अपने को बहुत पॉजि़टिव करेंगे और याद रखेंगे हमारा पॉजि़टिव चिंतन हमारे उज्जवल भविष्य का निर्माण करेगा। जितने पॉजि़टिव रहेंगे, जितने प्रसन्न रहेंगे और दूसरों को प्रसन्नता देंगे, खुश रहना और खुशी बांटना, अपने घर के माहौल को खुशनुमा जितना बनायेंगे मानसिक रोग आपके द्वार पर फटकेंगे नहीं। मेंटली आप बहुत हेल्दी रहेंगे।

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