प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर रायपुर में अपने नियमित सदस्यों के लिए 5 जनवरी से ब्रह्मा बाबा के समान सम्पूर्ण फरिश्ता भव: विषय पर तीन दिवसीय गहन योग साधना कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस गहन योग साधना कार्यक्रम में मधुबन तपोभूमि से पधारे ब्रह्माकुमार सूरज भाई ने आज ब्रह्मा वत्सों की बहुत ही सारगर्भित क्लास कराई और सभी को भट्ठी का लक्ष्य स्पष्ट किया। उसी क्लास का सार यहाँ पर आप सबके लाभार्थ प्रस्तुत कर रहे हैं
भाग्य बनाने के लिए निमित्त और निर्माण भाव तथा निर्मल स्वभाव जरूरी… बीके सूरज भाई
रायपुर, छत्तीसगढ़: शान्ति सरोवर रिट्रीट सेंटर रायपुर (छत्तीसगढ़) में भाईयों की योगभट्ठी का शुभारम्भ बीके सूरज भाई, ज्ञान सरोवर की बीके गीता दीदी, पुणे के बीके संदीप भाई और रायपुर संचालिका बीके सविता दीदी द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया।
उद्घाटन सत्र में क्लास कराते हुए ब्रह्माकुमार सूरज भाई ने कहा कि समय, श्वास और संकल्प यह तीन खजाने बाबा ने हमको यज्ञ में सफल करने के लिए दिए हैं। किन्तु अगर हमारे जीवन में निमित्त और निर्माण भाव तथा निर्मल स्वभाव नहीं है तो हमारा भाग्य नहीं बनता है। इन तीनों बातों का अभाव हमें आगे बढऩे नहीं देते और हमारी अध्यात्म की राह में अवरोध पैदा करते हैं। निमित्त और निर्माण भाव तथा निर्मल स्वभाव अध्यात्म की बुनियाद (नींव) हैं। इन्हें धारण करने से जीवन योगयुक्त बनता है। यह बाबा के नजदीक पहुंचने में भी मददगार हैं। इसका आधार है स्वमान और स्वमान में स्थिति तब बनती है जब हम स्वमान को मन से स्वीकार करते हैं। सिर्फ उसे रटना नहीं है। बाबा ने हमें अनेक स्वमान दिए हैं। जैसे कि आप सृष्टि की महान आत्मा हो, हीरो एक्टर हो, सृष्टि को बल देने वाली हो, इस जहान् के नूर हो आपके बिना जहान् वीरान हो जाता, आप मास्टर ज्ञानसूर्य हो आपकी किरणों से माया के कीटाणु नष्ट हो रहे हैं, आप इष्ट देव और देवी हो जिनकी मन्दिरों में पूजा हो रही है, आपके जैसा भाग्यवान दुनिया में दूसरा कोई नहीं है, आप मास्टर सर्वशक्तिवान हो, आपने शक्ति के बल पर माया को बारम्बार जीता है, आप कल्प-कल्प के विजयी आत्मा हो, आप पवित्रता के फरिश्ते हो, आपको इस संसार को दु:खों से मुक्त करना है, आप साधारण आत्मा नहीं हो आदि-आदि। सारे दिन में कम से कम एक बार इन स्वमानों का अभ्यास जरूर करना है।
बीके सूरज भाई ने आगे कहा कि स्वमान के एक-एक महान संकल्प हमारे अनेक व्यर्थ संकल्पों को समाप्त करने में सक्षम हैं। बाबा ने अव्यक्त वाणी में कहा है कि आप व्यर्थ को अवाईड करो तो अवार्ड मिलेगा। इसलिए व्यर्थ को समाप्त करना हमारा लक्ष्य बन जाना चाहिए क्योंकि जब कोई लक्ष्य बना लेता है तो वह उसे छोड़ने का पुरुषार्थ करता है। उन्होंने बतलाया कि हमारे हर संकल्प में एनर्जी समाहित होती है। जब हम स्वमान के संकल्प करते हैं तो उससे बहुत ज्यादा एनर्जी पैदा होती है। विचार करें कि मैं देवकुल की महान और निर्विकारी आत्मा हूँ। यह कल्पना नहीं है। यह सत्य है कि हम देव कुल में सम्पूर्ण निर्विकारी थे। इसे दिल से स्वीकार करें। इससे पॉजिटिव एनर्जी पैदा होगी जो कि हमारे ब्रेन में जाएगी। इससे हमारा अनकांसियश माइण्ड (अन्र्तचेतना) जागृत हो जाएगी। जब हम संकल्प करते हैं कि मैं देवकुल की आत्मा हूँ तो हमारे अन्दर देवत्व जागृत हो जाएगा। स्वमान को बढ़ाएंगे तो व्यर्थ पीछे छूट जाएगा। व्यर्थ संकल्प हमें कमजोर बनाते हैं। उन्होंने कहा कि मन का काम है विचार करना। इसलिए अच्छा होगा कि हम उसे संकल्प दें अन्यथा वह स्वत: ही व्यर्थ संकल्प करने लगेगा। हम संकल्प देंगे तो उसकी भागदौड़ समाप्त हो जाएगी। मैंने किया, मैं करता हूँ, यह चीज मेरी है आदि विचार छोटे विचार हैं। माताओं को बच्चों से बहुत लगाव होता है जो कि नेचुरल है। लेकिन हमेशा सोचो कि पिछले जन्म में मेरे बच्चे यह नहीं बल्कि दूसरे थे। अगले जन्म में भी यह नहीं बल्कि दूसरे लोग बच्चे बनेंगे। तो मोह निकल जाएगा। बच्चों को पालना, बड़ा करना और योग्य बनाना आपकी ड्यूटी है। इसलिए वह सब करो किन्तु उनसे लगाव नहीं रखो।
बीके सूरज भाई ने कहा कि किसी भी कार्य को मैं कर रहा हूँ यह मत सोचो। हमेशा सोचो कि करन करावनहार बाबा करा रहा है। हमारी बागडोर बाबा ने अपने हाथ में ले ली है। अगर मैं पन आया तो यह मैं पन की दीवार बाबा की शक्तियों को हमारे अन्दर प्रवेश नहीं करने देगी। इसलिए मैं पन की दीवार पैदा नहीं करो। बाबा करा रहा है यह भाव पक्का करो। निमित्त भाव को बढ़ाएं। कोई भी कार्य भारी पड़ रहा हो तो उसे बाबा को सौंप दें। आपका काम आसान हो जाएगा। कार या बाईक में बैठ रहे हों तो बैठने से पहले बाबा का आह्वान करो फिर उसमें बैठो और गन्तव्य में पहुंचने पर बाबा का धन्यवाद करो कि उन्होंने आपको सकुशल पहुंचा दिया।
उन्होंने बतलाया कि हमारी श्रेष्ठ स्थिति और उनसे फैलने वाले प्रकम्पन सैकड़ों आत्मा की सुरक्षा करेंगे। प्रकम्पन श्रेष्ठ बनेंगे स्वमान से। जितना स्वमान बढ़ेगा उतना अभिमान और मैं पन खत्म होगा। आप जितना स्वमान में रहेंगे उतना आपको सम्मान मिलेगा। जो बच्चे स्वमान में रहते हैं तो ज्ञानसूर्य की किरणें उनकी छत्रछाया बनकर रक्षा करेंगी। स्वमान की सीट में सेट रहने वाले बच्चों का जिम्मेदार बाबा है। जो अपसेट रहते हैं वह अपना जिम्मेदार स्वयं होते हैं। अमृतबेले से अपनी शुरूआत श्रेष्ठ स्वमान से करो। अमृतबेले को अच्छा बनाने के लिए रात्रि का भोजन हल्का और जल्दी कर लेना चाहिए। ताकि सुबह जब उठें तो तरोताजा रहें। उठते ही स्वमान के संकल्प करें। जिनका अमृतवेला सफल होगा उनका पूरा कल्प सफल होगा। बाबा से हमें क्या-क्या मिला है वह याद करें। उसके लिए बाबा का शुक्रिया करें। जो कुछ मेरे पास है वह प्रभु की देन है। हमारे मन में अभिमान, ईर्ष्या, द्वेष होने से हमारे बोल बिगड़ जाते हैं। क्रोध मनुष्य की क्षमता को कम कर देते हैं। इसलिए भावनाओं को सुन्दर बनाएं। सबके लिए शुभ कामनाएं रखें। हमारे बोल दूसरों को प्रोत्साहित करने वाले हों। दूसरों की अच्छाइयों को एप्रीसिएट करें।