छतरपुर,मध्य प्रदेश। ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा पेप्टेक टाउन में राष्ट्रीय पर्यटन दिवस पर शिपिंग एविएशन बीइंग के अंतर्गत मेरी संस्कृति मेरी पहचान प्रोजेक्ट के तहत नमस्ते थीम पर कार्यक्रम किया गया l इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी रीमा बहन ने कहा कि हमारे ग्रंथो में हर जगह आता है नमः हम देवी देवताओं के आगे नमः एवं नमन करते हैं हमारी भारतीय संस्कृति की यह पहचान है नमस्कार की मुद्रा में हाथ जोड़कर सिर झुका कर हृदय से नतमस्तक होते हैं जिसका अर्थ है हम विवेक से भी काम करते हैं दिल से कार्य करते हैं और हर कार्य के लिए हाथों से सहयोग करते हैं हाथ जोड़ते हैं l यह हमारी भारतीय संस्कृति में अभिवादन का भी तरीका है हमारी संस्कृति हमें नमस्कार करना सिखाती है सुबह आंख खुलते ही हमें धरती को प्रणाम करना सिखाती है l अपने घर के बड़ों को प्रणाम करना सिखाती है एक दूसरे के प्रति आदर का तरीका है कहा जाता है l एक प्रणाम कार्य के प्रमाण को भी बदल सकता है एवं नमस्ते का अर्थ बताते हुए कहा यह शब्द संस्कृत के नमस् शब्द से निकला है। इस भावमुद्रा का अर्थ है एक आत्मा का दूसरी आत्मा से आभार प्रकट करना। नमस्ते हमारी संस्कृति और संस्कार है नमस्ते हमें झुकना तथा एक दूसरे का सम्मान करना सिखाती है एवं पर्यटन भारत की आर्थिक व्यवस्था बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाती है, इसलिए हमें पर्यटन के स्थान को कभी भी भूलना नहीं चाहिए l उनका साफ सुथरा रखना चाहिए उनका महत्व बढ़ाना चाहिए और आए हुए पर्यटकों का भी सम्मान करना चाहिए, अंत में सभी बहनों ने नमस्ते करके अपनी शुभकामनाएं तथा सम्मान की भावनाएं व्यक्त की l
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