कोई बद्दुआ दे तो क्या करें…

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बाबा ने कहा लेने वाले तो आप हो, देने वाला लेने वाला नहीं है, देने वाला सिर्फ देने वाला है। लेने वाले तो आप हो ना! अगर वो बुरी चीज़ देता है, दु:ख देता है, अशान्ति देता है, तो बुरी चीज़ है ना! तो कोई आपको बुरी चीज़ दे तो आप लेंगे क्या?

आप परमात्मा के बच्चे हैं, दाता के बच्चे, दाता हो ना! तो दाता का काम क्या होता है? देना। तो सबसे अच्छी चीज़ है दुआयें देना। कैसा भी व्यक्ति हो लेकिन है तो आपका भाई या बहन ना! हम एक परमात्मा के बच्चे भाई-बहन हैं। एक ही माँ के पेट से निकले दो बच्चे भी एक-दूसरे को दुआ नहीं देते हैं, इसका एक ही रिज़न है दाता के बजाय लेने वाले बन गये। रिश्तों में सिर्फ यही रिज़न है, देने वाले। एनर्जी देने वाले हर रिश्ते में आज हम लेने वाले। हमें सबसे चाहिए… चाहिए। अगर बद्दुआ वाले को आप दुआ देंगे, वो दे या न दें लेकिन आप दुआ देंगे तो दु:ख क्यों होगा! जब उसको दुआ दी तो खुद की स्थिति क्या हो जायेगी? अगर यह हम न करें तो उसकी निगेटिव एनर्जी हमें दु:खी कर देगी। मैं उसके लिए निगेटिव सोचता जाऊं, सोचता जाऊं, वो ज़हर हम खुद ही पी रहे हैं। जो चिंतन कर रहा है वो खुद ही पी रहा है। ज्ञान का मंथन करेंगे, अच्छी-अच्छी बातों का मंथन करेंगे वो भी खुद ही पीने को मिलेगा। दूसरों की कमज़ोरियों का मंथन करेंगे वो भी हमारी ही प्रोपर्टी बन जायेगी। इसलिए बाबा ने कहा अगर बद्दुआ देने वाले को भी आप दुआ देंगे, वो दे न दे लेकिन आप दुआ देंगे तो दु:ख क्यों होगा? ये तो अपनी प्रोटेक्शन हो गई ना! बाबा आप बच्चों को एक वरदान देता है। वरदान याद रखेंगे तो सदा खुश रहेंगे, ब्लेसिंग। तो परमात्मा एक वरदान देता है। वरदान देता है कि अगर कोई आपको दु:ख दे तो भी आप दु:ख लेना नहीं। वो दे लेकिन आप नहीं लेना। क्योंकि देने वाले ने तो दे दिया लेकिन लेने वाले तो आप हो ना! लेकिन बाबा ने कहा लेने वाले तो आप हो, देने वाला लेने वाला नहीं है, देने वाला सिर्फ देने वाला है। लेने वाले तो आप हो ना! अगर वो बुरी चीज़ देता है, दु:ख देता है, अशान्ति देता है, तो बुरी चीज़ है ना! आपको दु:ख पसंद है? नहीं पसंद है? ये तो बुरी चीज़ हो गई, तो बुरी चीज़ ली जाती है क्या? तो कोई आपको बुरी चीज़ दे तो आप लेंगे क्या? कोई आपको ऐसी गिफ्ट दे जो अच्छी चीज़ नहीं है, नहीं लेंगे ना! लेकिन लेते क्यों हो फिर? अगर दु:ख ले लेते हो तो दु:खी कौन होता है? उन्होंने निगेटिव एनर्जी भेजी अगर आपने अटेन्शन नहीं रखा तो आपने मेरी निगेटिव एनर्जी रिसीव कर ली। आप दुआयें नहीं दे रहे थे तो मेरी निगेटिव आपको पहुंच जायेगी। फिर दु:खी कौन होता है? आप होते हैं या वो होता है? लेने वाला ज्य़ादा दु:खी होता है ना! अगर अभी से दु:ख लेंगे नहीं तो आपका आधा दु:ख तो दूर हो जायेगा। लेंगे ही नहीं। और आप दु:ख की बजाय उसको सुख देंगे अगर, तो दुआयें मिलेंगी। तो सुखी भी रहेंगे और दुआओं का खज़ाना भी भरपूर होता जायेगा। हर आत्मा से कैसी भी हो आप दुआयें लो। शुभ भावना, शुभ कामना रखो।

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