अंबाला: विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक वक्ता शिवानी दीदी जी का कार्यक्रम 

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“भगवान को भाग्य विधाता कहा जाता है, भाग्य विधाता मतलब भाग्य लिखने वाला नहीं भाग्य लिखने का हमें सबको विधान सिखाने वाला भाग्य विधाता है”

अंबाला, हरियाणा : विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक वक्ता राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी जी का कार्यक्रम ब्रह्माकुमारी राजयोग शाखा कंचघर, अम्बाला शहर द्वारा  संगीत पैलेस, हिसार रोड,अंबाला शहर में किया गया। जिसका विषय “सीक्रेट्स ऑफ गॉड , कर्मा एंड डेस्टिनी” था। कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। इस अवसर पर शहर की जानीमानी हस्तिया मौजूद रही। विधायक असीम गोयल जी ने अपने शहर अम्बा मां की धरनी अंबाला पहुंचने पर सिस्टर शिवानी दीदी जी का स्वागत किया। और कहां दीदी की सरल वाणी सभी के दिलों को छू लेती है, इतना ओजस्वी व्यक्तित्व, साक्षात् देवी स्वरूप है शिवानी दीदी।

राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी कहा की हर रोज कोई ना कोई एक ऐसी बात सामने आती है कि हम सोचते है ऐसा कैसे हो सकता है, ऐसा कोई कैसे कर सकता है, ऐसा किसी के भी साथ कैसे हो सकता है तो मन में प्रश्न उठते हैं कि यह सब कौन डिसाइड करता है और बचपन से सीखा है तो हमेशा उंगली स्वाभाविक रूप से ऊपर की ओर जाती है कि जो कुछ हो रहा है वह प्रभु की मर्जी से हो रहा है। जो कुछ हो रहा है वह ईश्वर की भावी और कभी-कभी किसी के घर में कोई हादसा होता है। परिवार का कोई सदस्य अचानक शरीर छोड़ देता है, और उस समय लोग आते हैं और कहते हैं क्या करें यह तो ईश्वर की मर्जी थी। अभी-अभी उस परिवार ने शायद अपना बच्चा खोया है और लोग आकर कहते हैं ईश्वर की मर्जी थी। ऐसा ईश्वर उस समय कैसा लगेगा? उस क्षण के लिए उस ईश्वर से प्यार करने की बजाय क्या आएगा मन में? नाराजगी आएगी या नहीं? आएगी, तो जिस समय हमें भगवान की सबसे ज्यादा जरूरत होती है कभी-कभी उस समय हम उससे नाराज हो जाते हैं क्योंकि हम सोचते हैं कि जो हो रहा है वह उसकी मर्जी से हो रहे हैं या हमने उससे कहा था कि ठीक कर दो फिर भी उसने ठीक नहीं किया ऐसा कैसा  भगवान है और वह सब इसलिए होता है क्योंकि हमने कभी भी इन बातों के बारे में  ठीक से सोचा नहीं होता है।

हम सोचते हैं की जो कुछ हो रहा है वह ईश्वर की मर्जी से हो रहा है पत्ता पत्ता भी ईश्वर की मर्जी से हिलता है। उन्होंने कहा 1 मिनट के लिए अपनी आंख बंद करो और सोचो एक ऐसी दुनिया जहां हर चीज ईश्वर की मर्जी से हो रही है एक ऐसी दुनिया जिसमें हर एक का भाग्य भगवान लिख रहा है, हर एक का स्वास्थ्य, हर एक के मन की स्थिति, हर एक के रिश्ते, प्रकृति की हर चीज भगवान लिख रहा है। सिर्फ एक दृश्य लो उस दुनिया का कि वह दुनिया कैसी होगी। जिसमें हर एक का भाग्य परमात्मा लिख रहा है तो हर एक का भाग्य कैसा होगा और यह दुनिया कैसी होगी एक शब्द में उत्तर चाहिए। पब्लिक से जवाब आया सुंदर, परफेक्ट। तो फिर कितने लोग सृष्टि पर बीमार होंगे, कितने बच्चे पैदा ही सृष्टि पर बीमारी के साथ होंगे, कितने रिश्ते टूट रहे होंगे, भगवान भाग्य लिख रहा है सड़क पर कितने एक्सीडेंट होंगे, मौसम कैसा होगा सारी सृष्टि पर, कितने मन उदास होंगे, परेशान होंगें, निराश होंगे, डर रहे होंगे, घबरा रहे होंगे, भगवान भाग्य लिख रहा है, और बाकी जो बड़ी बड़ी चीजे हो रही है वो सब अलग, युद्ध हो रहे है, कोविड आ रहा है ये भगवान लिख रहा है। येस और नो क्या कहता है आपका मन ये सब भगवान लिख रहा है। अगर आपको पावर मिले कि आप अपने बच्चों का भाग्य लिखें कैसा भाग्य लिखेंगे कल 102 बुखार हो। कौन-कौन रेडी है, अपने बच्चों के भाग्य में ये लिखने के लिए। आपके बच्चे का स्वास्थ्य हमेशा कैसा रहेगा अगर आप भाग्य लिखेंगे, परफेक्ट। मन कैसा रहेगा परफेक्ट। क्लास में कौन सा रैंक आएगा फर्स्ट। क्योंकि आप लिख रहे हैं और अगर आपके दो बच्चे हैं एक तो बहुत आज्ञाकारी है और एक थोड़ा मस्ती करता रहता है नटखट है लेकिन आपको तो दोनों का भाग्य लिखना है तो आप एक का अच्छा और दूसरे का कम अच्छा लिखेंगे। हां, ना के पता नहीं? नहीं लिखेंगे, इसका मतलब एक मात-पिता वह भी मनुष्य आत्मा जो अपने-अपने संस्कारों से चलती हुई आत्मा भी अपने बच्चों का भाग्य परफेक्ट लिखेंगे और दूसरा दोनों बच्चों का एक बराबर भाग्य लिखेगी कहीं भी कम ज्यादा नहीं लिखेंगे।

इस समय सृष्टि पर भाग्य ना तो परफेक्ट चल रहा है और एक बराबर तो बिल्कुल भी नहीं चल रहा है किसी का शरीर 100 वर्ष तक निरोगी है कोई एक रोग के साथ पैदा हुआ है कोई ऐसे घर में पैदा हुआ है जहां 10 लोग उसका लाड प्यार कर रहे हैं, और कोई बच्चा आया है उसके मात-पिता भी नहीं है। कोई ऐसे घर में आया है, जिसे अपना प्लेन है और कोई ऐसे घर आया है जहां रोटी भी नहीं है। कितना इक्वल है तो यह किसने डिसाइड किया किसका भाग्य कैसा होगा। कौन, कौन से घर में जाएगा अगर यह भगवान डिसाइड करता है तो उससे ज्यादा अनफेयर तो कोई है नहीं। इसलिए सोचो भगवान को भाग्य विधाता कहा जाता है। भाग्य विधाता मतलब भाग्य लिखने वाला नहीं, भाग्य लिखने का विधान सिखाने वाला भाग्य विधाता है। वह हमें राइट कर्म करना सिखाते है, श्रेष्ठ भाग्य बनाना सिखाते है लेकिन भाग्य लिखने की मर्जी और भाग्य लिखने की शक्ति उसने किसको दी? वो उसने हमें दी। दो चीज/दो बातें  हमने बचपन से सुनी। एक हमने सुना कि जो कुछ हो रहा है वह परमात्मा की मर्जी से हो रहा है, हमने कहा हां जी। दूसरा हमने सुना जो कुछ हो रहा है वह हमारे कर्मों का परिणाम है, उसके लिए भी हमने कहा हां जी। विचार करने वाली बात है अगर परमात्मा भाग्य लिखेंगे तो एक समान एक बराबर लिखेंगे। और अगर कर्मों से हमारा भाग्य बन रहा है तो हमारे सारे कर्म श्रेष्ठ है इसलिए हमारा भाग्य इतना अच्छा है। हमने कभी किसी को गलत बात कही है तो वही बात हमारे पास वापस आ जाती है। कर्म  हमारे सबके अलग-अलग है, इसलिए भाग्य भी हम सबका अलग-अलग है। तो दोनों में से क्या लगता है कौन सी बात राइट है तो आज से जब भी मन यह कहे कि मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ? तो हमेशा देखते हैं कि हम उंगली किसी सामने वाले पर रखते है, छोटी-छोटी चीजों में हम कहते हैं इसकी वजह से उसकी वजह से, तो हम एक्चुअली स्वयं के अलावा सब जगह उंगली रखते हैं। आज से ये जो मेरे साथ हो रहा है वह किसकी वजह से हो रहा है? मेरी वजह से हो रहा है। जैसा मेरा कर्म वैसा मेरा भाग्य। जो हम क्रिएट करते हैं और हमसे निकल कर बाहर आता है वे  कर्म है। सिर्फ व्यवहार नहीं वह सोच जो किसी को दिखाई नहीं देती वह भी मेरा कर्म है। अगर कोई बात बोलने लायक नहीं है तो वह बात सोचने लायक भी नहीं है कर्मों का हिसाब किताब शरीर का नहीं आत्मा का है। हमने जो कर्म किए हैं वह वर्तमान में वापस आ रहे हैं। इस समय जो हम सोचते हैं बोलते हैं और व्यवहार करते हैं यह हमारे वर्तमान कर्म है। हम जो वर्तमान में कर्म करेंगे वह वापस भविष्य बनकर आएगा। उन्होंने कहा जहां जरूरत ना हो वहां ध्यान नहीं जाना चाहिए। 

आजकल का हमारा सबसे नया संस्कार फोटो खींचना है और जैसे ही सामने से हमारी फोटो खींचेंगे हम एकदम अच्छे हो जाएंगे। लेकिन सारा दिन एक और फोटो खींच रही हैं और वो ऐसी फोटो है जो एडिट नहीं हो सकती, डिलीट नहीं हो सकती, चेंज नहीं हो सकती। खींचती जा रही है खींचती जा रही है और सामने कोई कैमरा लेकर भी खड़ा नहीं है जो हमें याद आए की खींच रही है, वो कहां खींच रही है फोटो हम सबको पता है ना कहा खींच रही है। मैने कुछ सोचा क्लिक मैने कुछ बोला क्लिक मैने कुछ किया डबल क्लिक। वो फोटो हमारी मस्तक पर विराजमान आत्मा में खींच रही है। मेरी हर सोच, मेरा हर व्यवहार, मेरी हर भावना एक भी ऐसा नहीं है जो रिकॉर्ड नहीं हो रहा है। अगर हमें ये याद रहेगा की हमारी हर पल रिकॉर्डिंग हो रही है। तो हमारा हर कर्म बहुत ही परफेक्ट और अच्छा होगा। रिश्ते बोल ओर व्यवहार से नहीं बनते है, रिश्ते सोच से बनते है। रिश्तो में जो मिलावट है हमें वह खत्म करनी है। अंदर और बाहर सच्चाई सफाई चाहिए। 

हम में से बहुत लोगों को यह जानने की उत्सुकता होती है कि हमारे साथ आगे क्या होने वाला है, लेकिन यह जानने से हमारा क्या फायदा होगा। अगर हमें कोई बताता है कि अगले 6 महीने मैं आपको आपका कोई अपना धोखा देगा। तो ये जानने से आपको क्या फायदा होगा। और ही आप उसी क्षण से सबको इसी नजर से देखने लग जाएंगे कि कहीं यह तो नहीं मुझे धोखा देगा। इसलिए अपने आने वाले कल के बारे में होने वाली  संभावना को जानने से हमें सिवाए डर के कमज़ोरी के कुछ हासिल नहीं होयेंगा। अगर रिश्ता मजबूत रखना है तो सच्च बोलना चाहिए सच भी प्यार व सम्मान से बोलना.

आचार्य स्वामी राजेश्वरानंद जी ने कहा प्रभु को जिन्होंने साक्षात अपने अंदर उतार लिया है ऐसी महान राजयोगिनी बहन हमारे सामने साक्षात बैठे है।उनका में दिल से अभिनन्दन करता हू। उन्होंने कहा सभी दुखों से ऊपर उठने का एकमात्र जरिया है ब्रह्मचर्य जीवन। उन्होंने ब्रह्माकुमारी द्वारा सिखाए जाने वाले राजयोग का महत्व बताते हुए कहा कि ये ऐसा योग है जो हमें कर्मेंद्रिय व इंद्रियों का राजा बना दे।

कुमारी सना ने बहुत सुंदर नृत्ये की प्रस्तुति दी। राजेश भाई ने बहुत सुन्दर गीत गाया।   


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