क्या मेरा मन दो मिनट खुद से बात करके या उससे(परमात्मा) बात करके ठीक नहीं हो सकता? हो सकता है या नहीं? लेकिन बार-बार हमारी डिपेंडेंसी किस तरफ जा रही है? इसलिए पहला होमवर्क हम पहले फोन कॉल्स पर रिस्ट्रिक्ट करते हैं।
सुपोज़ आपके फोन की बैटरी कम हो, आपको बात करनी हो तो आप कैसे बात करते हैं? बैटरी दिख रही है कम है, बीप-बीप बज रही है और फोन आ गया सामने से तो आप क्या बोलते हैं सामने वाले को कि तू जल्दी बोल मेरी बैटरी कम है। अगर फोन के लिए ये बोल सकते हैं कि जल्दी बोल मेरी बैटरी कम है तो अपने लिए भी बोल सकते हैं, जल्दी बोल मेरी बैटरी कम है। कर सकते हैं कि नहीं कर सकते! कथा नहीं बनानी है अपनी बातों की, ये हुआ, वो हुआ। काम की बात ना दो लाइन की होती है सिर्फ। शब्दों पर संयम। अतिश्योक्ति नहीं। ये खालीपन की निशानी है। ये अटेन्शन सीकिंग बिहेवियर है कि हम अगर ज्य़ादा बोलते हैं तो सारी दुनिया का अटेन्शन हमारी तरफ जाता है। कम, परमात्मा कहते हैं कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो। तो ऑटोमेटिकली हर लाइन क्या बन जायेगी? दुआ बन जायेगी। पहले जब ये वाले फोन नहीं थे तो हमारे रिट्रीट सेंटर में फोन बूथ पर जाना पड़ता था बात करने के लिए। तो जहाँ डायल करते हैं ना वहाँ ही एक पोस्टर लगाया हुआ था – कम बोलो, धीरे बोलो, मीठा बोलो। एक भाई उसको पढ़ रहा था और फोन हाथ में था। मैंने पूछा क्या हुआ? तो वो बोला कम भी बोलना है, धीरे भी बोलना है! मुझे अभी तक उसका चेहरा याद आ जाता है और कहता मीठा भी बोलना है! मैंने कहा हाँ तो। कहता बोलना क्या है? फिर उसने फोन ही नहीं किया। कहता है नो नीड इट। कंसर्व एनर्जी(ऊर्जा संरक्षण)। हमने आज सोचा कि जितना हम लोगों से बातें करते हैं उतना खुशी मिलती है क्योंकि हम अपनी खुशी ना इन बाहर की चीज़ों में ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। जैसे ही मन उदास होता है किसी को फोन कर देते हैं। कहते हैं इनसे बात करूंगा ना तो मेरा मन ठीक हो जायेगा। क्यों? मेरा मन किसी और से बात करके क्यों ठीक होगा? क्या मेरा मन दो मिनट खुद से बात करके या उससे(परमात्मा) बात करके ठीक नहीं हो सकता? हो सकता है या नहीं? लेकिन बार-बार हमारी डिपेंडेंसी किस तरफ जा रही है? इसलिए पहला होमवर्क हम पहले फोन कॉल्स पर रिस्ट्रिक्ट करते हैं। जैसे ही आप किसी का फोन नम्बर डायल करेंगे तो पहले से ही डिसाइड कर लें कि कितनी देर बात करनी है। आपको पता है किस काम के लिए आपने फोन किया। जहाँ तक हो सके मैसेजेस। एनर्जी सेफ। और जब बात करनी है तो एक मिनट साइलेंस में बैठकर उनको अच्छी एनर्जी भेजकर फिर उस फोन कॉल्स को स्टार्ट कीजिए, और फिर हर लाइन का जवाब पॉजि़टिव वायब्रेेशन से कॉन्शियसली देना शुरू करिए। मतलब अपनी डे्रस को व्हाइट रखिए। ध्यान, थोड़े दिन ध्यान रखना पड़ता है सिर्फ। उसके बाद वो हमारी बन जायेगी आदत। कोई भी आदत चेंज की जा सकती है ना। आजकल हम सिर्फ अपने बारे में ही नहीं बात कर रहे होते हैं, हम किसी के भी बारे में बात करते हैं। फिर हम जो देश में चल रहा है उसके बारे में बात करते हैं। वो एक इन्सीडेंट हो गया। जिससे बात करते हैं सुना तुमने क्या हुआ? देखा, पता है क्या हुआ? हम उसी चीज़ को बार-बार दोहराते रहते हैं। बिना रियलाइजेशन के कि हमारी एनर्जी वेस्ट हो रही है। उस चीज़ पर मेरा कोई कन्ट्रोल नहीं। मेरा उसमें कोई रोल नहीं। हम उसके लिए कुछ कर नहीं सकते। हम सिर्फ एक चीज़ कर सकते हैं। वो बात देश में हुई है या दुनिया में हुई है उसके लिए भी बस दो मिनट साइलेंस में बैठकर परमात्मा से कनेक्ट करके उधर भी दुआ भेजी। उसके लिए प्रार्थना कीजिए, उसके लिए मेडिटेशन कीजिए। हम बातें करते हैं उसके बारे में। तो एक कम बोलेंगे, ऑटोमेटिकली धीरे बोलेंगे, जब ज्य़ादा सोचते हैं तो बहुत फास्ट बोलते हैं फिर पता भी नहीं चलता कि आप क्या बोल रहे हैं। बहुत सारे थॉट्स आते हैं, बाहर शब्दों के रूप में। और जब मीठा बोल रहे हैं मतलब दुआ दे रहे हैं। मीठा मतलब स्वीटनेस नहीं। मीठा मतलब हाई वायब्रेशन वाले वर्डस। कोई कुछ भी बोले कि बहुत कुछ गड़बड़ हो रहा है तो कहें डॉन्ट वरी सब परफेक्ट होगा। आप उसको वरदान दो आपका सब परफेक्ट होगा। जितना वरदान देते जायेंगे सामने वाला एक थॉट क्रियेट करेगा कि अच्छा सब परफेक्ट होगा? बेशक, सब परफेक्ट होगा। फिर वो थोड़ी देर बाद आपको फोन करेगा और कहेगा कि आपने बोला था कि सब परफेक्ट होगा ओर हो गया। और आप भी बन गये सिद्धि पुरूष। आपने बोला और हो गया। कोई भी बन सकता है ये। सिर्फ वोबोल रहे हैं दुआ दे रहे हैं। कन्विक् शन से दे रहे हैं। इन्नेटली दे रहे हैं। सिर्फ बोलने के लिए नहीं बोल रहे हैं। फेथ के साथ बोल रहे हैं। उस आत्मा को ब्लैसिंग दे रहे हैं कि ये निश्चित है कि परमात्मा आपके साथ है आपके साथ सब परफेक्ट ही होना है। तो ये एक भाषा है। स्पिरिचुअलिटी ना एक भाषा है।हम हिन्दी, इंग्लिश, गुजराती ये सब भाषाएं सिखते हैं स्पिरिचुअलिटी भी एक भाषा है। एक ऐसी भाषा जिसमें हमारे शब्द ऊपर की ओर शिफ्ट होने लगते हैं। और जब वो शिफ्ट होते हैं ऊपर की ओर वायब्रेशन्स वाइस तो उसके अन्दर के दाग, उसके अन्दर की मैल, उसके अन्दर की मिलावट वो क्या होती जाती है? परमात्मा कहते हैं वो आत्मायें शक्तिशाली रहेंगी जो सच्चाई और सफाई के साथ चलती हैं, अन्दर-बाहर साफ। अब अपने शब्दों को चेक करना कोई मिलावट, कोई हेर-फेर, कोई इधर थोड़ा सा चेंज। थोड़ा सा ऐसे मोल्ड, थोड़ा सा ताना, थोड़ा सा इनडायरेक्ट सुनाना, थोड़ा सा सामने वाले को बोलकर नीचे गिराना।ये सारे शब्द दुआ के ऑपोजि़ट होते हैं। दुआ दूसरे को भी ऊपर उठा लेगी और उस तरह की भाषा दूसरे को भी नीचे लेकर आयेगी। क्योंकि हम खुद नीचे आये हैं। दुआ असंभव को संभव बना देती है। आपको लगता है ऐसे? सिर्फ बोलने की लाइन है या सच में होती है? सच में होती है। क्यों? दुआ असंभव को संभव कैसे कर देती है? क्योंकि दुआ एक हाई पॉवर वायब्रेशन्लस एनर्जी है। और किसी भी सिचुएशन को क्रॉस करने के लिए एनर्जी चाहिए होती है।जैसे किसी के पास बहुत पैसा हो तो लोग कहेंगे कि इसके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है।ये तो कुछ भी कर सकता है। क्यों कर सकता है? क्योंकि सामने वाले के पास पॉवर ऑफ मनी है। किसी के पास पॉजिशन होती है। कहते हैं इसके लिए तो कुछ भी मुश्किल नहीं है, ये तो कुछ भी करवा सकता है। क्योंकि उसके पास पॉवर ऑफ पोजिशन है। तो पॉवर ऑफ मनी कुछ कर सकती है, पॉवर ऑफ पॉजिशन कुछ करसकती है तो पॉवर ऑफ द माइंड कुछ कर सकता है या नहीं कर सकता? तीनों में से कौन सी ज्य़ादा इम्र्पोटेंट है। मनी, पॉजिशन या माइंड? पता हमें सबकुछ है फिर भी हम पहले दो की बात पर ही रहते हैं सारा दिन। कहते हैं सबसे बनाकर रखें। पता नहीं कब कौन काम आ जाये। इतनी नेटवर्किंग और कॉन्टेक्ट बनाते रहते हैं सारा दिन। आपको पता है कर्म साथ ना दे रहे हों, जिस समय परिस्थिति आयेगी घर के लोग भी साथ नहीं होंगे, कहीं-कहीं ट्रैवल कर रहे होंगे, दूसरा तो कौन याद आयेगा उस टाइम।लोगों से कनेक् शन बनाकर लोग टाइम पर काम नहीं आते हैं। नहीं आते है माना कोई होते नहीं हैं, कोई बाहर गया होता है, कोई कुछ होता है। लेकिन अगर जीवन में दुआयें इक_ी करके रखीं होंगी ना तो जब प्रॉब्लम आयेगी तो अन्जान व्यक्ति भी हेल्प करके काम करके चला जायेगा। होता है या नहीं? पहले अपने जीवन को चेक करो। सब जिनके साथ कनेक्शन बनाये थे। उसको फोन करेंगे, उसको फोन करेंगे, मैं यहाँ नहीं हूँ, मैं तो ट्रैवलिंग कर रहा हूँ। हम कहेंगे कि अब क्या करें। पॉवर ऑफ कॉन्टेक्ट्स कुछ नहीं कर सकता है। पैसा तो बहुत कुछ नहीं कर सकता है वो पिछले तीन साल में देख ही लिया। लेकिन दुआयें कोई अन्जान व्यक्ति आयेगा न हमें जानता होगा, न पहचानता होगा, न कोई पहचान होगी निमित्त बनकर हमारा काम करके चला जायेगा। हम कहेंगे कि हमारे जीवन में ये हमारे लिए फरिश्ता बनकर आया। ये फरिश्ता आया कैसे? ये फरिश्ता मैंने अपनी दुआओं से कमाया था। कमाया था, ऐसे नहीं आ सकता फरिश्ता। इसलिए लोग कहते हैं किसी की दुआ लगी है। अचानक से असंभव संभव हो जाता है। लोग कहते हैं किसी की दुआ लगी है। दुआ फ्री में नहीं मिलती। दुआ अपने कर्मों से कमाई जाती है। और अगर कुछ ऑपोजि़ट हो जाता है तो कहेंगे पता नहीं किसी की नज़र लगी है। आपको लगता है किसी की नज़र लगती है? लगती है या नहीं लगती? कल किसी फंक्शन पर गये थे, बच्चे को भी लेकर गये थे। चार लोगों ने कहा कि बड़ा प्यारा बच्चा है। बड़ा प्यारा बच्चा है। अगले दिन वो बच्चे ने थोड़ी सी छींक मार दी, ओह नज़र लग गई बच्चे को कल किसी की। हमारे लॉ वायब्रेशन एनर्जी थॉटॅस हैं ये। ये हमारे बहुत ही लॉ वायब्रेशन थॉट हैं। फटाफट उसके चारों तरफ मिर्ची घुमायेंगे, उसको काला तिलक लगायेंगे ये करेंगे किसी की नज़र लग गई। वैसे अगर कोई प्यार से बोलता है कि कितना प्यारा बच्चा है वो निगेटिव नहीं सोच रहा पहली बात। अगर उस फंक् शन में 200 लोगों में 4 लोगोंने कुछ निगेटिव सोच भी लिया, निगेटिव माना ईष्र्या से। लेकिन सौ लोगों ने अच्छा भी सोचा होगा। अगर मेरे पास 100 अच्छी थॉट्स आ रही हैं और 4 निगेटिव थॉट्स हैं तो नेट एनर्जी मेरे पास कौन सी आ रही है? 96 तो पॉजि़टिव ही आ रही हैं। फिर पॉजि़टिव का रिज़ल्ट पॉजि़टिव होना चाहिए। लेकिन उस 100 की तरफ मेरी फ्रिक् वेंसी टयूंड है ही नहीं। मेरी फ्रिक् वेंसी टयूंड किस तरफ है इनको मुझसे प्रॉब्लम है, लोगों को मुझसे प्रॉब्लम है, मुझे नज़र लग जाती है। मेरी तबियत खराब हो जाती है। मेरा ये हो जाता है। जैसा सोचेंगे वैसा होता जायेगा। एक कवच रोज़ पहनकर रखना है। क्योंकि ये हमारे आस पास बहुत सारे वायब्रेशन्स हैं। वायब्रेशन्स का ये नहीं कि लोग हमारे लिए निगेटिव सोचते हैं। वायब्रेशन्स ये कि लोग निगेटिव एनर्जी मे ंजी रहे हैं। तो वायब्रेशन्स वाइस वातावरण बहुत ही दूषित है। तो रोज़ सुबह जैसे अपनी डे्रस पहनते हैं तो एक संकल्प ज़रूर करना है परमात्मा की शक्तियां और दुआयें मेरे चारों तरफ एक एनर्जी सर्कल है। ड्रॉ करें इसको अभी। आपको मन से करना है हाथ से नहीं करना है। जैसे एक ककून होता है ना उसमें सेफ होते हैं हम। लोगों की थॉट सिर्फ एक थॉट है। और थॉट को बचाने के िलए सिर्फ एक थॉट चाहिए। लोहा लोहे को काटता है, सोच सोच को काटती है। हम कहते हैं कि अरे इतना सा बनाकर हम बच जायेंगे।ऑफकोर्स। क्योंकि जो आ रहे हैं वो भी वायब्रेशन्स हैं, और ये भी वायब्रेशन्स हैं। ये हाईअर वायब्रेशन है, और वो लॉ वायब्रेशन हैं। हाईअर वायब्रेशन क्रियेट करके रख दो। लॉअर वायब्रेशन तो उसके अन्दर जा ही नहीं सकती है। जा ही नहीं सकती है। आप सबके बीच में घूम के आ जाओ किसी का दाग आपको नहीं लगेगा क्योंकि आपने चारों तरफ क्या पहन लिया? जैसे कोविड के टाइम पर वो पहनते थे ना पीपीई किट। पहनों और आईसीयू में भी जाकर आ जाओ। लेकिन वो प्रोटेक्शन शील्ड है। वो वायरस नहीं आ सकता। तो क्या लाइन करेंगे? परमात्मा की शक्तियां और दुआयें मेरे चारों तरफ सुरक्षा कवच है। इसको विज्वुअलाइज़ करना है। डिवाइन लाइट सर्कल इसको अपने चारों तरफ बनाना है। कभी भी नहीं घर से बाहर जाना इसको पहने बिना। मतलब मुझे इस व्हाइट ड्रेस को प्रोटेक्टेड रखना है तो मैंने इसके चारों तरफ सर्कल बना लेना है। चाहे कोई नज़दीक आयेगा भी जिसका थोड़ा सा हाथ मैला है, लेकिन वो इसपर टच नहीं कर सकेगा। सिर्फ एक सर्कल बनाने से। इतनी पॉवर है इसके अन्दर। क्योंकि जब परमातमा की दुआओं को अपने जीवन में भरते हैं तो दूसरों की लॉअर वायब्रेशन एनर्जी उसके सामने क्या करने वाली है। लेकिन उनकी लॉअर वायब्रेशन एनर्जी को अपने लाइफ में लाते हम हैं। क्योंकि हम उनके वायब्रेशन्स पर चले जाते हैं। पता नहीं इनको मेरे से क्या प्रॉब्लम है। हमें उनकी वायब्रेशन्स पर जाना पड़ता है तब वो हमारी लाइफ में वो एनर्जी हीट होती है। तो नज़र किसी और की नही लगती है हमें। आपको पता है हमें किसकी नज़र लगती है? तो दुआ भी हमने कमाई होती है, और नज़र भी हमने ही कमाई होती है। और जिसके ऊपर परमात्मा की नज़र हो उसे दुनिया की नज़र कैसे लग सकती है। है पॉसिबल? लॉअस्ट वायब्रेशन के पास तो कोई शक्ति ही नहीं होती इन्फ्लूएन्स करने की। हम ही डिस्टर्ब होकर इधर उधर जाते रहते हैं। फिर हम अपने घर में अलग अलग चीज़ें टांगते रहते हैं। जैसे वो चीज़ें हमारे घर को बचायेगी। कृपया याद रखें कि वो एक वायब्रेशन है। एक फिजि़कल चीज़ एक वायब्रेशन को नहीं रोक सकती। आपके वायब्रेशन ही वायब्रेशन को रोक सकती है।