एक ऐसी भाषा जिसमें हमारे शब्द ऊपर की ओर शिफ्ट होने लगते हैं और जब वो शिफ्ट होते हैं ऊपर की ओर वायब्रेशन्स वाइस तो उसके अन्दर के दाग, उसके अन्दर की मैल, उसके अन्दर की मिलावट वो क्या होती जाती है? परमात्मा कहते हैं वो आत्मायें शक्तिशाली रहेंगी जो सच्चाई और सफाई के साथ चलती हैं, अन्दर-बाहर साफ।
पिछले अंक में आपने पढ़ा कि मीठा मतलब हाई वायब्रेशन वाले वर्डस। कोई कुछ भी बोले कि बहुत कुछ गड़बड़ हो रहा है तो कहें डॉन्ट वरी सब परफेक्ट होगा। आप उसको वरदान दो आपका सब परफेक्ट होगा। जितना वरदान देते जायेंगे सामने वाला एक थॉट क्रियेट करेगा कि अच्छा सब परफेक्ट होगा? बेशक, सब परफेक्ट होगा। फिर वो थोड़ी देर बाद आपको फोन करेगा और कहेगा कि आपने बोला था कि सब परफेक्ट होगा और हो गया। और आप भी बन गये सिद्धि पुरूष। आपने बोला और हो गया। कोई भी बन सकता है ये। अब आगे…
सिर्फ वो बोल रहे हैं, दुआ दे रहे हैं। दृढ़ विश्वास से दे रहे हैं, स्वाभाविक तौर पर दे रहे हैं। सिर्फ बोलने के लिए नहीं बोल रहे हैं। फेथ के साथ बोल रहे हैं। उस आत्मा को ब्लैसिंग दे रहे हैं कि ये निश्चित है कि परमात्मा आपके साथ है, आपके साथ सब परफेक्ट ही होना है। तो ये एक भाषा है। स्पिरिचुअलिटी एक भाषा है। हम हिन्दी, इंग्लिश, गुजराती ये सब भाषाएं सीखते हैं, स्पिरिचुअलिटी भी एक भाषा है। एक ऐसी भाषा जिसमें हमारे शब्द ऊपर की ओर शिफ्ट होने लगते हैं और जब वो शिफ्ट होते हैं ऊपर की ओर वायब्रेशन्स वाइस तो उसके अन्दर के दाग, उसके अन्दर की मैल, उसके अन्दर की मिलावट वो क्या होती जाती है? परमात्मा कहते हैं वो आत्मायें शक्तिशाली रहेंगी जो सच्चाई और सफाई के साथ चलती हैं, अन्दर-बाहर साफ।
अब अपने शब्दों को चेक करना कि कोई मिलावट, कोई हेर-फेर, कोई इधर थोड़ा-सा चेंज। थोड़ा-सा ऐसे मोल्ड, थोड़ा-सा ताना, थोड़ा-सा इनडायरेक्ट सुनाना, थोड़ा-सा सामने वाले को बोलकर नीचे गिराना। ये सारे शब्द दुआ के ऑपोजि़ट होते हैं। दुआ दूसरे को भी ऊपर उठा लेगी और उस तरह की भाषा दूसरे को भी नीचे लेकर आयेगी। क्योंकि हम खुद नीचे आये हैं। दुआ असंभव को संभव बना देती है। आपको लगता है ऐसे? सिर्फ बोलने की लाइन है या सच में होती है? सच में होती है। क्यों? दुआ असंभव को संभव कैसे कर देती है? क्योंकि दुआ एक हाई पॉवर वायब्रेशन्ल्स एनर्जी है। और किसी भी सिचुएशन को क्रॉस करने के लिए एनर्जी चाहिए होती है।
जैसे किसी के पास बहुत पैसा हो तो लोग कहेंगे कि इसके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं है। ये तो कुछ भी कर सकता है। क्यों कर सकता है? क्योंकि सामने वाले के पास पॉवर ऑफ मनी है। किसी के पास पॉजिशन होती है। कहते हैं इसके लिए तो कुछ भी मुश्किल नहीं है, ये तो कुछ भी करवा सकता है। क्योंकि उसके पास पॉवर ऑफ पोजिशन है। तो पॉवर ऑफ मनी कुछ कर सकती है, पॉवर ऑफ पॉजिशन कुछ कर सकती है तो पॉवर ऑफ द माइंड कुछ कर सकता है या नहीं कर सकता? तीनों में से कौन-सी ज्य़ादा इम्र्पोटेंट है- मनी, पॉजिशन या माइंड? पता हमें सबकुछ है फिर भी हम पहले दो की बात पर ही रहते हैं सारा दिन। कहते हैं सबसे बनाकर रखें। पता नहीं कब कौन काम आ जाये। इतनी नेटवर्किंग और कॉन्टेक्ट बनाते रहते हैं सारा दिन।
आपको पता है कर्म साथ ना दे रहे हों, जिस समय परिस्थिति आयेगी घर के लोग भी साथ नहीं होंगे, कहीं-कहीं ट्रैवल कर रहे होंगे, दूसरा तो कौन याद आयेगा उस टाइम! लोगों से कनेक्शन बनाकर लोग टाइम पर काम नहीं आते हैं। नहीं आते हैं माना कोई होते नहीं हैं, कोई बाहर गया होता है, कोई कुछ होता है। लेकिन अगर जीवन में दुआयें इक_ी करके रखीं होंगी ना तो जब प्रॉब्लम आयेगी तो अन्जान व्यक्ति भी हेल्प करके, काम करके चला जायेगा। होता है या नहीं? पहले अपने जीवन को चेक करो। सब जिनके साथ कनेक्शन बनाये थे। उसको फोन करेंगे, उसको फोन करेंगे, मैं यहाँ नहीं हूँ, मैं तो ट्रैवलिंग कर रहा हूँ। हम कहेंगे कि अब क्या करें। पॉवर ऑफ कॉन्टेक्ट्स कुछ नहीं कर सकता है। पैसा तो बहुत कुछ नहीं कर सकता है, वो पिछले तीन साल में देख ही लिया। लेकिन दुआयें, कोई अन्जान व्यक्ति आयेगा न हमें जानता होगा, न पहचानता होगा, न कोई पहचान होगी निमित्त बनकर हमारा काम करके चला जायेगा। हम कहेंगे कि हमारे जीवन में ये हमारे लिए फरिश्ता बनकर आया। ये फरिश्ता आया कैसे? ये फरिश्ता मैंने अपनी दुआओं से कमाया था। कमाया था, ऐसे नहीं आ सकता फरिश्ता। इसलिए लोग कहते हैं किसी की दुआ लगी है। दुआ फ्री में नहीं मिलती। दुआ अपने कर्मों से कमाई जाती है।