लॉ यही कहता – ”जैसा करोगे वैसा भरोगे”…

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थोड़ा बहुत तो हरेक को शौक होता है कि अगर हमें स्पष्ट रूप से पता लग जाये कि हम कहाँ आयेेंगे, कैसे आयेंगे, क्या बनेंगे तो अच्छा होगा। लेकिन लॉ यह है कि ”जैसा करोगे वैसा भरोगे” ” जैसा बोओगे वैसा काटोगे” और बोया जाता है आज और काटा जाता है भविष्य में।

जैसा कि पिछले अंक में आपने पढ़ा कि अभी ब्रह्माकुमार-कुमारी बनते हैं, उसके बाद वह विश्व के महाराज कुमार और महाराज कुमारियां बनते हैं, तो यह हमारा भविष्य है। वर्तमान में अगर कोई के लक्षण ठीक हैं तो वह विश्व के राज्य का अधिकारी बनेगा। अगर वह यहाँ ही फेल हो गया तो भविष्य में राज्य कहाँ से मिलेगा? अब आगे…
कई लोग यह सोचते हैं कि हम भविष्य में क्या बनेंगे? यह कोई हमें बताये। कभी बाबा से बोलने का हमें मौका मिले तो हम बाबा से पूछें कि बाबा हम पहले लक्ष्मी-नारायण के टाइम आयेंगे, दूसरे या तीसरे में आयेंगे, उनके परिवार में नज़दीक होंगे या क्या बनेंगे? थोड़ा बहुत तो हरेक को शौक होता है कि अगर हमें स्पष्ट रूप से पता लग जाये कि हम कहाँ आयेेंगे, कैसे आयेंगे, क्या बनेंगे तो अच्छा होगा। लेकिन लॉ यह है कि ”जैसा करोगे वैसा भरोगे”, ”जैसा बोओगे वैसा काटोगे” और बोया जाता है आज और काटा जाता है भविष्य में। अगर आप हो ही ठीक नहीं तो बनोगे क्या? तो इस प्रकार के प्रश्न पूछना ही फालतू है। जो हो उसके अनुसार बनोगे। कर्म का विधान है। कर्म की गति से हमारी सद्गति होगी। अगर अभी हमारे लक्षण ठीक नहीं हैं तो भविष्य भी हमारा ठीक नहीं है, तो कितनी बड़ी बात है! तो हमारी जो प्रैक्टिकल लाइफ है वह इतनी निर्मल हो, इतनी शक्तिशाली हो, ज्ञान की हमारे में इतनी स्प्रिट(धारणा) हो। योग की इतनी अपने में शक्ति हो, दिव्य गुण हममें इतने भरपूर हों जो उसका दूसरों पर प्रभाव पड़े। तब वह बदलेंगे, जो वचन वह बोलेगी वह इतने शक्तिशाली होंगे जैसे बाबा कहते हैं जौहर भरी तलवार जैसे होती है। वह दूसरे को लग जाये, असर करे। तो ब्रह्माकुमार-ब्रह्माकुमारी बनना माना कोई सफेद वस्त्र पहन लेना यानी लिख लेना या सेन्टर पर रहने की बात नहीं है लेकिन जो हमारी प्रैक्टिकल लाइफ है वह शक्तिरूपा हो, वह पवित्ररूपा हो।
पवित्रता और रूहानी शक्ति अगर नहीं है तो ब्रह्माकुमारी सिर्फ नाम की हो गई। वह जैसे एक आर्टीफिशियल गोल्ड होता है, एक रीयल गोल्ड होता है तो उसका मूल्य क्या हुआ? अपने में यह जज करो कि मुझ में कितनी रूहानी शक्ति भरी है? वह रूहानी शक्ति भरने की परीक्षा कैसे करोगे, कैसे मालूम पड़ेगा कि प्युरिटी की पॉवर कितनी आयी है? मुझ में कोई अशुद्ध संकल्प तो नहीं आते? कोई देहधारियों के प्रति आकर्षण तो नहीं होता? कोई किसी के प्रति ईर्ष्या-द्वेष तो पैदा नहीं होता? कोई मन में संसार के प्रति पहनने की, खाने की, घूमने की किसी भी प्रकार की इच्छायें तो नहीं हैं? अगर यह सब चिन्ह ठीक हैं, जैसे डॉक्टर भी जब जाँच करता है तो जुबान देखता है, नब्ज देखता है, थर्मामीटर लगाता है, हाथ पर स्टेथोस्कोप लगाके देखता है और ब्लड टेस्ट करता है, फिर टेस्ट करके कहता है कि आपको फलानी बीमारी है। तो हम लोग भी अपनी पवित्रता की और योग की शक्ति को चेक करें उसकी एक परख तो यह होगी कि उसका दूसरों पर प्रभाव पड़ेगा।

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