परमात्म ऊर्जा

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विस्तार को समाने अर्थात् सार स्वरूप बनने नहीं आता। क्वान्टिटी में चले जाते हो लेकिन अपनी क्वालिटी नहीं निकलती। अपनी स्थिति में भी संकल्पों की क्वान्टिटी है। इसलिए सर्विस की रिज़ल्ट में भी क्वान्टिटी है, क्वालिटी नहीं। सारे झाड़ रूपी विस्तार में एक बीज ही पॉवरफुल होता है ना। ऐसे ही क्वान्टिटी के बीज में एक भी क्वालिटी वाला है तो वह विस्तार में बीज रूप के समान है। क्वालिटी की सर्विस करते हो? विस्तार में जाने से व दूसरों का कल्याण करते-करते अपना कल्याण तो नहीं भूल जाते हो? जब दूसरे के प्रति जास्ती अटेन्शन देते हो तो अपने अन्दर जो टेन्शन चलता है उनको नहीं देखते हो। पहले अपने टेन्शन पर अटेन्शन दो, फिर विश्व में जो अनेक प्रकार के टेन्शन हैं, उनको खलास कर सकेंगे। पहले अपने आपको देखो। अपनी सर्विस फस्र्ट, अपनी सर्विस की तो दूसरों की सर्विस स्वत: हो जाती है। अपनी सर्विस को छोड़ दूसरों की सर्विस में लग जाने से समय और संकल्प ज्य़ादा खर्च कर लेते हो। इस कारण जो जमा होना चाहिए वह नहीं कर पाते। जमा न होने के कारण वह नशा, वह खुशी नहीं रहती। अभी-अभी कमाया और अभी-अभी खाया, तो वह अल्पकाल का हो जाता है। जमा रहता है वह सदा साथ रहता है। तो अब जमा करना भी सीखो। सिर्फ इस जन्म के लिए नहीं लेकिन 21 जन्मों के लिए जमा करना है। अगर अभी-अभी कमाया और खाया जो भविष्य में क्या बनेगा? अभी-अभी कमाया और अभी बांटा नहीं। खाने बाद समाना भी चाहिए फिर बांटना चाहिए। कमाया और बांट दिया, तो अपने में शक्ति नहीं रहती। सिर्फ खुशी होती है जो मिला सो बांटा। दान करने की खुशी रहती है लेकिन उसको स्वयं में समाने की शक्ति नहीं रहती। खुशी के साथ शक्ति भी चाहिए। शक्ति न होने कारण निर्विघ्न नहीं हो सकते, विघ्नों को पार नहीं कर सकते। छोटे-छोटे विघ्न लगन को डिस्टर्ब कर देते हैं। इसलिए समाने की शक्ति धारण करनी चाहिए।
जैसे खुशी की झलक सूरत में दिखाई देती है, वैसे शक्ति की झलक भी दिखाई देनी चाहिए। सरलचित्त बहुत बनो लेकिन जितना सरलचित्त हो उतना ही सहनशील हो। सहनशीलता भी सरलता है? सरलता के साथ समाने की, सहन करने की शक्ति भी चाहिए। अगर समाने और सहन करने की शक्ति नहीं तो सरलता बहुत भोला रूप धारण कर लेती है और कहाँ-कहाँ भोलापन बहुत भारी नुकसान कर देता है। तो ऐसा सरलचित्त भी नहीं बनना है। बाप को भी भोलानाथ कहते हैं ना। लेकिन ऐसा भोला नहीं है जो सामना न कर सके। भोलानाथ के साथ-साथ ऑलमाइटी अथॉरिटी भी तो है ना। सिर्फ भोलानाथ नहीं है। यहाँ शक्ति स्वरूप भूल सिर्फ भोले बन जाते हैं तो माया का गोला लग जाता है। वर्तमान समय भोलेपन के कारण माया का गोला ज्य़ादा लग रहा है। ऐसा शक्ति स्वरूप बनना है जो माया सामना करने के पहले ही नमस्कार कर ले, सामना कर न पावे। बहुत सावधान, खबरदार होशियार रहना है।

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