परमात्म ऊर्जा

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पाण्डव भवन को पाण्डवों का किला कहते हैं। किले का गायन भी है। ऐसे ही जो यह ईश्वरीय संगठन है, यह संगठन भी किला ही है। जैसे स्थूल किले को बहुत मजबूत किया जाता है, जिससे कोई भी दुश्मन वार कर न सके। इस रीति से मुख्य किला है संगठन का। इसमें भी इतनी मजबूती हो जो कोई भी विकार दुश्मन के रूप में वार कर न सके। अगर कोई दुश्मन वार कर लेता है तो ज़रूर किले की मजबूती की कमी है। यह तो संगठन रूपी किला है, इसकी मजबूती के लिए तीन बातों की आवश्यकता है। अगर तीनों बातें मजबूत हैं तो इस किले के अन्दर कोई भी रूप से कभी भी कोई दुश्मन वार नहीं कर सकेंगे। दुश्मन प्रवेश भी नहीं कर सकते, हिम्मत नहीं हो सकती। वह तीन बातें कौन-सी हैं, जिससे मजबूत हो सकते हैं? एक- स्नेह, दूसरा- स्वच्छता और तीसरा है रूहानियत। यह तीनों बातें अगर मजबूत हैं तो कब कोई का वार नहीं होगा। अगर कहाँ भी, कोई भी वार करता है, उनका कारण इन तीनों में कोई न कोई कमी है। या स्नेह की कमी है या फिर रूहानियत की कमी है। तो संगठन रूपी किले को मजबूत करने के लिए इन तीन बातों पर बहुत अटेन्शन चाहिए। हरेक स्थान पर इन बातों का फोर्स रखकर भी यह लाना चाहिए। जैसे स्थूल में भी वायुमण्डल को शुद्ध करने के लिए एअर फ्रेश करते हैं। उससे अल्पकाल के लिए वायुमण्डल चेन्ज हो जाता है। इस रीति से इसमें भी इन बातों का प्रेशर डालना चाहिए। जिससे वायुमण्डल का भी असर निकल जाए। कोई को भी आकर्षण करने की मुख्य बातें यही होती हैं। स्नेह से, स्वच्छता से प्रभावित तो हो जाते हैं लेकिन मुख्य तीसरी बात रूहानियत की जो है, यह है मुख्य। दो बातों से प्रभावित होकर गए। यह तो उन्हों के प्रति विशेष वृत्ति और दृष्टि में अटेन्शन रहा। उसकी रिज़ल्ट में यह लेकर के गए। तो जैसे लोगों को भी यह मुख्य बातें आकर्षण करने के लिए निमित्त बनती हैं ना। वैसे एक-दो को संगठन में लाने के लिए व संगठन में शक्ति बढ़ाने के लिए आपस में भी यह तीन बातें एक-दो को देकर के अटेन्शन दिलाने की आवश्यकता है। अगर तीनों में से कोई भी बात की कमज़ोरी है तो ज़रूर कोई न कोई विकनेस है। जो सफलता होनी चाहिए वह नहीं हो पाती, ज़रूर कोई कमी है। तो यह बातें बहुत ध्यान में रखनी हैं।

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