स्वयं हर्षित रहकर दूसरों को हर्षित रखने में मदद करनी है

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याद भूलती क्यों है? आत्मा-परमात्मा का ज्ञान भी मिला लेकिन भूलते क्यों हैं? कारण है नीति मर्यादा। पुरूषोत्तम बनने में मदद करते हैं- गुण और बाबा से पाई हुई शक्ति। फिर उसमें लगता है कि ये बाबा की सिखाई हुई, मिली हुई श्रीमत है इसमें चलने में मज़ा आता है, सेफ्टी है। हर कर्म में बाबा की शिक्षाएं याद हैं। अच्छा स्टूडेंट जो होता है उसको जो शिक्षाएं टीचर से मिली हुई होती हैं, वह काम में आती हैं। शिक्षायें याद करनी पड़ती हैं या काम में आती हैं?
रात में सोते हो तो बीच में जागना भी अच्छा है। बीच में बाबा की याद आती है। जैसे 8 घंटा कर्म करो और बीच-बीच में बाबा को याद करो। कितना भी बिजी रहो लेकिन दिखाई न पड़े। बाबा ने साकार में रहकर अव्यक्त होना सिखाया है। ऐसे इस साल में हम यह अन्दर से गहरी लगन रखें। कोई हमको कहे कि आप बिजी हो यह हमको अच्छा नहीं लगता। कोई यह भी न कहे कि सुस्त है। बाबा हमको भाग्य बनाने का चांस दे रहा है- न कभी बिजी दिखाई पड़ें, न कभी लेज़ी दिखाई पड़ें। कुछ धारणाएं अव्यक्त वर्ष में मजबूत रखनी हैं। सुस्ती छठा विकार सबसे बड़ा विकार है। सुस्ती बहाना बनाने में बड़ी होशियार है। सुस्ती बहाना सिखाती है, झूठ सिखाती है। बीती को चेतो नहीं, आगे बढ़ जाओ। सुस्ती ठण्डा ठाकुर बनाती है, मोटा महादेव बना देती है। यह हमारी नेचर न बन जाये, बड़ा खबरदार रहना है। उठना-बैठना, सोना-जागना, चलना इसमें फुर्ती नहीं है तो नेचर में सुस्ती आ जाती है। ऐसा सुस्ती वाला अनलक्की है। किसी कारण से भी, किसके भाव-स्वभाव को देखा, किसने कुछ कहा, फीलिंग आर्ई तो सुस्ती आ गई। जैसे शरीर कमज़ोर होता है तो बीमारी आ जाती है। वैसे सुस्ती को भी कुछ कारण चाहिए। कुछ निमित्त कारण बना तो बैठ जायेगी। फिर पुरुषार्थ में हिम्मत, उमंग-उल्लास खत्म हो जाता है। फिर मंथन नहीं चलेगा। सुस्ती विचार सागर मंथन करने नहीं देगी। लगेगा सब तो सुना हुआ है। किसी को सुनाना हो या न सुनाना हो लेकिन मंथन तो चलते रहना चाहिए। ज्ञान मंथन नहीं करेंगे, उसी चिंतन में नहीं रहेंगे तो फे्रश नहीं रहेंगे, इतना खुश मिज़ाज नहीं बनेंगे। अपने आपको हर्षित रखकर दूसरों को हर्षित रखने की मदद नहीं कर सकेंगे, बस काम चलाऊ गाड़ी चलेगी। हर्षित रहने का वातावरण तो बना सकें, हर्षित रहने की कम्पनी मिले, गपशप की कम्पनी नहीं, यह नुकसानदायक है। ज्ञान से हर्षित रहने की कम्पनी मिलेगी।
जो सदा ज्ञान का मनन चिंतन करता है उसी से ही हर्षित रहने की कम्पनी मिलेगी। जो मोटी बुद्धि वाले हैं वो कहेंगे कोई नई प्वाइंट तो मुरली में थी नहीं। ये है सुस्ती। यदि दिल से मुरली पढ़ो तो नई-नई प्वाइंट मिलेगी।

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