प्रश्न : मैं नागपुर से सरोज हूँ। 20-25 साल से मेरे पति शराब लेते हैं। शराब तो लेते हैं ये बुरी आदत है लेकिन वो शांत रहते हैं ये उनकी अच्छी बात है। लेकिन उनके शराब लेने से मैं बहुत ज्य़ादा गुस्से में आ जाती हूँ। अन्कंट्रोल हो जाती हूँ। बहुत कुछ उनको बोल जाती हूँ। तो उनकी इस बुरी आदत के कारण मेरे अन्दर ज्य़ादा गुस्सा है, कैसे मैं इन दोनों चीज़ों को ठीक करूँ?
उत्तर : हमें उसे बदलने से पहले स्वयं को बदलना चाहिए। वो आदमी पहले ही अपनी आदत का गुलाम है, वो व्यक्ति पहले ही माया के अधीन है, वो व्यक्ति पहले ही निर्बल है। चाहते तो वो भी होंगे छोडऩा। वो अधीन हैं उस आदत के। तो आपको उनपर दया भाव रखना है। अपने को इस स्वरूप में लाकर मैं एक महान आत्मा हूँ… उनपे सहानुभूति आप रखें तो आपके अच्छे वायब्रेशन्स उनको जाने लगेंगे। सबसे इम्र्पोटेंट बात ये है कि आपकी स्थिति न बिगड़े। अपने क्रोध को समाप्त करें।
पहले आप अपने मन के चिंतन को ठीक करें। इनकी बुरी आदत हो गई है। मुझे इनको मदद करनी है, गुस्सा नहीं करना है। मैं गुस्सा करूंगी तो मेरी वाणी में या मेरे वायब्रेशन्स में निगेटिविटी रहती है। जो उसको जायेगी और उसकी वो आदत पक्की होती जायेगी। एक तो ये काम आपको करना है। और दूसरा सवेरे उठते ही आपको अपने को शांत करना है। मैं क्रोधमुक्त हूँ, शांत हूँ। कम से कम सात बार। नहीं तो 21 बार इसका अभ्यास करें। और ये लक्ष्य बना लें कि यदि दूसरा व्यक्ति गलती कर रहा है तो मुझे ये बड़ी गलती नहीं करनी है। वो एक गलती कर रहा है तो मैं दूसरी गलती कर रही हूँ। दोनों गलती बड़ी ही हैं। क्रोध से आपकी शक्तियां नष्ट हो जायेंगी। मज़ा नहीं आयेगा आपको जि़ंदगी में। इसलिए आप अपने चित्त को शांत करें, योगाभ्यास करें। अपने पति को योग दान करें रोज़ आधा घंटा और पवित्र भोजन खिलायें। तो ये रियल मदद होगी आपके पति के लिए और इससे हम विश्वास करते हैं उनकी ये बुरी आदत छूट जायेगी।
प्रश्न : मेरा नाम रागिनी है। मैं ईश्वरीय विद्यालय से जुड़ी हुई हूँ। मैं बैंक में काम करती हूँ। और तीन बजे रोज़ सुबह मैं उठ जाती हूँ। जब मैं योग और मुरली क्लास के बाद घर पर वापस आती हूँ तो आधे घंटे के लिए मैं सो जाती हूँ। उस आधे घंटे के समय में मुझे बहुत ही डरावने और अजीब-अजीब स्वप्न आते हैं। इसका कारण क्या है और इसे कैसे ठीक किया जा सकता है?
उत्तर : ये बहुत लोगों को होता है। और खासकर युवकों को कि अगर वो रोज़ सुबह बहुत अच्छा मेडिटेशन करके आधा घंटा सो गये तो अनेक तरह के स्वप्न आयेंगे। और मान लो आपने 3 से 5 बजे तक 2 घंटा मेडिटेशन किया। अब दो घंटे में आपका मन बहुत ज्य़ादा शांत हो गया। तो सब्कॉन्शियस माइंड एक्टिव हो गया। सब्कॉन्शियस माइंड में ही सारी मेमोरी भरी हुई है। जब आप सोये तो सब्कॉन्शियस माइंड एक्टिव ही है। तो जो उसमें मेमोरी भरी हुई है जन्म-जन्म की वो दिखने लगी आपको स्वप्न के रूप में, वो इनका कारण होता है। लेकिन आप ऐसा करेंगे, यदि आप मेडिटेशन के बाद सोना चाहती हैं क्योंकि आपके लिए सोना ज़रूरी है। सारा दिन आपको अपने बैंक में नौकरी करनी है, थकान होगी फिर 7 घंटे हो जाते हैं। तब तक मनुष्य के बे्रन की एनर्जी भी पूरी हो जाती है। उसको रिएनर्जेटिक करने के लिए मनुष्य को विश्राम की ज़रूरत होती ही है। तो जब आप नींद करने जायें अपने बैड पर तो उससे पहले सात बार याद करें मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। और आज मुझे बहुत साउंड स्लीप आयेगी, आधा घंटा या एक घंटा। और मैं फिर से ब्रेन की एनर्जी को प्राप्त कर लूंगी। फ्रेश हो जाऊंगी, शाम तक कार्यरत रहने के लिए। ऐसे सुन्दर संकल्प करने से दो-चार दिन के बाद आप पायेंगी कि आपके सब्कॉन्शियस माइंड की पॉवर में ये सब भर गया। तो उन पास्ट की मेमोरी को डिलीट कर देगा और आप सुख की नींद सोकर फ्रेश उठेंगी।
कईयों का ये भी प्रश्न होता है कि अमृतवेले के बाद सोना चाहिए या नहीं। लेकिन मैं यहाँ कहूँगा कि हरेक के लिए एक ही सिद्धान्त नहीं बनाया जा सकता। कई लोग बहुत एक्टिव होते हैं, हेल्दी होते हैं अगर वो तीन बजे तक उठ गये हैं तो उन्हें फिर शाम तक सोने की ज़रूरत नहीं पड़ती। तो नौ से तीन, छह घंटे नींद आपकी काफी रहती है। कुछ लोग ऐसे होते हैं कि उन्होंने मान लो तीन बजे उठके पाँच बजे तक या साढे चार बजे तक बहुत अच्छा मेडिटेशन किया तो उनकी ब्रेन की बहुत शक्ति मेडिटेशन करने में यूज़ भी हो जाती है। इससे उनको ब्रेन की थकान होने लगती है। और वो चाहते हैं कि थोड़ी देर रेस्ट कर लें। ऐसे लोगों को थोड़ी देर रेस्ट कर लेना चाहिए।
कईयों की हेल्थ थोड़ी-सी हल्की होती है कि अगर वो चार बजे भी उठ गये और दिन में रेस्ट नहीं और रात को उन्हें ग्यारह बजे ही सोना है, टाइट शैड्यूल है तो ऐसा व्यक्ति साइकोलॉजिकली भी सोचता रहता है कि मैं थोड़ा-सा सो लूं तो अच्छा होगा। सारा दिन फ्रेश रहूंगा। क्योंकि उसे सारा दिन फील होता है कि दोपहर में जब लंच ले लेता है तो उसे दोपहर में थोड़ी सी नींद की ज़रूरत होती है। और वो है ऑफिस में और वहाँ सो नहीं सकता इसलिए ऐसा व्यक्ति सोचता है कि मैं अब एक घंटा सो लूं तो सारा दिन मेरा अच्छा व्यतीत होगा। उनका ये सोचना बिल्कुल सही है। ऐसे व्यक्ति को सो लेना चाहिए। तो अपनी-अपनी ये स्थिति है हेल्थ वाइस, मेंटल स्टेट वाइस और अपनी आवश्यकता अनुसार जैसा जिसको उचित लगे उसे वैसा कर लेना चाहिए। और जब वो व्यक्ति सो जाये और सोकर वो उठे तो पाँच मिनट अच्छे मेडिटेशन का अभ्यास कर लें। जहाँ से छोड़ा था वहाँ से कंटिन्यू कर लें तो ऐसा फील नहीं होगा कि कुछ मिस हो गया है।