योग एक जीवन पद्धति
हमें अपनी दिनचर्या में योग को शामिल करना चाहिए। क्योंकि योग हम सभी के लिए एक जीवन पद्धति है। मानव के शरीर और चेतना को जोडऩे के बाद ही मानव सम्पूर्ण माना जाता है। आज हम होलिस्टिक हेल्थ की बात करते हैं, तब मुझे याद आता है कि योग हमारी प्राचीन अमूल्य देन है। योग मन व शरीर, विचार व कर्म, समय व उपलब्धि की एकात्मकता तथा मानव व प्रकृति के बीच सामन्जस्य का मूर्त रूप है। यह स्वास्थ्य एवं कल्याण का समग्र दृष्टिकोण है। इससे हमारी पूरी जीवनशैली एक नये रूप से उभर कर सबके सामने प्रत्यक्ष होती है और हम सारे संसार में उन्हीं तरंगों के साथ जीने लग जाते हैं जो परमात्मा के साथ जुड़ी हुई हैं। – भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी
परमात्मा से प्रेमपूर्ण संबंध ही योग
हमने बचपन से परमात्मा के अंग-संग रहकर जीवन जीना सीखा। उससे योग लगाने के लिए हमने किसी आसन, प्राणायाम का सहारा नहीं लिया। सिर्फ उससे हमारा प्रेमपूर्ण सम्बंध बन गया। उसके आधार से हम परमात्मा से निरंतर प्राप्तियां करते रहते हैं। परमात्मा सहज है, सरल है, सभी का है। वो किसी को कष्ट नहीं देता कि कोई मुझे याद करने के लिए आसन या किसी भी चीज़ का सहारा ले। उसका मात्र ये कहना है कि आप स्वयं को आत्मा समझ सिर्फ मुझसे प्रेम करो, जिससे सारी प्राप्तियां सहज हो जायेंगी। सारे विश्व को इस योग दिवस पर एकजुट होकर प्रयास करने की आवश्यकता है, ताकि वसुधैव कुटुम्बकम के स्तर पर हर आत्मा उस परमात्मा के साथ प्रेमपूर्ण सम्बंध बनाकर अपने जीवन को सार्थक करे। – मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी,ब्रह्माकुमारीज़