जीवन इतना सुन्दर प्रैक्टिकल डांस हो जो दूसरे भी देख खुशी में उड़ते रहें

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डबल लाइट माना ही एवररेडी जैसे खुशी में डांस करते हैं ऐसे सदा खुशी की डांस करते रहो। डांस एक-दूसरे को खुश करती है। तो जीवन भी इतना सुन्दर प्रैक्टिकल डांस हो कि दूसरे भी देख खुशी में उड़ते रहें।
कभी बहुत मौज रहेगी, खुशी रहेगी, कभी थोड़े में खुश हो जायेंगे, कभी थोड़े में दु:खी हो जायेंगे, तो खुशी हमारी प्रॉपर्टी हुई क्या? यदि आप किसी कारण से अपनी खुशी गंवाते हैं तो यह मिलियन डॉलर गंवाते हैं। दुनिया में तो कई बातें आयेंगी, जायेंगी, यह तो सब होना ही है लेकिन हमें राजयोग सीखकर जीवन में बैलेन्स लाना है। कर्म भी करो तो उससे फल की जास्ती इच्छा नहीं रखो। करते चलो, करते चलो, दूसरों को भी मौज देते चलो, खुशी देते चलो। तो आप भी मौज में रहेंगे। खुशी देना कोई डॉलर खर्च करना नहीं है लेकिन खुशी पैसे, डॉलर, रूपयों से बहुत बड़ा अमूल्य रत्न है। बाबा ने हमें खुशी दी है। जिसके पास थोड़ा भी इगो रहता, वह न खुद खुश रहता है, न दूसरों को खुश करता है। वो सदैव नाखुश रहेगा, किसी न किसी बात में डिस्टर्ब होता रहेगा। इगो से खुशी खत्म हो जाती है। तो यह राजयोग हमें बहुत बड़ी सूक्ष्म खुशी देता है। हम सिर्फ हैप्पी नहीं, वैरी-वैरी हैप्पी हैं। ये है ज्ञान-योग का फल। आप वैरी-वैरी हैप्पी रहो- हमारा दिल यही कहता है। एक-एक ऐसे समझें कि मैं आकाश में उड़ रहा हूँ। इतनी खुशी में रहो। क्यों? कौन मिला है हमें! यह तो हमारे पास नॉलेज है। बाबा कहते मैं तुम्हें डबल वर्सा देने आता हूँ- ब्रह्माण्ड और विश्व दोनों का। और हमें क्या चाहिए! कुछ नहीं। अगर थोड़ी भी किसी प्रकार की सूक्ष्म इच्छा होगी तो वह खुशी गायब करेगी। कई समझते हैं लाइफ में अकेलापन लगता है। अरे, आये अकेले, जाना अकेले तो ये अकेलापन कैसा? इतनी सारी विश्व की आत्माओं की स्टेज पर रहते हैं तो अकेले कैसे? स्टेज कितनी बड़ी है, ये दुनिया के ड्रामा का खेल देखो। अकेला क्यों? इतनी बड़ी दुनिया की फिल्म चल रही है वह देखो। दूसरी बात अकेले रहने में तो बहुत मज़ा है। एकान्तप्रिय हो जाओ। कभी-कभी पहाड़ों पर जाते हैं तो लगता है यहाँ बड़ी शान्ति है। शान्ति को तो सब प्यार करते हैं तो अकेले में ही तो शान्ति है। फिर अकेलापन क्यों फील होता? जो समझता है कि मैं अकेला हूँ शायद उनको शान्ति चाहिए ही नहीं। क्योंकि जहाँ भी दो होंगे वहाँ कुछ न कुछ चूं-चूं होगी। इसलिए अकेला ही तो प्रिय है। जब आत्मा और परमात्मा दो हैं तो अकेले तो हुए ही नहीं। बाकी तो अपना परिवार है, स्टूडेन्ट्स हैं, सब एक-दूसरे के साथ हैं ही। इसलिए जैसे आत्मा लाइट है ऐसे व्यवहार में भी लाइट रहो तो डबल लाइट हो जायेेंगे। डबल लाइट माना ही एवररेडी जैसे खुशी में डांस करते हैं ऐसे सदा खुशी की डांस करते रहो। डांस एक-दूसरे को खुश करती है। डांस व एक्टिंग इसीलिए करते हैं ताकि दूसरे भी खुशी में आवें। तो जीवन भी इतना सुन्दर प्रैक्टिकल डांस हो कि दूसरे भी देख खुशी में उड़ते रहें। तो जहाँ भी रहो खुश रहो। जीवन में खुशी सदैव अमर रहे। इस ज्ञान योग का फल ही है एवर हैप्पी रहना। यह जीवन से कभी खत्म न हो।
एवर हैप्पी रहने से एवर पीस में भी रहेंगे। हमें पीसफुल रहना है क्योंकि बाप सुप्रीम फादर पीसफुल है। कभी भी चेहरे में अशान्ति के भाव न आयें और न ही टेन्शन, वरी, हरी के लिए कोई स्थान हो।

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