सेल्फ हेल्प – हम भी अपने को अर्जुन की अवस्था के रूप में देखें… तो समझ आयेगा

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आपने ये देखा होगा कि महाभारत के एक एपिसोड में कि श्रीमद्भगवद् गीता केवल अर्जुन को सुनाई जा रही है। बाकी चारों भाई, नकुल, सहदेव, भीम, युद्धिष्ठर लड़ रहे थे। तो अकेले अर्जुन ने क्यों? क्या चारों को ज़रूरत नहीं थी। इसका अर्थ है कुछ हम सभी को ये समझना है कि बहुत मनुष्य इस दुनिया में ऐसे भी हैं जो वैसे तो धनुरधारी का मतलब वैसे सबकुछ बहुत अच्छा है। कैपेसिटी बहुत अच्छी है। माना हर चीज़ को जल्दी समझ लेते हैं। भांप लेते हैं, परख लेते हैं, पारंगत हैं बहुत सारी चीज़ों में लेकिन वो जहाँ पर निर्णय लेने की बात होती है ना वहाँ पर हार जाते हैं। मतलब उनके सामने कोई परिस्थिति आ जाये, बात आ जाये और देखते हैं कि इनके सामने अगर कोई अपने घर के लिए निर्णय लेना हो तो मुश्किल हो जाती है। यही अर्जुन को करते हुए दिखाया गया। अर्जुन युद्ध क्षेत्र में जब पहुंचे तो उन्होंने देखा कि उनके सामने उनके चाचा, मामा, काका खड़े हैं और उनकी अपनी तरफ उनके अपने बच्चे खड़े थे। तो उनको देखकर उनके अन्दर एक थॉट, एक विचार आया कि अब अगर मैं इनके दो मारता हूँ तो ये मेरे चार मारेंगे। तो ये देखकर गार्धिंव छूट जाती है। तो ये क्या दर्शाता है? ये हम सबकी मानसिक स्थिति को दर्शाता है। तो हम सबकी अवस्था ही अर्जुन की अवस्था है। आज हम सभी की कार्य करने की जो क्षमता खत्म हो गई है उसका एक मात्र कारण है अटैचमेंट, मोह, और उसी मोह को दर्शाता है अर्जुन। इसीलिए उस मोह को ठिकाने लगाने के लिए, मोह से हटाने के लिए श्रीमद्भगवद् गीता, ज्ञान सुनने और सुनाने की आवश्यकता है। जब हम अपने आप को जान लेते हैं, परमात्मा को जान लेते हैं और ये जान लेते हैं कि इस दुनिया में सभी अपनी भूमिका निभा रहे हैं, थोड़े दिन के लिए हमारे साथ हैं तो धीरे-धीरे हम मोह से छूट जाते हैं और शक्तिशाली बन जाते हैं। तो क्यों न इस कदम में अपने कदम को मिलायें।

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