पवित्रता, सत्यता एवं सहनशीलता की प्रतिमूर्ति थी “मम्मा” – जिन्होंने अपने जीवन में कभी नहीं रोया सदा हां जी का पाठ पक्का किया ऐसी थी “मातेश्वरी जगदम्बा – “बीके शैलजा
नौगांव,मध्य प्रदेश। ब्रह्माकुमारीज़सेवाकेंद्र द्वारा संस्था की प्रथम मुख्य प्रशासिका “मम्मा – जगदंबा सरस्वती ” का 59 वांपुण्य स्मृति दिवस मनाया गया जिसमें विशेष रूप से छतरपुर सेवाकेंद्र से पधारी बीके शैलजा बहन जी ने सभा को संबोधित करते हुए बताया कि मम्मा का जन्म सन 1919 में अमृतसर में हुआ था जिनका बचपन का नाम “ओम राधे” था वह मात्र 17 वर्ष की आयु में ही इस ईश्वरीय कारोबार में पूर्ण रूप से समर्पित हो गई थी।
मम्मा दैवी गुणों से भरपूर तथा उनके अंदर ज्ञान की पराकाष्ठा थी। सभी की मां जैसी पालना करती थी इसलिए सभी उन्हें प्यार से मम्मा कहते थे।
शैलजा बहन जी ने मम्मा को याद कर उनकी विशेषताओं का वर्णन करते हुए बताया कि मम्मा के अंदर इतनी शक्ति थी कि कैसी भी विरोधी, क्रोधी एवं अहंकारी उनके सामने आते थे तो वह मम्मा की दृष्टि से ही उनके सामने नतमस्तक हो जाती थे। मम्मा ने अपने प्रैक्टिकल कर्मों से दूसरों को शिक्षा दी।
छतरपुर से पहुंची हुई पांच कन्याओं द्वारा मुस्कान, अंजलि, खुशबू, प्रियंका एवं शिवांगी बहनों द्वारा बहुत सुंदर नृत्य किया गया जिसने सभी को मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती जी की याद दिला दी । इस अवसर पर शैलजा बहन जी, नौगांव राजा साहब पृथ्वी सिंह बुंदेला, रानी साहब माया सर्वानी, पेंशन एसोसिएशन अध्यक्ष वृंदावन मिश्रा, आर्मी से रिटायर्ड सोहनलाल सुलेरे, शिक्षक उमेश गुप्ता, वकील राजू शिवहरे, एसबीआई बैंक से संतोष सोनी, बीके रीना, बीके मोहिनी एवं समस्त शहर के गणमान्य व्यक्तियों ने जगदम्बा मातेश्वरी को पुष्पांजलि अर्पित की और उनसे शक्तिशाली दृष्टि लेते हुए स्वयं के जीवन से कमी कमजोरी को निकालने का पूर्ण संकल्प लिया। कार्यक्रम के अंत में सभी को प्रसाद दिया गया।