राजयोग से खुलता है तीसरा नेत्र – बीके संजय हंस ओआरसी आर्ट गैलरी

0
55

अब तक हम सब जन्म-जन्म से इन आंखों से जो देखते आए उसी पर सोचते आए,एक दूसरे से व्यवहार करते आए किसी ने हमसे अच्छा व्यवहार किया हमने भी अच्छा किया किसी ने हमसे बुरा व्यवहार किया हमने भी बुरा किया, कारण नहीं समझा, परिणाम नहीं समझा, हर कर्म का परिणाम समझ कर कर्म करना ही तीसरा नेत्र का खुलना है,जिसको त्रिकाल दर्शी स्थिति भी कह्ते है। 

अब परमात्मा शिव ने हमें आत्मा की पहचान दी, कर्मों की गहन गति का ज्ञान दिया, सृष्टि के आदि मध्य अन्त का ज्ञान दिया, 3 लोक का ज्ञान दिया, 5 स्वरूप का अनुभव कराया। यह सब जिसके पास है उनका तीसरा नेत्र खुला हुआ है।

पर हम सब माया के राज्य में रह रहे हैं माया हमारे तीसरे नेत्र को बंद कर पाप कर्म अर्थात हमसे गलतियां कराना चाहती है वो हमारे अंदर की कमजोरियों को जानती है, पूर्व 2 युगों से हमने कैसा जीवन जिया है, माया जानती है, द्वापर युग से 5 विकारों की शुरुआत हुई तो हमने अपनी देह को सजाया, संवारा एक दूसरे की विशेषताओं पर प्रभावित होते आए, वस्तुएं इक्कठी करते आए, स्वादिष्ट भोजन में आसक्ति रही, दिखावा करते आए, ऐसे हमारे रजोप्रधान संस्कार रहे, कलियुग की शुरुआत से ही 5 विकार जोर पकड़ने लगे तो हम एक दूसरे की कमी-कमजोरियों का चिन्तन कर घृणा, नफरत, नीचा दिखाना, लड़ाई झगड़ा आदि करने लगे हमारे तमोप्रधान संस्कार बन गए। जिससे माया शक्तिशाली बनती गई हम आत्मा कमजोर होती गई। 

अब सारे संसार में माया का ही राज्य है, वह शक्तिशाली है और आत्माएं कमजोर हो गई है,

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत” |

“अभ्युत्थानं अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्” ||

ऐसे समय पर स्वयं परमात्मा शिव अपने वादे अनुसार धरा पर अवतरित होकर सबसे पहले हमारा तीसरा नेत्र खोलते हैं कि बच्चों तुम शरीर नही हो तुम तो चैतन्य आत्मा हो, आत्मा के मूल गुणों का अनुभव करा कर गुण स्वरूप में लाने के लिए डेली मुरली द्वारा श्रेष्ठ चिन्तन के लिए होम वर्क देते हैं, जो आत्माएं परमात्मा को शिक्षक समझ दिल से मुरली द्वारा दिए हुए ज्ञान की गहराई में जाते हैं उनका तीसरा नेत्र खुलता जाता है उसको अपने सत्य स्वरूप का अनुभव होने लगता है सतयुगी संस्कार जगने लगते हैं अपनी रियल प्योर लाइफ स्टाइल स्वरूप में आने लगती है, वो ना किसी की कमी-कमजोरियां देखते, ना चिन्तन करते ना  ही वर्णन करते, क्योंकि शिव बाबा ने यह सत्य ज्ञान दे दिया है कि सबका अपना-अपना यूनिक पार्ट है, अपने-अपने  स्वभाव संस्कार है एक ना मिले दूसरे से, यह सृष्टि रूपी रंग मंच पर एक फिल्म चल रही है। जिसका तीसरा ज्वालामुखी नेत्र खुल गया, वो ना किसी की विशेषता पर प्रभावित होगा ना किसी की कमियों का प्रभाव पड़ेगा। अपना हीरो पार्ट प्ले करते हुए सबके प्रति साक्षी भाव रख रहम भाव से सदा शुभ भावना, शुभ कामना रखते हुए अपने पुरुषार्थ में मग्न रहते हैं, अपने लक्ष्य पर घ्यान एकाग्र कर समय और संकल्प रूपी खजाने को शिव बाबा की याद से बढ़ाते हुए विश्व कल्याण में सफल करते रहते हैं।

तीसरे नेत्र के प्रमाण ब्रह्मा बाप:-

ब्रह्मा बाबा के पास जब पहली बार जगदीश भाई साहब गए तो ब्रह्मा बाबा बोले पास में मेरा एक परम मित्र रहता है फिर जगदीश भाई साहब ने जब पता किया की वो कौन है तो भाईयों ने बताया कि पास में एक साधु रहता है डेली बाबा को गाली देता है। जगदीश भाई साहब समझ गए कि ये बाबा के गुणों की परीक्षा ले रहा है कि ये बाबा जो सबको ज्ञान देता है वो धारणा इनके अंदर है या नहीं।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें