अम्बिकापुर: पूर्व सह प्रशासिका राजयोगिनी आदरणीय ब्रह्माकुमारी मनमोहिनी दीदी का 41 पुण्यस्मृति दिवस

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अम्बिकापुर, छत्तीसगढ़: ब्रह्माकुमारीज़ संस्था की पूर्व सह प्रशासिका राजयोगिनी आदरणीय ब्रह्माकुमारी मनमोहिनी दीदी का 41 पुण्यस्मृति दिवस नव विश्व भवन चोपड़ापारा, अम्बिकापुर में श्रद्धा पूर्ण मनाया गया। दीदी मनमोहिनी जी के निमित्त परमात्मा को भोग स्वीकार किया  गया तथा सरगुजा संभाग की सेवाकेन्द्र संचालिका बी. के. विद्या दीदी तथा संस्था से जुड़े  भाई बहनों के द्वारा दीदी मनमोहिनी जी के छायाचित्र पर पुष्प माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित किया गया।
       इस मौके पर सरगुजा संभाग की सेवाकेन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी, दीदी मनमोहिनी जी के दिव्य विषेषताओं पर प्रकाश डालते हुये कहा कि दीदी मनमोहिनी
बाबा की सच्ची मस्तानी गोपिका थीं आप,पतिव्रता, सतीव्रता, पिताव्रता थीं। आपके रग-रग में यज्ञ के प्रति अटूट प्यार समया  था ,
अनेकों का तन-मन-धन यज्ञ में सफल कराया,
सदा ईश्वरीय मर्यादाओं का कंगन बांधने वाली,”अब घर चलना है” की धुन लगाने वाली, दीदी कभी भी तेरे मेरे के हदों में नहीं आई।

ऐसी थी हमारी आदरणीया मनमोहिनी दीदी:-
दीदी जी एक ऊंचे परिवार के होते हुए भी धन संपदा कलयुग की लोक लाज की परवाह किए बिना एक सेकंड में  समर्पित हो गई आपका बाबा से इतना अटूट स्नेह था जो नजरों में एक ही बाबा बसता था दीदी के दिल में एक बाबा के सिवाय कोई भी नहीं समाया बाबा के प्यार में आप कभी डांस करती थी। सदा तुम्ही संग खाऊ तुम ही संग बैठु तुम ही संग रास रचाउ ऐसी एकव्रता होकर सदा एक के ही गुण गाते आज्ञाकारी वफादार ऑनेस्ट बन कर रही कभी किसी वस्तु व्यक्ति की तरफ आकर्षित नहीं हुई आप लौकिक में स्कूल नहीं गई लेकिन भगवान का नंबर वन स्टूडेंट बनकर आप सब की टीचर बन गई। आप क्लास में कभी भी बिना कापी पेन के नहीं गई आपको बाबा के महावाक्यों से अति प्यार था बहुत ध्यान से सबसे आगे बैठकर मुरली सुनती और उनसे बहुत अच्छे-अच्छे  प्रश्न निकालती थी और सबको  रिफ्रेश करती थी ।दीदी की बुद्धि इतनी स्वच्छ और स्पष्ट थी जो सामने कैसी भी आत्मा आए उसे फौरन परख लेती थी और उसकी हर आवश्यकता को पूरा कर उन्हें बाबा का बना देती । आगे विद्या दीदी ने कहा उनकी इन विशेषताओं को अपने जीवन में उतारकर उनका स्वरूप बनना ही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करना है।
संस्था से जुड़े 300 से अधिक भाई बहनों ने दीदी को श्रद्धा सुमन अर्पित कर ब्रह्मा भोग स्वीकार किया।

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