प्रश्न : बहुत कम लोग जानते हैं शिवानी जी कि आपने इंजीनियरिंग की थी पहले और हम लोग सब आपको स्पिरिचुअल लीडर की तरह जानते हैं, स्पीकर की तरह जानते हैं। इंजीनियरिंग करने के बाद कैसे आपने सोचा कि आपको स्पिरिचुअलिटी की तरफ जाना है, कैसे अपने आप को प्रिपेअर किया और कैसे आप दूसरों को फिर मोटिवेट करने लगीं। नॉर्मल लाइफ होता है कि इंजीनियरिंग कर ली अब जॉब ढूंढेगे, शादी करेंगे फिर बच्चे… ये नॉर्मल लाइफ होता है। आपने कैसे यह सोचा कि आप इंजीनियरिंग करने के बाद स्पिरिचुअलिटी की तरफ जाएंगी?
उत्तर : एक बहुत बड़ी मिथ है। और वो मिथ यह है कि वो स्पिरिचुअलिटी बाकी जीवन से अलग होती है। इसलिए हमें लगता है कि हमने इसको छोड़ा और फिर इधर चले गए। तो ज्य़ादातर लोग पूछते हैं कि आपके जीवन में कुछ हुआ था? तो मैंने कहा नहीं। ऐसे कैसे? कुछ तो हुआ होगा! मैंने कहा नहीं सब ठीक ही था, फस्र्ट ही आती थी क्लास में हमेशा। जीवन में उस टाइम वही सिर्फ इम्प्रूवमेंट हुआ करता था और इंजीनियरिंग भी उसी लेवल पर ही क्रॉस कर लिया था।
लेकिन मेरी मम्मी सेंटर पर जाने लगी, मेडिटेशन सीखने लगी। मुझे बार-बार बोलने लगी करने के लिए और जितना वो बोलती थी, मैं उतना नहीं करती थी। इसलिए बच्चों को ज्य़ादा फोर्स नहीं करना चाहिए कभी। कई बच्चों के अंदर संस्कार होते हैं वो ऑपोजि़ट करने लग जाते हैं फिर। तो वो जितना मुझे बोलती थी मैं उससे आधा ज्य़ादा दूर होती जाती थी। लेकिन फिर उन्होंने मुझे बोलना बंद कर दिया। मैंने जॉब किया और जॉब करते हुए मेरी शादी भी फाइनल हो गई। सब कुछ फिक्स हो गया, सब कुछ परफेक्ट था। मैं बहुत खुश हूँ। और उस टाइम भी मैं बहुत खुश थी। लेकिन मम्मी को था कि जो उनको इतना अच्छा कुछ
मिला वो मुझे भी मिल जाए। तो कैसे एक पेरेंट बहुत साइलेंटली बहुत कुछ कर सकते हैं, वो मुझे बाद में समझ में आया कि उन्होंने साइलेंटली किया है। तो वो मेरे लिए मेडिटेशन करती थी कि मुझे यह रास्ता समझ में आने लगे। और खाना जो बनाता है ना उसके मन की स्थिति खाने वालों पर पड़ जाती है। तो वो खाना बनाते समय भी ये मेडिटेशन से मेरे लिए ये थॉट डाल देती कि इसको समझ में आए कि इसके लिए क्या सही है, कौन-सी चीज़ इसको करनी है, क्या करना है।
अचानक से एक दिन मैंने कहा कि मुझे भी सीखना है, जो आप सीख रहे हो। मुझे अभी तक नहीं पता कि मैंने उस दिन क्यों कहा ये, कि मुझे भी सीखना है। और जब मैंने सीखा थोड़ा टाइम लगा समझने में। लॉजिक के साथ स्पिरिचुअलिटी को कनेक्ट करने की कोशिश की तो कुछ-कुछ चीज़ें समझ में नहीं आती थी साइंटिफिकली (वैज्ञानिकता)। एक्सपीरियंस किया, जर्नी चल रही थी और नवम्बर का महीना था, जनवरी में मेरी शादी फिक्स्ड थी। फिर मुझे लगा कि मुझे एक प्युरिटी की जीवन जीनी है। मुझे ब्रह्मचर्य की जीवन जीनी है। पर शादी तो पहले से ही फिक्स थी, तो फिर मैंने सोचा कि इस शादी को मुझे खत्म करना है। अभी शादी तो हुई नहीं है तो अभी तो उसको कैंसिल किया जा सकता है। मैंने अपने फियॉन्से(मंगेतर) को कहा कि मुझे शादी नहीं करनी है। मुझे इस तरह का जीवन जीना है। उन्होंने मुझे एक ही लाइन में कहा कि तुम्हें जैसा जीवन जीना है वैसा जियो लेकिन यह शादी होगी, क्योंकि ये जुड़ चुकी है। इसको अभी बिल्कुल भी तोडऩा नहीं है। फिर हमने शादी की और उन्होंने मुझे सुपोर्ट किया और हमारी शादी को 27 साल हो गये हैं। तो वो एक पॉवर है। तो उस तरह से ये जीवन शुरू हुआ। ऐसा नहीं सोचा था कि ऐसे शेयर करना है। लेकिन जो भी चीज़ हमें अच्छी लगती है हमारा नॉर्मल संस्कार है ना हम किसी के साथ शेयर करते हैं। बस ऐसे ही सीखते गए और जो सीखते गए वो शेयर करते गए।