रायपुर: रक्षा की जरूरत सिर्फ बहनों को नहीं, वर्तमान समय सभी असुरक्षित … ब्रह्माकुमारी सविता दीदी

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रक्षाबन्धन पर केन्द्रीय कारागार में आयोजित आध्यात्मिक समारोह

रायपुर, छत्तीसगढ़ : ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि रक्षाबन्धन को सिर्फ बहनों की रक्षा तक ही सीमित करना, उसके महत्व को कम करना है। सुरक्षा की जरूरत सिर्फ बहनों को ही नहीं है, बल्कि वर्तमान समय सभी मनुष्यों का जीवन असुरक्षित है। दरअसल यहाँ पर रक्षा का अभिप्राय शारीरिक रक्षा से नहीं है।

सविता दीदी प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की ओर से रक्षाबन्धन पर केन्द्रीय कारागार में आयोजित आध्यात्मिक समारोह में बोल रही थीं। इस अवसर पर कैदियों को रक्षाबन्धन का आध्यात्मिक महत्व समझाते हुए मुख मीठा कराया गया तथा राखी बाँधी गई।

ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने आगे कहा कि रक्षाबन्धन के अर्थ को समझने के लिए सबसे पहले यह समझना होगा कि रक्षा की जरूरत किसे है और उसे किससे रक्षा चाहिए? उन्होंने कहा कि दुनिया में जितने भी दुष्कर्म होते हैं यदि उनका विश्लेषण किया जाए तो यह विदित होता है कि उन सभी बुराइयों के पीछे काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार में से कोई न कोई विकार अवश्य ही छिपा हुआ होता है।

उन्होंने कहा कि यह बुराईयाँ ही मनुष्य को दु:खी और अशान्त करती हैं। इसलिए इन मनोविकारों से आत्मा की रक्षा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ कर्म ही हमारे रक्षक होते हैं। मनुष्य के विचारों का प्रभाव उसके कर्मोंपर पड़ता है। इस प्रकार विचार श्रेष्ठ होने से हमारे कर्मों में भी श्रेष्ठता आने लगती है।

इस अवसर पर बोलते हुए ब्रह्माकुमारी रूचिका दीदी ने कहा कि लोग देह अभिमान में आकर अपने शरीर को ही सब कुछ मान बैठे हैं। वह यह बात भूल गए हैं कि वह शरीर नहीं अपितु इस शरीर को चलाने वाली चैतन्य शक्ति आत्मा हैं। उन्होंने कहा कि अध्यात्म से हमें स्वयं की सत्य पहचान मिलती है। राजयोग की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि स्वयं को जानकर परमात्मा से बुद्घियोग लगाना ही राजयोग है। इसके नियमित अभ्यास से हमारे अन्दर आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में श्रेष्ठता आने लगती है।

उन्होंने कमेन्ट्री के माध्यम से कैदियों को राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास कराया। अन्त में ब्रह्माकुमारी रश्मि दीदी ने कैदियों को नशामुक्त जीवन बनाने तथा अवगुणों का त्याग कर अच्छाइयों को जीवन में अपनाने की प्रतिज्ञा कराई। कार्यक्रम को ब्रह्माकुमारी स्नेहमयी दीदी ने भी सम्बोधित किया। संचालन ब्रह्माकुमारी भावना दीदी ने किया।

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