हरिद्वार: ब्रह्मा कुमारीज़ सेवाकेंद्र पर रक्षाबंधन के उपलक्ष में संत गोष्ठी का आयोजन

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हरिद्वार,उत्तराखंड: रक्षाबंधन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि परमहंस आचार्य ब्रह्मनिष्ट महामंडलेश्वर श्री देवानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि की प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के इस सभागार में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी  रक्षाबंधन के कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। मेरा सौभाग्य है कि ब्रह्माकुमारीज संस्था द्वारा आयोजित इस रक्षाबंधन के कार्यक्रम में मेरा पिछले कई वर्षों से आगमन हो रहा है। मैं बहनों से राखी बंधवाकर अपने आप को अभिभूत अनुभव करता हूं।इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय की एकता, प्रेम, और सेवा भाव से मैं बहुत-बहुत प्रभावित हूं।  मुझे यहां आकर अपनेपन का अनुभव होता है। निस्वार्थ स्नेह का अनुभव होता है। ईश्वरीय प्रेम का अनुभव होता है । मुझे ऐसा नहीं लगता कि मैं किसी दूसरे के घर में आया मुझे ऐसा महसूस होता है कि यह मेरा घर है मेरा आश्रम है इसलिए मैं बार-बार आता हूं और बहनों से राखी बंधवाता हूं। मैं बहनों की तथा इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय दिन दुगनी रात चौगुनी उन्नति की  मंगल कामना करता हूं।  

महामंडलेश्वर स्वामी डॉक्टर मुक्तानंद पुरी जी महाराज ने कहा कि आज रक्षाबंधन तो है ही साथ-साथ श्रावणी उपाकर्म का दिवस भी है। हमारी गुरुकुल परंपरा में आज के दिन ही गुरुकुल में प्रवेश होता था।गुरुकुल में प्रवेश लेकर वहां पर शिक्षा -दीक्षा लेना हमारी संस्कृति की रक्षा के लिए अति आवश्यक है । शास्त्रों में वैसे तो बहुत सारी परंपराएं हैं लेकिन यह जो गुरुकुल की परंपरा हमारे देश में थी जिससे हमारा देश विश्व के लिए एक आध्यात्मिक दिशा दिखाने का स्थान था। इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय में सेवा भाव जैसा गुरुकुल में होता था ,यहां पर भी मैंने देखा है । यहां पर ज्ञान विज्ञान की बातें भी हैं। इस संस्था में गुरु सेवा भी देखी इसलिए इस ईश्वरीय  विश्व विद्यालय में गुरुकुल पद्धति के द्वारा ही शिक्षा दी जाती है मेरा ऐसा मानना है क्योंकि आज रक्षाबंधन है तो मैं भी बहनों से आशीर्वाद लेने के लिए यहां पर आया हूं और बहनें  द्वारा रक्षा सूत्र बंधवाकर मुझे गर्व महसूस होता है।

महामंडलेश्वर स्वामी कर्ण पाल गिरी जी महाराज ने कहा कि  मुझे इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है । मैंने वहां पर उनकी दिव्यता, एकता और ईश्वरीय प्रेम का अनूठा संगम देखा। आज तो मैं राखी बंधवाने आया हूं इसलिए इस ईश्वरीय विद्यालय को मेरी बहुत-बहुत शुभ मंगल कामनाएं।

महामंडलेश्वर प्रबोधानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि आज भारत में भी जितने त्यौहार अथवा पर्व हैं यह सब त्यौहार अथवा पर्व तो मनाए जाते ही हैं, उनकी संख्या भी बढ़ गई है। लेकिन उसके अंदर का जो भाव और भावनाएं हैं वह समाप्त हो चुकी है । आज हम रक्षाबंधन को मानते हैं लेकिन रक्षाबंधन का क्या भाव है और उसकी क्या भावनाएं होनी चाहिए उस भाव और भावनाओं से रक्षाबंधन नहीं मनाया जाता है। आज तो सिर्फ मनाने के लिए ही मनाया जाता है|  हमने विदेशी संस्कृति को बहुत कॉपी किया है। वहां सिस्टर डे शुरू हुआ जब वहां कोई ब्रदर नहीं मिला तो फिर उन्होंने सिस्टर डे को बदल मदर्स डे कर दिया तो उनको इस आध्यात्मिक संस्कृति या भारतीय संस्कृति का कोई अनुभव नहीं है।  हम उनका अनुसरण करते हैं तो हमारी दुर्गति होना तो निश्चित है। इसलिए भारत में जो त्योहार मनाए जाते हैं उसका भाव समझकर उसकी भावनाओं को समझ कर मनाए । हम कोई सामान खरीदने जाते हैं तो उसका भाव तो हम करते हैं लेकिन अपने भाव का कोई मूल्य हमें नहीं है इसलिए मेरे भाई और बहनों जरा सोचो आज रक्षाबंधन है तो रक्षाबंधन के भाव को समझ कर जब ब्रह्माकुमारी बहने राखी बांधे तो उसी भाव से ईश्वरीय भावना से राखी बनवाना।तो यह रक्षाबंधन मनाना सार्थक हो जाएगा। 

महामंडलेश्वर स्वामी अभिषेक चैतन्य जी महाराज ने कहा कि आज श्रावणी  उपाकर्म का दिन है हमें तो इससे ऊपर उठकर विचार करना चाहिए हमारी संस्कृति, वैदिक संस्कृति, हमारे त्योहार यह सब हमारी धरोहर है । परंतु उपाकर्म को अब भूल गए हैं इसलिए इस समय  धर्म ग्लानि का समय है । जिन्होंने हमारी संस्कृति के नियमों को मर्यादाओं का पालन नहीं किया तो उनका पतन निश्चित है, उनका विनाश निश्चित है। आज का  मनुष्य अर्थ,काम और राजनीति के पीछे पड़ा हुआ है लेकिन मनुष्य भूल गया है कि हमारी संस्कृति की जड़ें जब तक मजबूत नहीं होगी तब तक हमारा समाज मजबूत नहीं हो सकता है । इसलिए सबसे पहले संस्कृति की जड़ों मजबूत करें,जैसे यह ब्रह्माकुमारी बहनें भारतीय संस्कृति को मजबूत कर रही हैं।

ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने दादी जी का पत्र पुष्प  सभी को पढ़कर सुनाया और दादी जी की भेजी हुई राखी सभी को दिखाई और सभी सन्त महात्माओं की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा। सभी को मीठा बोलने का प्रतीक मिठाई खिलाकर मुख मीठा कराया गया ।

इस अवसर पर ब्रह्मा कुमार सुशील भाई, ब्रह्माकुमारी मीना दीदी ने भी अपने विचार व्यक्त किये । इस कार्यक्रम में हरिद्वार के 30 महामंडलेश्वर, संत -महंत उपस्थित रहे।

 रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में आयोजित संत गोष्ठी के पश्चात समूह चित्र में सन्त गण एवं अन्य 

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