शिक्षक दिवस पर शिव अनुराग भवन राज किशोर नगर में अनेक स्कूलों के प्राचार्यों व शिक्षकों का हुआ सम्मान
स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाशित करते हैं शिक्षक – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
शिक्षक का पद है जिम्मेदारीपूर्ण, हर आचरण का पड़ता है बच्चों पर असर
बिलासपुर,छत्तीसगढ़: हर बात को सकारात्मक लेना शिक्षकों का कर्तव्य है क्योंकि वे बच्चों को संस्कारित करते हैं। शिक्षक का जीवन एक मोमबत्ती की लौ की तरह होता है जो स्वयं जलता है पर दूसरों को प्रकाशवान कर देता है। एक शिक्षक में इतना सामर्थ्य होता है कि अपने व्यक्तित्व व दृढ़ता से कमजोर को भी समर्थ बना देता है।
उक्त बातें ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने शिक्षक दिवस के अवसर पर शिव-अनुराग भवन राजकिशोरनगर में आयोजित प्राचार्यां व शिक्षकगणों के सम्मान समारोह में कही।
दीदी ने आगे कहा कि बच्चों की प्रतिभा चाहे जिस विधा में उत्कृष्ट हो उसका जरूर सम्मान करें, सिर्फ अच्छे अंक ही मापदंड नहीं होना चाहिए। एक वकील की गलती दलीलों में छिप जाती है, एक चिकित्सक की गलती श्मशान में दब जाती है, एक इंजीनियर की गलती सीमेंट की परतों में छिप जाती है परन्तु एक शिक्षक की गलती जीवन पर्यन्त व्यक्ति के जीवन में परिलक्षित होते रहती है। इसलिए बहुत जिम्मेदाराना होता है शिक्षक का पद।
प्रशासनिक अधिकारी हर्ष पाठक ने कहा कि आज के समय में धन कमाया जा सकता है। तन का भी ख्याल रखते हैं पर मन को सही दिशा देने के लिए शिक्षकों को भी आध्यात्मिक रूप से सशक्त होना आवश्यक है। मेडिटेशन आज की आवश्यकता है मन को व्यर्थ से मुक्त रखने राजयोग का अभ्यास बहुत मददगार है। शिक्षक स्वयं ध्यान का अभ्यास कर बच्चों को भी प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं ताकि जीवन के हर संघर्ष में जीत हासिल कर सकें।
सरस्वती शिशु मंदिर के आचार्य लक्ष्मीकांत मजूमदार ने कहा कि आज विद्यार्थी शिक्षकों की हर गतिविधियों का सूक्ष्म अवलोकन करते है इसलिये शिक्षकों को अपनी वेशभूषा और चलन पर विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
संस्था की ओर से ब्रह्माकुमारी बहनों ने सभी प्राचार्य व शिक्षकों को तिलक, पुष्प, श्रीफल, साहित्य व ईश्वरीय सौगात देकर सम्मान किया। अनेक स्कूल से उपस्थित प्राचार्यों ने अपनी शुभकामनाएं व शुभप्रेरणाएं देते हुए आभार व्यक्त किये। कार्यक्रम में आमंत्रित शहर एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्र से सभी शिक्षक बहुत प्रसन्न हुए। कुमारी अनन्या नायडू ने छोटे-छोटे पांव से…. व कुमारी किरण राव ने गुरू मात पिता गीत पर नृत्य की प्रस्तुति दी।