दुर्गा जी की अष्ट शक्तियां दुर्ग की तरह…

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ये जो अष्ट शक्तियां हैं ये हमारे कर्म का दुर्ग हैं। जैसे एक किले के अन्दर व्यक्ति पूरी तरह से सेफ रहता है, उसको कहीं से कोई सेक नहीं लग सकती, आंच नहीं लग सकती। कोई दुश्मन उसके ऊपर आक्रमण नहीं कर सकता। ऐसे ही ये सारी शक्तियां भी हमारे साथ जुड़ी हुई हैं। जब ये शक्तियां हमारे साथ जुड़ जाती हैं, काम करती हैं, तो कोई भी चीज़ हमको परेशान नहीं कर सकती।

हम सभी जितने भी भक्त आत्मायें हैं जो नवरात्रे को मनाते हैं, पूजते हैं और उस समय एक अलग तरीके से अपने जीवन को ढालते हैं। वो सभी हमेशा ये प्रयास करते हैं कि हमारे ऊपर कृपा हो, हमारे ऊपर दया-दृष्टि हो देवी की। अब ये दया दृष्टि, कृपा दृष्टि हमारे ऊपर कैसे आयेगी? उसका एक सबसे बड़ा प्रमाण या कह सकते हैं कि उसका एक बहुत अच्छा आधार क्या है?
कहा जाता है कि इस दुनिया में कर्म खराब होने के सिर्फ दो कारण हैं। एक हमको परख शक्ति नहीं है, दूसरा हमारे अन्दर निर्णय शक्ति नहीं है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति मोह ग्रस्त है वो जि़ंदगी में कभी निर्णय नहीं ले सकता। और जो व्यक्ति इस दुनिया में सारे विकारों के वश है उसके तो क्या कहने! तो हम सभी इस बात को इस तरह से समझ सकते हैं कि अगर हमारे परखने की शक्ति होती तो सबसे पहला, हमारी पहली समस्या वो हमारे शरीर की है। हमें पता है कि हमारे शरीर को क्या खाना चाहिए, कैसे खाना चाहिए, कब खाना चाहिए, किस चीज़ से मुझे तकलीफ होती है फिर भी हम उन्हें खाते हैं और उसके खाने के बाद फिर हम तकलीफ में आते हैं। इसका मतलब परख शक्ति अगर थोड़ी बहुत है भी तो निर्णय शक्ति नहीं है कि नहीं, मुझे ये नहीं करना है।
तो आप सोचो ये दोनों शक्तियों की कमी की वजह से सारी शक्तियां हमारे पास कम हो गईं। जैसे हम किसी को समा नहीं पाते। किसी का हम
सामना नहीं कर पाते। किसी को हम सहन नहीं कर पाते। किसी को हम सहयोग नहीं दे पाते। कारण क्या है कि हम सभी इन दो शक्तियों की कमी के कारण उलझ गये। हमारा जीवन इसी के ऊपर ही तो आधारित है। अगर परख शक्ति होती तो परिस्थिति की परख होती। समाज की परख होती। हर कर्म की परख होती। तो न जेल होता, न पुलिस स्टेशन होता, न हॉस्पिटल होता। ये कोई भी चीज़ आज हमारे जीवन में नहीं होती। ये जो अष्ट शक्तियां हैं ये हमारे कर्म का दुर्ग हैं। जैसे एक किले के अन्दर व्यक्ति पूरी तरह से सेफ रहता है, उसको कहीं से कोई सेक नहीं लग सकती, आंच नहीं लग सकती। कोई दुश्मन उसके ऊपर आक्रमण नहीं कर सकता। ऐसे ही ये सारी शक्तियां भी हमारे साथ जुड़ी हुई हैं। जब ये शक्तियां हमारे साथ जुड़ जाती हैं, काम करती हैं, तो कोई भी चीज़ हमको परेशान नहीं कर सकती। इसलिए दुनिया में दिखाते हैं, शास्त्रों में दिखाते हैं कि जब असुरों का संहार करने के लिए कहा जाता था, जो भी उस समय परेशान होता था तो देवी का आह्वान करता था। देवी प्रकट होकर कहती थी कि उसका ये समय है, उस समय में, उस बेला में अगर उसको मारा जायेगा तो वो व्यक्ति दुबारा जन्म नहीं लेगा। मतलब वो असुर हमेशा के लिए नष्ट हो जायेगा।
अब ये चीज़ हमारी दिनचर्या के साथ ही तो है। सुबह क्या करना चाहिए, शाम को क्या करना चाहिए, रात को क्या करना चाहिए। और ये सारी चीज़ें हमारे अन्दर ऐसा नहीं है कि नहीं है, है, लेकिन इसकी शक्ति नहीं है, ताकत नहीं है, करने का बल नहीं है। ये न होने की वजह से हम कर्म को सही तरीके से सही दिशा नहीं दे पा रहे। तो ये जो नवरात्रे हैं नौ शक्तियां, आठ शक्तियां, जो आठ नवरात्रे नौ दुर्गा अष्ट शक्तियों के साथ दिखाया गया। ये अष्ट शक्तियां जाग्रति की अवस्था ही तो है कि हमारे अन्दर समझ होने के बावजूद भी गलती क्यों हो रही है? क्योंकि हम उन सारी चीज़ों को यूज़ नहीं कर पा रहे। प्रयोग में नहीं ला पा रहे। इसलिए जब तक दो शक्ति खासकर परखना और निर्णय करना, अगर ये हमारे साथ जुड़ जायें गहराई से और हमको गहरी समझ आ जाये कि हमारे कर्म सिर्फ इस वजह से खराब हैं तो हम सारी चीज़ें वैसे ही कर लेंगे जैसा हम चाहते हैं। तो हर बार नवरात्रि आती है। हर बार आप सभी आरती, पूजन, वंदन सबकुछ करते हैं। लेकिन उससे फायदा तो तब होगा जब हम अपने अन्दर शक्ति को डेवलप करें, शक्ति को भी उजागर करें। और वो शक्तियां उजागर कब होंगी जब हमारे अन्दर पवित्रता का बल होगा। पवित्रता का बल भी परख शक्ति से आता है, निर्णय शक्ति से आता है। प्रेेम का बल भी परख शक्ति और निर्णय शक्ति से आता है। आनंद का बल भी परख शक्ति और निर्णय शक्ति के आधार से आता है।
आज सबसे बड़ा दुर्ग जो हमारा टूटा हुआ है, किला टूटा हुआ है, उसका कारण सिर्फ ये है कि हमारी सारी शक्तियां कमज़ोर पड़ गई हैं। हर समय काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, आलस्य, भय जैसा असुर कभी भी हमारे ऊपर आक्रमण कर देता है। और उसमें हम उलझकर रह जाते हैं। तो क्यों न हम इस बार इस तरह से इस बात को लेते हैं कि अगर इस नवरात्रि पर हम जागरण करें तो जागरण में सबसे पहले हम अपने सातों गुणों का जागरण करें। सातों गुणों को जागृत करें। इन सातों गुणों को इतना जागृत करें, इतना जागृत करें कि वो हमारी शक्ति बन जाये। जब ये सारी चीज़ें हमारी शक्ति के रूप में बदल जायेंगी तब वो सारी चीज़ें हमारी काम करना शुरू करेंगी। फिर कोई भी ऐसा विकार जिसको असुर कहा जाता है वो हमारे किले को भेद नहीं सकता। फिर हम उसमें सेफ रहेंगे, स्वस्थ रहेंगे, मस्त रहेंगे, और व्यस्त भी रहेंगे। और आगे भी बढ़ते रहेंगे, उन्नति करते रहेंगे।
तो सही प्रामाणिक रूप से इस त्योहार को हमें मनाना चाहिए। तभी तो विजय होगी ना! इसलिए विजय का सबसे बड़ा आधार है अपनी शक्तियों को जागृत करना। तो चलो इस नवरात्रि पर हम करते हैं और देखते हैं कि क्या परिवर्तन आता है।

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