फाउंडेशन मजबूत तब होगा जब चारों बातों में निश्चय होगा…

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बाबा ने ध्यान खिंचवाया है कि फाउण्डेशन को मजबूत करने के लिए चारों तरफ अपने को चेक करो। माल में कुछ मिक्स कर देते हैं तो पूरी मंजि़ल गिर जाती है। ट्रेन का एक डिब्बा भी गिरता है तो कितनों का नुकसान होता है। हम भी ऐसा समझकर चलें कि हम अनेकों के आधार हैं। हम सब निमित्त हैं। फाउण्डेशन हमारा नीचे-ऊपर होगा तो पर्सनल मेरे को तो नुकसान होगा ही, पर उनके कारण अनेकों को नुकसान होगा और भी समझेंगे यह हिल गये तो मेरा क्या होगा! कहीं मेरा भी ऐसा न हो जाए। तो खुद का फाउण्डेशन नीचे-ऊपर होने से अनेकों के निमित्त बन जाते। इसके लिए राय है- एकान्तप्रिय बनो। फालतू अनेक बातों में अपना टाइम वेस्ट नहीं करो। जो सेवा सामने है वह दिल से, प्यार से करो तो अपने फाउण्डेशन को मजबूत रखने के लिए फुर्सत बहुत है। हम सदा निश्चिंत रहें, करनकरावनहार बाबा बैठा है। हम दिल से करें लेकिन बाबा को कभी नहीं भूलें। परिवार का स्नेह कितना बड़ा है। परिवार के स्नेह में पिरोये नहीं होंगे तो माला का मणका नहीं बन सकते। बाप, परिवार, ड्रामा और खुद में भी विश्वास चाहिए। मेरा ड्रामा में कितना श्रेष्ठ पार्ट है। बाबा ने चुनकर हमें अपना बनाया और साथ-साथ हम भी अपने आपसे पूछें कि मैं बाबा के पास क्यों आई हूँ? भविष्य में ऊंच पद पाना है और ऐसी अवस्था जमानी है जैसा बाबा हमको बनाना चाहता है।
तो अपने आपको चेक करो कि किसी से भी मैं डिस्टर्ब तो नहीं होती? किसी से घृणा तो नहीं है? किसी के ऊपर प्रभावित तो नहीं हूँ? गुणग्राहक बनो, रिगार्ड दो लेकिन फॉलो फादर। जैसे बाबा चला रहा है मुझे ऐसे चलना है। चलकर दिखा रहा है। हर रोज़ सवेरे मुरली हाथ में उठाओ, पढ़ो, सुनो, सारे दिन के लिए बहुत अच्छी रोशनी मिल जाती है। कार्य व्यवहार में चलने के लिए होमवर्क मिल जाता है। हम डायरी लेकर नोट्स नहीं देखते लेकिन बाबा ने जो सुनाया है, वह कितनी बार याद आता है, ऐसा टाइम नहीं हो सकता जो हम इतना बिजी हों, जो मुरली याद ही न आये।

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