आज मनुष्य चिंता, तनाव, सम्बंधों में नफरत-घृणा की अग्नि में जल रहा है। एक-दूसरे के प्रति अविश्वास, प्रतिशोध की भावना ने सभी को अशांति और डर के घेरे में ले लिया है। ऐसे में ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान में आयोजित वैश्विक शिखर सम्मेलन एक आशा की किरण है। यहां की आध्यात्मिक ऊर्जा, शक्तिशाली वातावरण, इस संकुल में प्रवेश मात्र से ही सुकून देता है। ऐसे अलौकिक स्थान पर ‘आध्यात्मिकता द्वारा स्वच्छ एवं स्वस्थ समाज’ विषय पर चार दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन का शुभारंभ भारत की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया।
जिसमें भारत सरकार के कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, सांसद, विधायक, समाज सुधारक, सम्पादक, पत्रकार, पर्यावरणविद तथा शिक्षाविद सहित 15 देशों के 5000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। ब्रह्माकुमारीज़ शांतिवन के डायमण्ड हॉल में आयोजित वैश्विक शिखर सम्मेलन में उद्घाटन सत्र सहित पाँच खुले सत्र, एक डायलॉग, दो स्पीरिचुअल टॉक तथा चार प्रैक्टिकल राजयोग मेडिटेशन पर अनुभूति सत्र का भी आयोजन हुआ। आध्यात्मिकता के साथ वैश्विक समस्याओं एवं समाधान पर चर्चा की गई। सभी ने खुले दिल से अपने विचार साझा किए।
नोएडा से ज़ी मीडिया के प्रबंध संपादक महोदय राहुल सिन्हा ने कहा कि आज पृथ्वी पर तृतीय विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में ऐसा सुंदर, दिल को सुकून देने वाला आध्यात्मिक वातावरण मैं यहां देख रहा हूँ। यहां हरेक के चेहरे पर संतुष्टता, मधुर व्यवहार की झलक दिखती है। संस्थान द्वारा ऐसा प्रयास आज विश्व के परिदृश्य में न सिर्फ आशा की किरण लाने वाला है बल्कि बदलाव का सही मार्ग दिखाने वाला है।
अनेक विशिष्ट लोगों ने कहा कि संस्थान द्वारा दी जा रही आध्यात्मिक शिक्षा जि़ंदगी को रोशन करने वाली है। यहां की शिक्षा ‘स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन’ की नींव पर आधारित है। इसीलिए कारगर है जो यहां दिखाई दे रहा है। भारतीय परंपरा में जिस ‘वसुधैव कुटुम्बकम ‘ की परिकल्पना को हम सुनते आए, ये यहां साकार होता स्पष्ट नज़र आता है। वैश्विक शिखर सम्मेलन की थीम का एक संजीदा उदाहरण है यह संस्थान। जो भी इस परिवेश में पाँव रखता है, वो यहां की सकारात्मक ऊर्जा से चार्ज हो जाता है। यहां पर सिखाए जा रहे आध्यात्मिक मूल्य व मेडिटेशन की गहराई में जाकर सभी को सुख और शांति का अनुभव होता है, जिसकी आज की भागदौड़ भरी जि़ंदगी में नितांत आवश्यकता है।
राज्यपाल महोदय ने अपने विचार में बताया कि पर्यावरण का सीधा सम्बन्ध व्यक्ति के चरित्र से है। यहां की अध्यात्म प्रेरक शिक्षा के माध्यम से बदलाव अवश्य आयेगा, क्योंकि पर्यावरण शुद्धि व्यक्ति के आचरण पर निर्भर है। व्यक्ति से समाज, समाज से विश्व और समस्त वातावरण का परिवर्तन अवश्य होगा।
एक पत्रकार महोदय का कहना है कि हम जानते हैं कि क्या सही है और क्या सही नहीं है। फिर भी हमारे कर्म में, व्यवहार में हम ला नहीं पाते। आज वातावरण में भिन्न-भिन्न तरह का पॉल्यूशन जैसे माइंड पॉल्यूशन, सामाजिक प्रदूषण, सम्बंधों में टकराव का प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, ईष्र्या-द्वेष के वातावरण के प्रदूषण से मानव जूझ रहा है। जहाँ से हम सभी आये हैं, परंतु यहां पर आकर मुझे महसूस हो रहा है कि पॉल्यूशन और सॉल्यूशन के बीच का अंतर आध्यात्मिक जीवनशैली अपनाने से ही मिटेगा। जो इस शिखर सम्मेलन से अमृत निकलेगा वो सारे विश्व को प्रदूषण से मुक्त करेगा। ये हमें आशा ही नहीं अपितु विश्वास है। समापन सत्र के दौरान सम्मेलन का निष्कर्ष बिंदु रहा कि भारत को विश्व गुरु बनाने का कार्य हम आध्यात्मिक शिक्षा के माध्यम से ही कर पायेंगे। और तब ही भारत सारे विश्व का सशक्त नेतृत्व करेगा।