जीवन में सहूलियतों के साथ जिम्मेदारी का भाव भी ज़रूरी

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हमारे घरों में मौजूद तमाम सुख-सुविधाओं पर गौर करें। सहूलियत देने वाली चीज़ें या उपकरण रातों-रात नहीं आए। हमने अपने घर की एक-एक चीज़ धीरे-धीरे खरीदी है। पहले साइकिल आई, फिर स्कूटर आया, फिर गाड़ी आई, फिर घर लेने में तो कितना समय लगा। लेकिन आज आपके बच्चों को सबकुछ मिला हुआ है। उनके पास सारी सहूलियतें हैं। ऐसे में आने वाली पीढ़ी को तो पता ही नहीं होगा कि फोन के बिना भी कोई जीवन होता है। यह उनकी समझ से परे होगा कि आप किसी दूसरे शहर में जा रहे हों और आप बात ही नहीं कर सकते।
हम वही लोग हैं, जो कभी चि_ी लिखकर अपनी कुशलता बताते थे। लेकिन आज फ्लाइट के जमीन पर लैंड करने तक का इंतज़ार नहीं कर पा रहे हैं। एयरहॉस्टेस को कहना पड़ता है, रुकिए…। ये समस्या किसकी है? फोन की? फोन तो फूल है, जो हमारे जीवन को सुंदर और आरामदेह बनाने के लिए आया था। लेकिन ठीक से इस्तेमाल नहीं किया तो वो ही फोन फिर बेचैनी बन गया। कुछ लोग तो कहते हैं ये फोन बहुत तनाव देता है। मतलब वह फूल ही चुभने लग गया। उसमें फोन का दोष नहीं। अगली बार जब फ्लाइट लैंड करने वाली हो तो सचेत होकर दस मिनट उसको चालू नहीं करें। दो घंटे से फ्लाइट में बैठे थे और 10 मिनट में क्या हो जाएगा।
आपको अपना धैर्य नहीं खोना है, क्योंकि इससे आपकी शक्ति घट रही है। जीवन के हर दृश्य में देखें कि मेरी शक्ति घट रही है या बढ़ रही है। अगर हम जल्दी-जल्दी फोन चालू करेंगे तो लगता है कि हमारी शक्ति घटेगी। सिर्फ एक फोन चालू करने की प्रक्रिया में आत्मा की शक्ति घट रही है, तो सारे दिन का अनुमान लगाइए। इसीलिए लोग कहते हैं जब फोन नहीं था तब हम ज्य़ादा खुश थे। अब हमें क्या करना है फोन भी इस्तेमाल करना है और शक्ति भी बढ़ानी है। इस तरह हम वो खूबसूरत पीढ़ी बनकर उभरेंगे, जिसके पास आराम भी होगा और साथ में शक्ति भी होगी।
हमारी पहले की पीढ़ी के पास आराम कम था, लेकिन शक्ति ज्य़ादा थी। अगर हमने ध्यान नहीं रखा तो हमारी अगली पीढ़ी के पास सहूलियतें तो सारी होंगी, लेकिन अंदरूनी शक्ति नहीं होगी। जिनको बिना मेहनत किए सुकून-सहूलियतें मिलेंगी, वैसे भी उनकी शक्ति घट जाएगी। क्योंकि उनको ये नहीं पता कि बिना आराम के भी कोई जीवन हो सकता है। उनको ये ही नहीं पता कि जब चीज़ें मेरे अनुसार न हो तो ऐसा भी कोई जीवन हो सकता है। इसलिए हमारी जि़म्मेदारी है कि हम उनको सुविधाओं के साथ आंतरिक ताकत दें। अगर आपका बच्चा स्कूल में प्रथम भी आया तो क्या ज़रूरी है कि वो जीवन में सफल होगा! लेकिन जीवन में सफल होने के लिए उस आत्मा के पास आंतरिक शक्ति होनी चाहिए। आंतरिक ताकत मतलब सामंजस्य या तालमेल बैठाने की शक्ति, बर्दाश्त करने की शक्ति, अलग-अलग संस्कारों के साथ मिलकर चलने की शक्ति, समस्या आने पर स्थिर रहने की शक्ति, औरों से प्यार से काम करवाने की शक्ति, ये सारी शक्ति हम उसे कौन-से स्कूल में देंगे?

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