परमात्मा बाप ने सत्य नारायण की कथा सुनाकर मेरे में कूट-कूट कर सत्यता भर दी है। ब्रह्मा सो नारायण कैसे बना! सत्यता की शक्ति को धारण करके। तो ऐसे राज्य में आने के हम भी लायक बन जायें, एक-दो जन्म पीछे आयें तो भी मजा नहीं है। 21जन्मों की राजाई भी उन्हों को मिलेगी जो 84 जन्मों का ख्याल करेंगे। जो 84वाँ जन्म हमारा अन्तिम जन्म है, बार-बार यह बात याद नहीं रहेगी तो पुराने जन्मों का हिसाब-किताब पकड़ कर बैठ जायेंगे, फिर उसी अनुसार चलते रहेंगे। शिवबाबा ने ब्रह्मा बाबा को याद दिलाया बच्चे, यह तुम्हारा 84वाँ जन्म अन्तिम जन्म है, तो बाबा ने झट स्वीकार कर लिया। कोई-कोई हैं जिनको यह याद रहता है कि हमारा यह अन्तिम जन्म है। मेरा-मेरा छुड़ाने वाला बाबा है। ऐसी बातें स्मृति में न रही, बाकी बातें बुद्धि में रखी तो बुद्धियोग नहीं लगेगा। याद ऐसी हो जो फरियाद न करना पड़े। याद उसको करें जो मीठा बनाता है। योगी माना न सिर्फ रिलेशन बाबा के साथ है, पर कनेक्शन भी बाबा के साथ है। रिलेशन में तो हमने मम्मा-बाबा, टीचर सब कह दिया, पर कनेक्शन जैसे है ही नहीं। जिसका उसके साथ कनेक्शन है वह उसके सारे अन्त को जानता है, क्योंकि कनेक्शन गहरा है।
ड्रामा की समझ और कोई संकल्प की उत्पत्ति करने नहीं देती है। बाबा ने कहा है ना, तुम्हारा क्या जाता है। कई आत्माओं को निश्चय नहीं बैठा है कि अभी विनाश आया कि आया। पूछेंगे अभी कितना समय पड़ा है! तो विनाश काले प्रीत बुद्धि हो नहीं सकते। बाबा ने पहले आते ही बताया है विनाशकाल है।
विनाशकाल को सामने रख हम बच्चों को अपना बनाया, सतयुग की स्थापना शुरू की। बच्चे स्थापना के बगैर विनाश कैसे होगा। होगा ज़रूर, यह पहले तो बता देता हूँ। यह बात जिसकी बुद्धि में ठीक तरह से नहीं बैठी है, वह प्रश्न पूछते रहेंगे कि विनाश कब होगा! लेकिन विनाश हुआ ही पड़ा है। विनाश काले प्रीत बुद्धि विजयन्ती। तो सदा ही विजय साथ में है। बाबा की इन बातों को जानने, मानने वाला, सी फादर, फॉलो फादर करते, बाप समान बनते और कोई बात मन में नहीं। तो बुद्धि शान्त, श्रेष्ठ हो जाती है। फिर ऑटोमेटिक बाबा उनसे ऐसे कर्म करायेगा जिससे अनेक आत्माओं का कल्याण हो जाता है। हम न्यारे रहें, साक्षी रहें तो बाबा का प्यार अनेक आत्माओं की सेवा कराता है। फिर बाबा के साथ का अनुभव अनेक आत्माओं को भी अनुभव करायेगा।