घर में दुःख-अशांति का मूल कारण व्यवहार, दृष्टि, बोल और कर्म में पवित्रता की कमी है -बीके रमा
छतरपुर, मध्यप्रदेश: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय विश्वनाथ सेवाकेंद्र द्वारा बकस्वाहा बीके पाठशाला के अंतर्गत ग्राम बीरमपुरा में ग्रामवासियों को स्वच्छता, सात्विक अन्न, व्यसनमुक्त जीवन अपना कर अपने घर को मंदिर बनाने हेतु घर बने मंदिर विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस अवसर पर छतरपुर विश्वनाथ सेवाकेंद्र प्रभारी बीके रमा ने ग्रामवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि एक मंदिर में एक या दो देव प्रतिमाएं होती है तो हम उस मंदिर की और मूर्तियों की स्वच्छता का कितना ध्यान रखते हैं। उनके आहार अर्थात प्रसाद को कितनी शुद्धता और भावना से बनाते हैं। अब विचार करें कि आप सब स्वयं को गृहस्थ आश्रम में समझते हैं आश्रम का अर्थ होता है जहां पवित्रता और सुख, शांति हो क्योंकि पवित्रता सुख शांति की जननी है लेकिन आज कहीं पर भी सुख शांति नजर नहीं आ रही उसका मूल कारण है आहार, व्यवहार दृष्टि, बोल, कर्म सभी में पवित्रता की कमी है। आप सब भी अपने घर रूपी मंदिर की मूर्तियां हो तो हमें भी स्वच्छता, शुद्ध आहार का ध्यान देना है और किसी भी प्रकार की नशीली वस्तुओं का सेवन न करके अपने घर को मंदिर बनाना है।
इस अवसर पर गांव की अधिकांश महिलाएं, भाई एवं बच्चे उपस्थित रहे और सभी ने बहुत ध्यान से बहनों की बातों को सुना और जीवन में अमल करने का संकल्प लिया। बीके कल्पना ने सभी को नशे से होने वाली हानियों के बारे में बताया और सभी को नशा मुक्ति की प्रतिज्ञा करवाई।
इसी तारतम्य में बक्सवाहा मे बस स्टैंड स्थित ब्रह्माकुमारीज़ पाठशाला में भी घर बने मंदिर विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।