भिलाई: राजयोग मेडिटेशन के माध्यम से विश्व के सभी मनुष्यात्माएं परमात्मा से जुड़ सकती है…

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जापान फिलिपींस सेवाकेंद्रो की निदेशिका ब्रह्माकुमारी राजयोगिनी रजनी दीदी का भिलाई मिनी इंडिया में हुआ अभूतपूर्व स्वागत…

भिलाई, छत्तीसगढ़ : हिरोशिमा व नागासाकी के दुखद हादसे के बाद भी जापान के लोगों में अभी भी उसका प्रभाव था। भले ही वे अपने कर्मठता के गुण से जापान देश को भौतिकता के चरम सीमा पर पहुंचाने के बावजूद भी वे कुछ पल की सच्ची शांति, खुशी व आत्मिक स्नेह को खोजते जब ब्रह्माकुमारी संस्था के निकट संपर्क में आए तो उनमें आशा की किरण जगी और राजयोग मेडिटेशन के माध्यम से जीवन में निश्चिंतता और भारतीय संस्कृति और सात्विक भोजन को अपने जीवन में अपनाते चले गए।

यह बाते जापान एवं फिलिपींस के सेवाकेंद्रो की निदेशिका राजयोगिनी रजनी दीदी जी ने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान भिलाई सेक्टर 7 स्थित अंतर्दिशा भवन के पीस ऑडिटोरियम में कही।

आपने बताया कि जापान में भूकंप प्रायः आते ही रहते है,लेकिन उन्होंने ब्रह्माकुमारी संस्था से जुड़े सदस्यों और ब्रह्माकुमारी बहनों के बोल, व्यवहार, हर्षितमुखता और विषम परिस्थितियों में निश्चिन्तता को देखकर बहुत प्रभावित हुए,और राजयोग मेडिटेशन को न केवल सीखकर बल्कि प्रतिदिन इसे अपने जीवन का अंग बनाया।राजयोग मेडिटेशन से न सिर्फ जापान बल्कि समस्त विश्व की मनुष्यात्माएं निराकार परमात्मा शिव से जुड़कर अपने जीवन में सुख शांति शक्तियों की प्राप्ति कर रही है।

सर्व प्रथम जापान से पधारी राजयोगिनी रजनी दीदी जी, जोन की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी व अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू ज्ञान सरोवर से पधारी ब्रह्मकुमारी संगीता दीदी,शांति सरोवर रायपुर की संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी का भिलाई सेवाकेंद्रों की निदेशिका आशा दीदी जी द्वारा पुष्प गुच्छ द्वारा स्वागत किया गया।

तत्पश्चात डिवाइन ग्रूप के बच्चों द्वारा स्वागत नृत्य व लघु नाटिका की प्रस्तुति हुई जिसमें भिलाई की शान भिलाई स्टील प्लांट की विशेषताओं को सराहते हुए गीत के साथ प्रस्तुति दी गई। साथ ही साथ भारत देश की विविधता भिलाई मिनी इंडिया की विशेषता को ध्यान में रखते हुए विभिन्न प्रांतों के गुण-गान करते हुए प्रतिनिधियों द्वारा पारंपारिक नृत्य पेश किया गया, जिसमें विशेष छत्तीसगढ़ प्रांत व जापान देश के बीच की समानताओं को प्रस्तुत किया गया। फिलीपींस देश में की गई सेवाओं के भी अनुभव को आपने साझा किया। इस दौरान सभा में बड़ी संख्या में ब्रह्मावत्स उपस्थित रहे।

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