डा सचिन मित्तल ने मधुमय से बचने के लिए बताये कई कारगर नुस्खे
सम्बंधों में समरसता लाने की ब्रह्माकुमार पीयूष भाई ने बताई कई युक्तियां
मोहाली,पंजाब: ब्रह्माकुमारीज़ की अंतरराष्ट्रीय संस्था द्वारा कल यहां सुख शांति भवन फेज़ 7 में विश्व मधुमेय दिवस बहुत ही धूमधाम से मनाया गया जिसमें कुरालीए खरड़ व मोहाली एरिया के विभिन्न आयुवर्ग के 350 गणमान्य लोगों ने भाग लिया । कार्यक्रम की अध्यक्षता मोहाली.रोपड़ क्षेत्र के राजयोग केंद्रों की संचालिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी प्रेमलता बहन जी ने की जबकि मोहाली स्थित फोर्टीज के प्रसिद्व डायबलिजिस्ट डाण् सचिन मित्तल व दिल्ली से पधारे प्रेरणादायी वक्ता राजयोगी ब्रह्माकुमार पीयूष भाई मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए ।
इस अवसर पर डा सचिन मित्तल ने कहा कि वर्तमान समय डायिबटीज़ रोग के बारे में लोग सही रूप से जागरूक नहीं हैं इसलिए इस रोग से होने वाले नुकसान से वे बेखबर हएैं यही कारण है कि वे इसकी समय समय पर जो जांच कराई जानी चाहिए वह करवाने के लिए भी तैयार नहीं होते । डा सचिन ने कहा कि लगभग 20 वर्ष पूर्व इस रोग से भारत में केवल 3 करोड़ लोग ही पीड़ित थे परंतु अब इस रोग से भारत में हर 5वां व्यक्ति डायिबटिक है । 50 प्रतिशत लोगों को डायिबटिज ़का पता ही नहीं पड़ता क्योंकि इसके लक्षण भी नजर नहीं आते। इसलिए इसकी हर 3.3 मास में एक बार जांच अवश्य करवानी चाहिए । शूगर टैस्ट के लिए उन्होने खाली पेटए खाने के बाद व तीन मास की शूगर तीनों करवाने जरूरी बताया । डाण् सचिन ने बताया कि एचण्बीण्एसण्सी टेस्ट में 5 प्रतिशत से कम वाले को शूगर नहीं कहा जाता जबकि 5ण्5 से 7 तक को प्री डायिबटीक व 7 प्रतिशत से उपर वाले को डायिबटिक माना जाता है । उन्होने कहा कि डायिबटिज के कारण आंखोंए हूदय व किडनीज़ पर बहुत बुरा असर पड़ता है । शूगर के लक्षणों में मुख्यतरूबार बार प्यास लगनाए बार बार यूरीनए थकावट व स्किन इंफैक्शन आदि आदि नजर आता है । उन्होने इसके शुरू से ही नियंत्रण में रखने पर बल दिया ।
मोहाली.रोपड़ क्षेत्र के राजयोग केंद्रों की संचालिका ब्रह्माकुमारी प्रेमलता बहन जी ने अपने आशीर्वचनों में कहा कि वर्तमान समय अनेक प्रकार की समस्याओंए रोगों व उतार चढ़ाव से मानव जीवन आत्मिक सुख शांति व आनंद की स्थिति से विचलित हो जाता है जिस कारण उसकी नकारात्मक सोच का असर उसके परिवार में सम्बंधों पर पड़ रहा है । परिवार में रहते भी यदि हम ईश्वर की संतान समझ कर चलें व अपनी इच्छाओंए आकाक्षाओं व तमन्नाओं को कम कर लें तो सम्बंधों में सुधार हो सकता है । उन्होने कम बोलने मीठा बोलने व धीरे बोलने की युक्ति अपनाने की सलाह दी। सदा सकारात्मक सोच अपनायें ।
इस अवसर पर दिल्ली से पधारे प्रेरणादाई वक्ता व विज्ञान व अभियंता विंग के दिल्ली जोन के जोनल कोओर्डीनेटर ब्रह्माकुमार पीयूस भाई ने इस अवसर पर सम्बंधों में समरसता के बारे में बोलते हुए कहा कि आपस में स्नेहए सहनशीलताए धैर्यताए सहयोग व शुभ भावना और शुभ कामना से व्यवहार करने से सम्बंधों में समरसता बनाये रखी जा सकती है । सम्बंधों को ठीक रखने के लिए अपने अहम या अहंकार को छोड़ सत्कार करने की आदत डालें । उन्होने इंटरनेट का अधिक उपयोग हानिकारक बताया तथा इनरनेट का उपयोग बढ़ाएं । हमें बीती बातों को छोड़ वर्तमान में जीने की आदत डालनी चाहिए जैसे एक छोटा बच्चा दिन भर में 400 बार मुस्कराता है किंतु बड़ा होने पर मेरे तेरे के भेदभाव में आकर तनाव व चिंताओं से घिर कर मुस्कराना ही भूल जाता है तथा अपने सम्बंधों को भी बिगाड़ बैठता है । राजयोगी पीयूस भाई ने कहा कि आध्यात्मिकता को अपनाने से हमारे सम्बंधो में मधुरता आ जाती हैं तथा पहले के दुश्मन भी दोसत बन सहयोगी बन सकते हैं इसलिए हमें ब्रह्माकुमारीज़़ में सिखाई जाने वाली राजयोग की तकनीक को जरूर सीखना चाहिए ।
कुमारी नव्या व कुमारी रियासी ने नृत्य व बीण्केण्प्रवीण भाई ने दिव्य गीत भी प्रस्तुत किये ।