एक लडक़ा जिसका नाम बबलू था। वह पढ़ाई में रूचि नहीं रखता था उसे पढ़ाई बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती थी। वह स्कूल से भाग आता था जिस कारण गांव का प्रत्येक शिक्षक उस बच्चे से परेशान हो गया था। बबलू के पिता बबलू से बहुत ज्य़ादा प्यार करते थे उन्हें लगने लगा था कि बबलू की किस्मत में पढ़ाई नहीं है। वह अपने बच्चों को परेशान नहीं देख सकते थे, इसलिए उन्होंने विचार बना लिया कि अब वह बबलू को पढ़ाएंगे नहीं बल्कि बबलू जो चाहता है वह उसे करने देंगे।
परंतु बबलू की माँ जि़द्दी थी। वह नहीं चाहती थी कि बबलू अनपढ़ रहे, बबलू की ना पढऩे की जि़द्दी का मुख्य कारण उसकी संगत भी थी। उसके साथ का कोई भी विद्यार्थी पढ़ाई में रूचि नहीं रखता था इसलिए बबलू की माँ ने उसे उसकी मौसी के घर भेज दिया। जहाँ बबलू का दाखिला एक प्राइवेट स्कूल में कराया गया। जब भी बबलू के पिता उसे स्कूल में मिलने जाया करते थे तब बबलू अपने पिता के गले लग कर बहुत रोता था। परंतु बबलू के पिता मजबूर थे। वह उसे वापस नहीं ले जा सकते थे। बबलू को अभी भी शिक्षा में कोई रूचि नहीं थी परंतु समय के साथ उसके अच्छे दोस्त बनते गए और संगत के कारण उसे भी पढ़ाई में रूचि होने लगी और उसे किताबें पढऩा अच्छा लगने लगा।
बबलू ने कई सालों तक पढ़ाई करी और वह पढऩे में बहुत अच्छा हो गया। बबलू की माँ उसे गाँव नहीं आने देती थी उन्हें डर था कि बबलू कहीं फिर से अपने मकसद को ना भूल जाए। बबलू कई सालों तक अपने गाँव नहीं आया और उसने बहुत मेहनत से पढ़ाई करी।
एक समय ऐसा आया जब बबलू आईपीएस अफसर बन गया और वह अपने गाँव आया तब उसने देखा कि उसके साथ खेलने वाले विद्यार्थी जो पढ़ते नहीं थे, वह आज के समय मजदूरी कर रहे हैं और उनकी हालत ऐसी है कि यदि वह आज नहीं कमाएंगे तो कल नहीं खा पाएंगे।
क्योंकि वह पढ़े-लिखे नहीं हैं। उसने गाँव के हर बच्चे को देखा जिसकी हालत ऐसी ही थी क्योंकि उनके माँ-बाप ने उनकी हरकतों को देखते हुए उन्हें पढ़ाने का विचार बदल दिया था परंतु बबलू की माँ ने हार नहीं मानी और बबलू एक बड़ा अफसर बन गया।
जिसके बाद बबलू अपनी माँ के पास गया और उनके चरणों में गिरकर उनका धन्यवाद किया। तब बबलू की माँ ने रोते हुए बबलू को अपने गले से लगाया और कहा बचपन में तुम मुझे पसंद नहीं करते थे क्योंकि मैं तुम्हें पढ़ाई के लिए कहा करती थी।
परंतु मैं तुमसे तुम्हारे पिता से भी ज्य़ादा प्रेम करती हूँ। मैंने देख लिया था कि यदि तुम नहीं पढ़ोगे तो तुम्हारा भविष्य कैसा होगा इसलिए मैंने तुम्हें खुद से दूर रखा।
जबकि मैं हमेशा तुम्हें याद करके रोती थी। यह सुनकर बबलू की आँखों में आँसू आ गए और इस प्रकार शिक्षा ने एक बच्चे की जि़ंदगी बदल दी।
सीख : इस कहानी से हमें ये सीखने को मिलता है कि सही मार्गदर्शन और संगत व्यक्ति के जीवन को बदल सकती है। शिक्षा में रूचि न होते हुए भी निरंतर प्रयास से सफलता मिल सकती है।