ग्वालियर: – “जीवन में सदा खुश रहने का आधार श्रेष्ठ संकल्प” – राजयोगी बीके आत्मप्रकाश भाई (योग तपस्या भट्टी दूसरा दिन)

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जीवन में सदा खुश रहने का आधार श्रेष्ठ संकल्प – राजयोगी बीके आत्मप्रकाश भाई

ग्वालियर,मध्य प्रदेश। जब हम किसी से अपने आप को कंपेयर करते या तुलना करते है तो कई वार दूसरों को श्रेष्ठ और अपने को कनिष्ठ मान लेते है जिस कारण हमारे अंदर हीन भावना आ जाती है, जो हमारी क्षमताओं को घटा देती है। जबकि हर व्यक्ति अपने आप में विशेष है। अपनी विशेषताओं को देखते हुए उन्हें स्मृति में रखते हुए श्रेष्ठ संकल्प करो, साथ ही परमात्मा के द्वारा दिए हुए वरदानों को भी स्मृति में रखो अर्थात स्वमान में रहो, जैसे कि मैं एक महान आत्मा हूँ…. मैं एक दिव्य आत्मा हूँ… मेरा जन्म सबको सुख देने के लिए हुआ है…. मैं शक्तिशाली आत्मा हूँ…. मैं परमात्मा की सुंदर रचना हूँ…. आदि आदि तो यह श्रेष्ठ संकल्प सबसे अच्छा उपाय है जीवन में सदा खुश रहने की उक्त बात ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय आबू पर्वत से पधारे राजयोगी बीके आत्मप्रकाश भाई ने माधौगंज स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवा केंद्र प्रभु उपहार भवन में राजयोग ध्यान साधना शिविर के उद्घाटन सत्र के दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने आगे कहा कि आज वर्तमान समय को देखते हुए आध्यात्म को जीवन मे अपनाना मनुष्य की सबसे बढ़ी उपलब्धि है। आध्यात्मिकता को जीवन मे शामिल करने से कार्यक्षमता, कार्यकुशलता, कार्यदक्षता बढ़ती है और हमारी आंतरिक शक्तियां भी जाग्रत हो जाती है।

आध्यात्म के मार्ग पर चलने के लिए दो बातें सदैव याद रखो सत्यता और स्पष्टता।
सत्यता होगी तो हर कार्य में सफलता मिलेगी और स्पष्टता होगी तो संबंधों में समरसता होगी और उस आधार पर आप जीवन का आनंद ले सकेंगे।
श्रेष्ठ चिंतन या स्वमान में रहने से अनेक लाभ हमको होते है –
स्वमान में स्थित होने से हम स्वराज्य अधिकारी अर्थात स्वयं कि कर्मेन्द्रियां स्थूल और सूक्ष्म दोनों को नियंत्रित कर सकते है।
स्वमान में रहने वालो के लिए सकारात्मक चिंतन, स्वचिन्तन और परमात्म चिंतन करना आसान हो जाता है।
स्वमान मे रहने से संकल्पों का, खुशी का शक्तियों का, गुणों का, दुआओं का जमा का खाता हम बढ़ा सकते है।
स्वमान में रहने से हम विकारों पर विजय प्राप्त कर सकते है।
स्वमान कवच है हर प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से बचने का।
स्वमान में रहना अर्थात आत्म चिंतन करना।
स्वमान में रहना अर्थात समय का सदुपयोग करना।
स्वमान में रहकर हम अपने संस्कारों को दिव्य बना सकते है।
स्वमान मे रहने से हम अपने बोल, कर्म और संस्कारों में सुधार ला सकते है।
स्वमान में रहने वाला हमेशा दूसरों की विशेषताएं देखेगा, किसी की खामियां या त्रुटियां नहीं देखेगा।
स्वमान में रहने वाला कभी अनुमान नहीं लगाएगा क्योंकि अनुमान कभी भी हमें अच्छा नहीं बनने देगा।

इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ जिसमें ब्रह्माकुमारीज लश्कर केंद्र प्रभारी बीके आदर्श दीदी, बीके प्रहलाद, सब इंसपेक्टर अनिल तिवारी, व्यवसायी गजेन्द्र अरोरा, राजेश चावला, अशोक पमनानी, प्रभुदयाल, नंदन सिंह रौतेला, जवाहर कुशवाहा, संजय चौहान आदि उपस्थित थे।
कार्यक्रम में बीके आदर्श दीदी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि जैसे हमारे शरीर मे श्वांसों का महत्व है ठीक उसी तरह से जीवन में मूल्यों का महत्व है इसलिए सभी को अपने जीवन में नैतिक, व्यवहारिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों को अपनाना चाहिए इससे हमारे जीवन में निखार आता है।
कार्यक्रम में सभी को राजयोग की गहन साधना का भी दिव्य अनुभव कराया गया।

इस अवसर पर बीके पवन, बीके सुरभि, बीके महिमा, बीके रोशनी, रतन चौहान, ब्रजेन्द्र राजपूत, दिनेश यादव, सुरेन्द्र बैस, दशरथ सिंह, सुमेर, पंकज, सुनील सहित सैकड़ों की संख्या मे संस्थान से जुड़े अनेकानेक श्रद्धालु उपस्थित थे।

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