प्रश्न : मैंने ये डिसाइड किया है कि मैं आईएएस की तैयारी करूं और वो बनकर बाबा की सेवा करूं। लेकिन मैं ज्ञान में भी लेट आई हूँ और मुझे पुरूषार्थ भी बहुत सारा करना है और आईएएस की स्टडीज़ भी मुझे बहुत ज्य़ादा करनी होगी। तो क्या मैं अपना समय वेस्ट तो नहीं कर रही हूँ? और यदि मैं ये करती हूँ तो विनाश का समय तो नज़दीक है। तो मुझे क्या करना चाहिए?
उत्तर : देखिए आईएएस एक ऐसा एग्ज़ाम है, ऐसा कम्पटीशन है। लाखों बच्चे इसे करते हैं लेकिन थोड़े से सिलेक्ट होते हैं। इसमें निराशा के दौर भी चल सकते हैं। कहीं आपको लगे कि तीन साल लग गये और फिर आपका सिलेक्शन न हो। और फिर आप बहुत निराश हों। फिर पीछे सोचें कि इतना टाइम अगर ज्ञान-योग में लगाती तो कितना अच्छा होता! अगर आपको कोई अच्छी जॉब मिलती है तो वो आप ज्वॉइन कर लें और देखें आपके अन्दर पुरूषार्थ करने की क्षमता है? कई बार क्या हो रहा है कुछ लोगों के साथ, कि मान लो वो जॉब छोड़ दें मैं किसी को राय नहीं देता कि आप जॉब छोड़ दो। लेकिन कई अति उमंग में जॉब छोड़ देते हैं कि पुरूषार्थ करना है।
अब जॉब भी छोड़ दी और पुरूषार्थ भी नहीं हो रहा है। फिर पुराने संस्कार इमर्ज होने लगे, किसी से टकराव होने लगा तो फिर जॉब छोडऩे पर पश्चाताप भी बहुत होता है। इसलिए ऐसी बहनों को मैं कहूँगा कि अगर आप आईएएस करना चाहती हैं और आपको बिल्कुल कॉन्फिडेंस है कि आपको फर्स्ट एटेम्ट में ही सफलता मिल जायेगी और आपकी अच्छी तैयारी है, आप बुद्धिमान हैं तो आप कर सकती हैं और उसके बाद सेवा भी आप कर सकती हैं। लेकिन वो जो एडमिनिस्ट्रेशन का जो फील्ड है मैं साफ बता दूं वो ऐसा तनाव भरा है कि फिर पुरूषार्थ और सेवा हो ये शायद पीछे ही छूट जाता है। इसलिए बहुत अच्छी तरह विचार कर लें। अगर आप वो नहीं करना चाह रहे हैं तो क्या आप श्रेष्ठ योगी बन पायेंगी? अगर आप श्रेष्ठ योगी भी न बन पाये और वो भी न करें तो मज़ा नहीं आयेगा जि़ंदगी का, निराशा बढ़ेगी, इसलिए ये निर्णय आपको खुद लेना होगा। हाँ, अगर आप बहुत अच्छे योगी बनती हैं, आप कर्मयोग करना सीख लेती हैं तो शायद आपको आईएएस करना भी इज़ी हो। और फिर आप उस जॉब को एन्जॉय कर सकें। आपका जीवन बहुतों के लिए प्रेरणा बन सके। आप लोगों को ये भी दिखा सकें कि आप एक जि़म्मेदार अधिकारी होते भी कैसे आनन्दित हैं, खुश हैं। पहले योगी जीवन पर ध्यान दें, धारणाओं पर ध्यान दें, पहले स्ट्रेस फ्री रहना सीख लें। हम भिन्न-भिन्न सिचुवेशन्स में जो चैलेन्जेस आयेंगे जॉब में उनको ठीक से हैंडल करना सीख लें। हम परेशान न हो जायें। जितना बड़ा अधिकारी है अगर वो स्ट्रेस फ्री रहकर राह निकालने लगता है तो लोगों के लिए प्रेरणा बन जाता है, और उसका अपना जीवन भी बहुत सुन्दर बन जाता है।
प्रश्न : बिल्कुल अकेले घर में ज्ञान में चलने में मुश्किल होती है, कहीं से कोई सुपोर्ट नहीं मिल पाता। कई बार परिस्थितियों का सामना करते-करते लगता है कि इससे तो अच्छा है कि सब छोड़ दें। तो क्या करें? ऐसी सोच आनी सही है?
उत्तर : भगवान को छोड़ देना ये सोच तो सही नहीं है। पाँच हज़ार साल के बाद भगवान का मिलन हुआ। अगर शंकराचार्यों को पता लग जाये,अभी तो वो हमारी बात सुनके मज़ाक करेंगे। इन्हें मिला है भगवान। हमें तो आजतक मिला नहीं जिन्होंने घर छोड़ा है, सन्यास लिया है, जो हिमालय की गुफाओं में भूखे-प्यासे बैठे हैं, उन्हें तो भगवान नहीं मिला। इन्हें मिला है अच्छे कपड़े पहनने वालों को। लेकिन ये सत्य है कि परमात्म प्राप्ति हुई है। तो ये आपको नशा हो जाये, इस स्वमान में आप स्थित हो जाओ कौन मिला है? अगर आप उधर मगन हो जायेंगी तो परिवार पर प्रभाव बहुत अच्छा पड़ेगा। क्योंकि परिवार वालों की अपनी कुछ जि़म्मेदारी होती हैं। उनकी कुछ सोच होती है। वो संसार को देखते हैं कि कन्याएं कैसे राह भटक रही हैं।
मैं यही बात कह रहा हूँ, मैं कन्याओं को बहुत बार कहता हूँ कि अगर बहुत सारी कन्यायें इस संसार में बुरा काम करने में माँ-बाप की सुनती नहीं तो आप भगवान के मार्ग पर चलने में इतना डर क्यों रखते हो! आपको भी शेरनी बन जाना चाहिए। मैं सॉल्यूशन दे रहा हूँ। आप बहुत अच्छा अपने घर में अभ्यास करें- मैं एक महान आत्मा हूँ, मैं इस घर की ईष्ट देवी हूँ, इस घर में मैं महान कत्र्तव्यों के लिए जन्मी हूँ। स्वमान में स्थित हो जाओ। फिर देखो आपका परिवार आपको कितना सम्मान देगा, कितना सहयोग देगा। आपको अपना स्वरूप श्रेष्ठ बनाना है। ताकि वो देखें कि इसने जो मार्ग एडॉप्ट किया है वो बहुत श्रेष्ठ है, वो कल्याणकारी है। होता क्या है कि परिवारों में हम ज्ञान ज्य़ादा सुनाते हैं और साथ में कभी गुस्सा भी कर लेते हैं। तो वो कहेंगे या हमें भी सांसारिक इच्छायें ज्य़ादा रहती हैं, औरों की तरह तो वो कहेंगे कि इन्होंने क्या मार्ग चुना है? हैं तो वैसे ही जैसे और लड़कियां हैं। अपने स्वमान के अभ्यास को आगे बढ़ाओ, अपने योगाभ्यास को बढ़ाओ और प्रभु प्रेम में मगन होने का प्रूफ उन्हें दिखाई दे। और सवेरे उठकर जो अब मैं बताने जा रहा हूँ इससे बहुतों को फायदा हुआ है। आप संकल्प करना कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। बंधनमुक्त हूँ। मेरे परिवार की ये सभी आत्मायें मेरी गुड फ्रेंड हैं। मेरी सहयोगी हैं। तीन-तीन बार करना। बस वो सब सहयोगी बन जायेंगे। बाकी थोड़ा बहुत कन्याओं को संघर्ष करना पड़ता है। ये ईश्वरीय मार्ग है, भक्ति में भी जो कन्यायें भगवान की ओर चलीं, लोगों ने उनका भी बहुत विरोध किया लेकिन इस विरोध को अगर हम सह लेते हैं तो हम बहुत शक्तिशाली बन जाते हैं और मार्ग क्लीयर हो ही जायेगा।