मन-बुद्धि-संस्कार यह सब ऑर्डर में रहे या नहीं रहे, यह रोज़ बाबा को सुनाओ। तो आपेही अपनी दरबार लगाओ। चेक एंड चेंज, यह दो शब्द याद रखो।
अभी यहाँ जो शिक्षा मिल रही है उसमें अटेन्शन देकर उनको प्रैक्टिकल में लाना ही है। सुना और समाया। ऐसे नहीं सुनने में तो अच्छा लगा, वहाँ जायेंगे तो सरकमस्टांस आयेंगे, ऐसे नहीं। पहले अपने आप में ही फेथ रखो। अरे मैं क्या! कल्प पहले भी मैं ही बनी थी! मैं ही तो हूँ! यह याद रखों, मैं ही क्यों! क्योंकि बाबा ने हमको पहचान करके निकाला है। दुनिया वाले बाबा को पहचान नहीं पाते हैं। बाबा ने आपको ढूंढा है ना। आपको तो पता ही नहीं था भगवान है क्या! लेकिन बाबा ने आप सबको कहाँ-कहाँ से ढूंढ निकाला है। भगवान की नज़र मेरे ऊपर पड़ी, यह नशा रखो। भगवान को हम ही पसन्द आये, यह फखुर हो, अभिमान नहीं।
तो आप जितना भी आगे बढऩा चाहो, बढ़ सकते हो क्योंकि अभी टू लेट का बोर्ड नहीं लगा है, लेट का लगा है। बस अपने को मालिक समझकर कर्मेन्द्रियों को चलाओ। राजा बच्चा बनना है, राजा किसको कहा जाता है? जिसमें रूलिंग, कन्ट्रोलिंग पॉवर हो। मैं आत्मा मालिक हूँ ना, तो मालिक होकर कर्मेन्द्रियों को चलाना इसकी आवश्यकता है।
बाबा से जो भी खज़ाने मिले हैं उनको ईमानदारी से यूज़ करना है। एक बाप के सिवाए कहाँ आँख न जाये, ऐसा वफादार। जो बाबा का फरमान मिले, उसमें फरमानबरदार हो। जो अभी रोज़ की मुरली है, वो आप लोगों के लिए भी वही है और 72 वर्ष वालों के लिए भी वही है। जो रोज़ श्रीमत मिलती है, बस आप सवेरे से रात्रि तक मुरली के विधि प्रमाण चलो। और कुछ सोचो नहीं, यह बहुत इज़ी है। आज बाबा ने यह कहा है, मुझे यह करना है। बाबा डायरेक्शन देता है माना श्रीमत देता है और कोई बात न सोचकर रोज़ की मुरली आप प्रैक्टिकल में लाओ, तो आप नम्बरवन हो सकते हो। बाबा को रात्रि को खुशखबरी सुनाओ। बाबा भी रोज़ की मन दरबार की डायरी लिखता था। मन-बुद्धि-संस्कार यह सब ऑर्डर में रहे या नहीं रहे, यह रोज़ बाबा को सुनाओ। तो आपेही अपनी दरबार लगाओ। चेक एंड चेंज, यह दो शब्द याद रखो। सिर्फ चेक नहीं करना, चेक के साथ चेंज भी करना। किस शक्ति की कमी है, जिस कारण मैं दिनचर्या श्रीमत अनुसार नहीं रख सकी क्योंकि पेपर तो आयेगा ना। शक्तियां तो बाबा ने सबको एक जैसी दी हैं, तो चेक करो और चेंज करो।
शक्ति है मेरे में या नहीं, जिस शक्ति को ऑर्डर करती हो वो समय पर आती है? अगर नहीं, तो शक्ति ऑर्डर में नहीं रही ना। तो यह चेक करो मानों कोई समय ऐसा आता है, जब आपको सहन शक्ति चाहिए। आप मालिक होकर साक्षीपन की सीट पर बैठकर ऑर्डर करो और चेक करो तो वो शक्ति मददगार बनी या नहीं? कई बच्चों को बिन्दु लगाने के बजाए आश्चर्य की या क्वेश्चन की मात्रा लग जाती है। तो ऑर्डर में रहना, सत्यता की निशानी है, जो सत बाप है, सर्वशक्तिवान है उनके हम मास्टर सर्वशक्तिवान बनकर रहें – यह है सत्यता की शक्ति।