सृष्टि का नियम

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एक दुकानदार जिसकी बहुत बड़ी दुकान गांव से बाहर थी, वह अपनी दुकान पर कई प्रकार की चीज़ें बेचा करता था। वह अपनी दुकान पर मक्खन भी बेचा करता था और वह मक्खन अपने गांव के ही एक व्यक्ति रामू से खरीदा करता था।
रामू रोज़ाना उस व्यक्ति की दुकान पर मक्खन देने के लिए आता था और वह ऐसा लगातार कई सालों से कर रहा था परंतु दुकानदार ने एक दिन सोचा कि मैं रामू पर आँखें बंद करके भरोसा कर रहा हूँ।
क्या यह सच में मुझे रोजाना 1 किलो मक्खन देता भी है या नहीं! दुकानदार ने मक्खन का वजन किया तो उसे समझ में आया कि रामू उसे धोखा दे रहा है, मक्खन सिर्फ 900 ग्राम ही है जिससे दुकानदार को बहुत गुस्सा आया क्योंकि वह रामू पर भरोसा करता था।
दुकानदार गांव की पंचायत में गया और रामू की शिकायत कर दी। गांव की पंचायत बैठी और रामू को बुलाया गया। सरपंच जी ने रामू से कहा कि तुमने दुकानदार के साथ धोखा किया है।
उसने तुम पर भरोसा किया परंतु तुमने उसे रोज़ाना सिर्फ 900 ग्राम मक्खन ही दिया और तुम ऐसा कई वर्षों से कर रहे हो मतलब कि तुमने दुकानदार का बहुत बड़ा नुकसान किया है।
क्या अब तुम अपनी सफाई में कुछ कहना चाहोगे? रामू ने कहा कि सरपंच जी मेरे घर पर वजन करने के उपकरण मौजूद नहीं हैं परंतु मैं वजन करने के लिए एक विधि का उपयोग करता हूँ, जब मैं दुकानदार को रोज़ाना मक्खन देकर आता हूँ, तब दुकानदार से 1 किलो चने खरीदकर लेकर आता हूँ और मैं उन्हीं चने को तराजू पर रखकर मक्खन को तौलता हूँ बाकी के जवाब आप दुकानदार से पूछिए क्योंकि यदि उसका मक्खन कम है तो सीधी सी बात है कि वह मुझे सिर्फ 900 ग्राम ही चने देता है। क्योंकि मैं चने के सहारे ही मक्खन का वजन करता हूँ। सरपंच को यह बात पता चली तो सरपंच ने दुकानदार को बहुत अपमानित किया एवं उसे धोखेबाज कहा।
दुकानदार जिसने बहुत मेहनत से सम्मान और इज्जत कमाई थी परंतु जब गांव वालों को पता चला कि वह धोखेबाज है तो पूरे गांव में सभी लोग उसे धोखेबाज कहके बुलाने लगे। इस प्रकार दुकानदार को अपमानित होकर, वह गांव छोडक़र जाना पड़ा।
सीख : इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जैसा हम दूसरों के साथ करते हैं हमारे साथ भी वैसा ही होता है। यह सृष्टि का नियम है कि जैसा करोगे वैसा पाओगे इसलिए हमें सदा प्रत्येक व्यक्ति के लिए ईमानदार एवं भला बनकर रहना चाहिए।

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