परमात्मा हम सभी बच्चों को एक बहुत सुन्दर तरीके से एक बड़ी गहरी बात सुना रहे हैं। वो कहते कि कई बार किसी कार्य को जब शुरू करते हैं तो उसके लिए विधि-विधान की आवश्यकता होती है। कई बार कार्य मनोरंजन के रूप में ही शुरू होता है और मनोरंजन के साथ ही खत्म होता है। ऐसे ही दुनिया में यज्ञ-तप जो किया गया उसमें बड़े ही विधि-विधान से सबकुछ किया गया। लेकिन परमात्मा का हर कार्य मनोरंजन होता है। जैसे परमात्मा कहते हैं कि मैं अपने बच्चों से मेहनत नहीं कराना चाहता। उनको बहुत प्यार करता हूँ, सम्मान करता हूँ, उनको सम्मान दिलाता हूँ। उनको मैं ये नहीं कहूंगा कि तुम जाओ और इतना सारा कुछ करो, दौड़भाग करो। और लोगों की तो मान्यता यही है कि हम ये जो सारी चीज़ें करते हैं इससे भगवान खुश होते हैं। परमात्मा खुश नहीं होता है इससे, ये हमको समझना है। परमात्मा कहते हैं मैं तो सिर्फ और सिर्फ तुमको देकर खुश होता हूँ। तो महाशिवरात्रि लेन-देन का पर्व है। और ये लेन-देन के पर्व में है पाँच विकारों को देना और परमात्मा की सौगात लेना। सौगात क्या देता है? जब हम सभी विकार छोड़ते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार तो परमात्मा हमें अपना वर्सा तो देता ही देता है, साथ ही साथ विश्व की बादशाही भी दे देता है। और ये विश्व की बादशाही परमात्मा हमको इस समय दे रहा है। तो ये त्योहार हर पल, हर क्षण हमारे जीवन में लेन-देन के साथ चलना चाहिए। हर पल मुझे याद रहे कि मैंने ये सारी चीज़ें परमात्मा को गिफ्ट दी हैं और परमात्मा ने बदले में मुझे ये गिफ्ट दिया। तो इस महाशिवरात्रि पर एक संकल्प के साथ क्रहम इन विकारों का करें दान तो हो जायेगा हम सभी का कल्याणञ्ज। एक स्वर से, ये बात हमको स्वीकार करनी है।