हमारे प्रश्न और दादी जी के उत्तर

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प्रश्न:- हम स्वयं को निमित्त भी समझते, यह भी संकल्प रहता कि बाबा और हम कम्बाइन्ड रूप से कार्य कर रहे हैं, क्या फिर भी सूक्ष्म अभिमान आ सकता है?
उत्तर:- अगर थोड़ी महिमा के इच्छुक होंगे तो अभिमान आ सकता है। जिसको महिमा की इच्छा नहीं है, कार्य हुआ, ड्रामानुसार हुआ, बाबा ने कराया, वह इन्तज़ार नहीं करता कि औरों का मेरे प्रति क्या कॉमेन्ट्स है। लोगों को अच्छा लगा, वाह-वाह की तालियां बजाई, खुश हुए… वो नहीं हुआ तो अपमान की फीलिंग आयेगी। इतना कुछ किया कदर कुछ भी नहीं है, लोगों ने कॉमेन्ट्स भी नहीं दिया, थैंक्स भी नहीं दिया। यह सूक्ष्म ख्याल आना अभिमान की निशानी है। सदा यह देखें, कार्य हुआ, ड्रामानुसार बहुत अच्छा हुआ, सबको बाबा की याद आई, अच्छा हुआ। अभिमान आने का रास्ता है महिमा की भूख। कोई कहे न कहे, लेकिन बाबा हमारे से एक्यूरेट कराये, यह हमारे कॉन्शियस में हो।

प्रश्न:- हेल्थ चार्ट के अनुसार कहा जाता है हमको कुछ फिजि़कल एक्सरसाइज़ करना चाहिए ताकि स्वास्थ्य ठीक रहे। ब्रह्माकुमार-कुमारी किसी भी प्रकार का हठयोग क्यों नहीं करते, इसका कारण क्या है?
उत्तर:- एक्सरसाइज़ करने की मना नहीं है। परन्तु राजयोग की जो एक्सरसाइज़ है वह पूरी तरह से करो जिससे तन भी ठीक हो, मन भी ठीक हो। सभी डॉक्टर्स कहते हैं बिमारियों का कारण है मन। तो मन की भी एक्सरसाइज़ करो। अपने खान-पान की भी सम्भाल करो। सुस्ती, अलबेलाई, उल्टा लटकना, सीधा लटकना इसकी आवश्यकता नहीं है। साइलेन्स में शान्ति सेदौड़ भले लगाओ, साइलेन्स में सैर करो बाकी हठयोग की आवश्यकता नहीं है। मन्मनाभव होकर तन-मन को हेल्दी बनाने की एक्सरसाइज़ करो। साइलेन्स में बैठने से श्वास भी जो चलता है वो शान्ति वाला चलता है। सकंल्प भी शुद्ध हो जाते हैं। वायुमण्डल बहुत अच्छा हो जाता है। अगर उसका हम अभ्यास नहीं करते हैं सिर्फ वो करते है तो इसकी वैल्यू का पता ही नहीं है। बाबा साइलेन्स वॉक सिखाता था। आवाज़ करने की आदत न हो तो शक्ति आती है। कर्मयोग में कभी भी सुस्ती या बहाना न दो तो सदा हेल्दी रहेंगे। माइन्ड भी हेल्दी, बॉडी भी हेल्दी।

प्रश्न:- बाबा कहते हैं सेकण्ड में जीवनमुक्ति प्राप्त होती है, इसका अर्थ क्या है? सेकण्ड में जीवनमुक्ति मिलने के बाद उससे जीवन में क्या प्राप्ति होती है?
उत्तर:- जीवनमुक्ति का जो रस है, वह रस लेने में कितना मिनट लगता है? एक सेकण्ड में आप साइलेन्स में जाओ, लगता है सेकण्ड। मैं जीवन में हूँ, लेकिन फ्री हँू। कहाँ बुद्धि खिंचती नहीं है। बहुत फायदा होता है। खुशी आती है, शान्ति आती है, शक्ति आती है। लगता सेकण्ड है। लाइट आने-जाने में कितना सेकण्ड लगता है? सिर्फ जोडऩे का ढग़ चाहिए। अपनी भी लिंक बाबा से अच्छी जुड़ी रहनी चाहिए। सतयुग में होंगे ही जीवनमुक्त। यहाँ कलियुग में बंधनों से मुक्त होकर फ्री हैं। देह का भी बंधन नहीं है, रस्म-रिवाज़ का भी बंधन नहीं है, स्वभाव का भी बंधन नहीं है, संस्कार का भी बंधन नहीं है, किसी आदत से मजबूर हम नहीं हैं। किसके मजबूर हम नहीं हैं, फ्री हैं। श्रेष्ठ कर्म करने के लिए कोई रोक नहीं सकता है। ज्ञान-योग ऐसा है, जिसमें माया भी विघ्न नहीं डाल सकती है। यह है जीवनमुक्ति का सुख। फिर कहेंगे बाबा नेइतना अच्छा वर्सा दिया जो मैं जीवन में होते भी मुक्त हँू।

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