हमको सम्पन्न बनना ही है ये संकल्प लेंं

0
104

हम हिम्मत रखते हैं, बहादुरी भी करते हैं, लेकिन थोड़ा व्यर्थ संकल्प चलता इसलिए हमारे कर्त्तव्य में पूरी सफलता मिले वो थोड़ा कम हो जाता है।
हमको बाबा ने सम्पन्न और सम्पूर्ण बनने का मौका दिया है। बाबा कभी नहीं कहता था कि जाओ देखो, करो, फिर देखते हैं क्या होता है। पूरा निश्चय के साथ कहता था जाओ। हमारे साथ भगवान है इस निश्चय से हम करें तो क्या बड़ी बात है! आजकल सभी ट्रायल करते हैं, प्रैक्टिकल में इतना निश्चित निश्चिंत नहीं रहते हैं। अगर निश्चय है तो उसका प्रुफ है विजय होनी चाहिए क्योंकि कहावत है निश्चयबुद्धि विजयन्ती। यह जो तीन शब्द हैं निश्चयबुद्धि, निश्चित और निश्चिंत। यह प्रैक्टिकल में हम लायें तो क्या बड़ी बात है! आखिर तो विजय हमारी है, यह निश्चित है लेकिन विजय के लिए पुरूषार्थ करना पड़ेगा। सम्पन्नता माना हम सर्व खज़ाने जमा करें और वह सर्व खज़ाने समय पर काम में आवें। बाबा ने कहा था खज़ाने बढ़ाने की चाबी है, उनको जितना यूज़ करेंगे उतना खज़ाने आपके बढ़ेंगे। जैसे बाबा रोज़ अलग-अलग वरदान देते हैं और बहुत श्रेष्ठ वरदान देते हैं लेकिन वह प्रैक्टिकल लाइफ में नहीं आते हैं, उसका कारण क्या है? पढ़ करके हमको कितनी खुशी होती है लेकिन उसका प्रैक्टिकल में लाभ होवे, उसके लिए बाबा ने कहा वरदान है बीज। बीज फल कब देता है? जब पानी और धूप लगती है तभी फल देता है। आप भी रियलाइज़ करो, वर्णन करो, प्रैक्टिकल में लाओ तो फल देगा इसलिए हम लोगों को अभी हर खज़ाने के महत्व को जान करके सम्पन्न बनना है, भरपूर रहना है। खाली चीज़ हिलती रहेगी, सम्पन्न भरपूर रहती है वो हिलेगी, टूटेगी नहीं। इसलिए हमें आज यह संकल्प करना है – हमको सम्पन्न बनना ही है।
दूसरी बात- खज़ाने को जमा करने के तीन तरीके हैं। एक तो बाबा कहता है अपने पुरूषार्थ से जमा करना है, दूसरा बाबा कहता है कि सन्तुष्ट रहो और जिससे कनेक्शन में आते हो उसे सन्तुष्ट करो। तीसरा- नि:स्वार्थ सेवा करो, बाबा करावनहार बन करा रहा है, तो मैंपन नहीं रहेगा, अगर यह धारणायें हमारी अच्छी हैं, तो खज़ाने जमा होते रहते हैं। तो हम अपने को चेक करें कि हम इन तीनों ही तरीके से खज़ाने को अमर-अविनाशी बना रहे हैं! अगर यह तीनों तरीकों से जमा नहीं कर रहे हैं तो समय पर काम में नहीं आयेंगे। समय पर यूज़ करने का अभ्यास हमको करना है।
बाबा कहता था कि हरेक के प्रति शुभ भावना रखो। भले मुख से न बोलो। लेकिन अन्दर से दिल से शुभ भावना देते रहो।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें